लखनऊ : उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल दो दिनों के लखनऊ दौरे पर हैं. इस दौरान वे रेलवे के कार्यों की समीक्षा कर रहे हैं. उन्होंने लखनऊ कानपुर रेलखंड का निरीक्षण भी किया. अपनी समस्याओं को लेकर रेल यूनियन के पदाधिकारियों ने भी महाप्रबंधक आशुतोष गंगल से मुलाकात की. यूनियन के पदाधिकारियों ने बताया कि कोरोना के चलते बंद हुई ट्रेनों का असर दैनिक यात्रियों के साथ ही रेल कर्मचारियों पर भी पड़ रहा है. पैसेंजर ट्रेन संचालित न होने से छोटे स्टेशनों से आने वाले रेलकर्मी मजबूरन ट्रेन के बजाय बस या अन्य साधनों से आ रहे हैं. पदाधिकारियों ने कहा कि पटरियों की मरम्मत के लिए आवश्यक सामग्री सड़क मार्ग से ले जाना पड़ता है, जिससे अलग से वित्तीय भार पड़ रहा है. महाप्रबंधक ने यूनियन के पदाधिकारियों को समस्याओं के समाधान का भरोसा दिया है.
यात्रियों को हो रही परेशानी
नॉर्दर्न रेलवे मेंस यूनियन के मण्डल मंत्री आरके पांडेय ने महाप्रबंधक से मुलाकात कर कुछ रूटों पर पैसेंजर ट्रेनें संचालित कराने की मांग की. उन्होंने जीएम उत्तर रेलवे को जानकारी दी कि लखनऊ रायबरेली-प्रयाग, उन्नाव-डलमऊ-ऊंचाहार-प्रयाग, प्रयाग-प्रतापगढ़-सुलतानपुर-फैजाबाद रूटों पर अच्छी सड़क नेटवर्क न होने से रेलवे के मेंटनेंस से जुड़े काम प्रभावित हो रहे हैं. लखनऊ-कानपुर, लखनऊ-हरदोई और लखनऊ-सीतापुर के साथ लखनऊ-रायबरेली रूट पर बड़ी संख्या में दैनिक यात्रियों के सामने यात्रा को लेकर संकट है. छात्र हरौनी जैसे छोटे स्टेशनों और सीतापुर की तरफ से लखनऊ में पढ़ने ट्रेनों से ही आते थे. महाप्रबंधक ने कोविड की स्थिति नियंत्रित होने पर पैसेंजर ट्रेनें बहाल करने का भरोसा दिया.
कर्मचारियों के आवास को लेकर उठाई मांग
यूनियन के मण्डल मंत्री ने कहा कि लखनऊ रेल मंडल में कर्मचारियों के 11 हजार सरकारी आवास हैं. इनमें 80 प्रतिशत आवास 50 साल से ज्यादा पुराने हैं. इसके लिए इस साल 5.84 करोड़ रुपए आवंटित हुए लेकिन खर्च 30.53 लाख रुपए ही हो सके. कर्मचारियों के आवास के लिए 8.25 करोड़ रुपए की आवश्यकता है.
ट्रैक मेंटेनर्स के वेतन रि-फिक्सेशन में देरी
पदाधिकारियों ने जीएम को अवगत कराया कि पिछले 10 साल से 946 ट्रैक मेंटेनर्स के वेतन के रि-फिक्सेशन में बिना किसी वजह के देरी की जा रही है. रेलवे का मेडिकल बोर्ड कर्मचारियों के फिटनेस सर्टिफिकेट देने में मनमानी कर रहा है.
रेलवे यूनियन ने उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक से पैसेंजर ट्रेनें चलाने की मांग की
दो दिवसीय दौरे पर लखनऊ आये उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल से मुलाकात कर नॉर्दर्न रेलवे मेंस यूनियन ने कुछ रूटों पर पैसेंजर ट्रेन चलाने की मांग की. यूनियन के पदाधिकारियों ने बताया कि कोरोना के चलते बंद हुई ट्रेनों का असर दैनिक यात्रियों के साथ ही रेल कर्मचारियों पर भी पड़ रहा है.
लखनऊ : उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल दो दिनों के लखनऊ दौरे पर हैं. इस दौरान वे रेलवे के कार्यों की समीक्षा कर रहे हैं. उन्होंने लखनऊ कानपुर रेलखंड का निरीक्षण भी किया. अपनी समस्याओं को लेकर रेल यूनियन के पदाधिकारियों ने भी महाप्रबंधक आशुतोष गंगल से मुलाकात की. यूनियन के पदाधिकारियों ने बताया कि कोरोना के चलते बंद हुई ट्रेनों का असर दैनिक यात्रियों के साथ ही रेल कर्मचारियों पर भी पड़ रहा है. पैसेंजर ट्रेन संचालित न होने से छोटे स्टेशनों से आने वाले रेलकर्मी मजबूरन ट्रेन के बजाय बस या अन्य साधनों से आ रहे हैं. पदाधिकारियों ने कहा कि पटरियों की मरम्मत के लिए आवश्यक सामग्री सड़क मार्ग से ले जाना पड़ता है, जिससे अलग से वित्तीय भार पड़ रहा है. महाप्रबंधक ने यूनियन के पदाधिकारियों को समस्याओं के समाधान का भरोसा दिया है.
यात्रियों को हो रही परेशानी
नॉर्दर्न रेलवे मेंस यूनियन के मण्डल मंत्री आरके पांडेय ने महाप्रबंधक से मुलाकात कर कुछ रूटों पर पैसेंजर ट्रेनें संचालित कराने की मांग की. उन्होंने जीएम उत्तर रेलवे को जानकारी दी कि लखनऊ रायबरेली-प्रयाग, उन्नाव-डलमऊ-ऊंचाहार-प्रयाग, प्रयाग-प्रतापगढ़-सुलतानपुर-फैजाबाद रूटों पर अच्छी सड़क नेटवर्क न होने से रेलवे के मेंटनेंस से जुड़े काम प्रभावित हो रहे हैं. लखनऊ-कानपुर, लखनऊ-हरदोई और लखनऊ-सीतापुर के साथ लखनऊ-रायबरेली रूट पर बड़ी संख्या में दैनिक यात्रियों के सामने यात्रा को लेकर संकट है. छात्र हरौनी जैसे छोटे स्टेशनों और सीतापुर की तरफ से लखनऊ में पढ़ने ट्रेनों से ही आते थे. महाप्रबंधक ने कोविड की स्थिति नियंत्रित होने पर पैसेंजर ट्रेनें बहाल करने का भरोसा दिया.
कर्मचारियों के आवास को लेकर उठाई मांग
यूनियन के मण्डल मंत्री ने कहा कि लखनऊ रेल मंडल में कर्मचारियों के 11 हजार सरकारी आवास हैं. इनमें 80 प्रतिशत आवास 50 साल से ज्यादा पुराने हैं. इसके लिए इस साल 5.84 करोड़ रुपए आवंटित हुए लेकिन खर्च 30.53 लाख रुपए ही हो सके. कर्मचारियों के आवास के लिए 8.25 करोड़ रुपए की आवश्यकता है.
ट्रैक मेंटेनर्स के वेतन रि-फिक्सेशन में देरी
पदाधिकारियों ने जीएम को अवगत कराया कि पिछले 10 साल से 946 ट्रैक मेंटेनर्स के वेतन के रि-फिक्सेशन में बिना किसी वजह के देरी की जा रही है. रेलवे का मेडिकल बोर्ड कर्मचारियों के फिटनेस सर्टिफिकेट देने में मनमानी कर रहा है.