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कमाई का खेल! पब्लिक टॉयलेट निर्माण में गुणवत्ता फेल

राजधानी लखनऊ में 193 पब्लिक टॉयलेट हैं, जबकि 182 सामुदायिक शौचालय हैं. इन शौचालयों के निर्माण में गुणवत्ता का पालन नहीं किया जा रहा है. लोगों का आरोप है कि शौचालयों के निर्माण में गुणवत्ता का पालन नहीं किया जाता, जिससे जल्द ही इनकी स्थिति बदहाल हो जाती है.

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Published : Jan 19, 2021, 6:29 PM IST

पब्लिक टॉयलेट निर्माण में गुणवत्ता फेल
पब्लिक टॉयलेट निर्माण में गुणवत्ता फेल

लखनऊ: नगर निगम राजधानी लखनऊ को स्मार्ट सिटी बनाने के प्रयास में लगा हुआ है. इस क्रम में नगर निगम पब्लिक टॉयलेट और सामुदायिक शौचालयों के निर्माण कराने के साथ-साथ लोगों से साफ-सफाई बरतने का अनुरोध भी कर रहा है, जिससे लखनऊ को साफ-सुथरा बनाया जा सके. घर से निकलने वाले लोगों को टॉयलेट के लिए इधर-उधर न भटकना पड़े, इसके लिए लगातार पब्लिक टॉयलेट व सामुदायिक शौचालय केंद्रों की स्थापना भी की जा रही है. इन शौचालयों पर बारकोड भी अंकित किया जा रहा है, जिससे कोई भी व्यक्ति इस बार कोड को स्कैन कर सभी शौचालय के बारे में जानकारी हासिल कर सके.

जानकारी देते पूर्व पार्षद.

राजधानी लखनऊ में यदि शौचालयों की बात की जाए तो 193 पब्लिक टॉयलेट हैं, जबकि 182 सामुदायिक शौचालय हैं. लगभग 55 लाख की आबादी वाले लखनऊ में आबादी के लिहाज से शौचालयों की संख्या काफी कम है, जहां नगर निगम का दावा है कि इन शौचालयों को साफ-सुथरा बनाए रखने के साथ-साथ इनकी गुणवत्ता पर भी ध्यान दिया जाता है. वहीं लोगों का कहना है कि शौचालयों के निर्माण में गुणवत्ता का पालन नहीं किया जाता. यही कारण है कि आए दिन इन शौचालयों को लेकर शिकायतकर्ता नगर निगम दफ्तर के चक्कर काटते हैं, लेकिन यहां पर उनकी सुनने वाला कोई नहीं है.

शौचालयों के निर्माण पर खर्च होते हैं इतने रुपये
लखनऊ के नगर आयुक्त अजय द्विवेदी ने बताया कि पब्लिक टॉयलेट के निर्माण में केंद्र सरकार स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्रति सीट 78 हजार देती है और इसके साथ ही 14वें वित्त आयोग व नगर निगम अपनी निधि से इन शौचालयों का निर्माण कराता है. इसके तहत 6 सीट वाले शौचालयों के निर्माण में साढ़े 6 लाख खर्च होते हैं, जबकि 10 सीट वाले शौचालयों के निर्माण में 9 लाख 50 हजार के करीब खर्चा आता है. नगर आयुक्त ने बताया कि यह पुरानी दरें हैं. इन दरों में बढ़ोतरी भी हुई है, जो आने वाले वित्तीय वर्ष से लागू होंगी. इसके साथ ही आबादी के लिहाज से राजधानी में और अधिक शौचालयों का निर्माण कराया जाएगा, जिससे लोगों को किसी तरह की असुविधा न हो.

क्या कहते हैं पूर्व पार्षद
नगर निगम द्वारा कराए जा रहे शौचालयों के निर्माण के सवाल पर पूर्व पार्षद मुकेश सिंह चौहान का कहना है कि इन शौचालयों के निर्माण में केंद्र सरकार बजट देती है. इसके साथ ही नगर निगम अपनी निधि व 14वें वित्त आयोग से निर्माण कराता है. बावजूद इसके लगातार शौचालयों के निर्माण में शिकायतें आ रही हैं. जो बन गए हैं उन शौचालयों की शिकायतें आ रही हैं. इसके साथ ही शौचालयों के निर्माण में घटिया सामग्री का प्रयोग किया जाता है, जिसके कारण आए दिन लोग नगर निगम के दफ्तरों के चक्कर काटते रहते हैं, लेकिन यहां कोई सुनने वाला नहीं है.

बताते चलें कि नगर निगम राजधानी लखनऊ को स्मार्ट सिटी बनाने के प्रयास में लगा है. इसके तहत लखनऊ को साफ-सुथरा रखने के साथ-साथ शौचालयों को भी साफ सुथरा रखने की जनता से अपील कर रहा है. नगर निगम भले ही जनता से लखनऊ को साफ-सुथरा बनाए रखने की अपील कर रहा है, लेकिन नगर निगम द्वारा बनाए गए शौचालय गंदगी से सराबोर हैं. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि लखनऊ नगर निगम लखनऊ को स्वच्छ बनाए रखने के लिए कितना गंभीर है.

लखनऊ: नगर निगम राजधानी लखनऊ को स्मार्ट सिटी बनाने के प्रयास में लगा हुआ है. इस क्रम में नगर निगम पब्लिक टॉयलेट और सामुदायिक शौचालयों के निर्माण कराने के साथ-साथ लोगों से साफ-सफाई बरतने का अनुरोध भी कर रहा है, जिससे लखनऊ को साफ-सुथरा बनाया जा सके. घर से निकलने वाले लोगों को टॉयलेट के लिए इधर-उधर न भटकना पड़े, इसके लिए लगातार पब्लिक टॉयलेट व सामुदायिक शौचालय केंद्रों की स्थापना भी की जा रही है. इन शौचालयों पर बारकोड भी अंकित किया जा रहा है, जिससे कोई भी व्यक्ति इस बार कोड को स्कैन कर सभी शौचालय के बारे में जानकारी हासिल कर सके.

जानकारी देते पूर्व पार्षद.

राजधानी लखनऊ में यदि शौचालयों की बात की जाए तो 193 पब्लिक टॉयलेट हैं, जबकि 182 सामुदायिक शौचालय हैं. लगभग 55 लाख की आबादी वाले लखनऊ में आबादी के लिहाज से शौचालयों की संख्या काफी कम है, जहां नगर निगम का दावा है कि इन शौचालयों को साफ-सुथरा बनाए रखने के साथ-साथ इनकी गुणवत्ता पर भी ध्यान दिया जाता है. वहीं लोगों का कहना है कि शौचालयों के निर्माण में गुणवत्ता का पालन नहीं किया जाता. यही कारण है कि आए दिन इन शौचालयों को लेकर शिकायतकर्ता नगर निगम दफ्तर के चक्कर काटते हैं, लेकिन यहां पर उनकी सुनने वाला कोई नहीं है.

शौचालयों के निर्माण पर खर्च होते हैं इतने रुपये
लखनऊ के नगर आयुक्त अजय द्विवेदी ने बताया कि पब्लिक टॉयलेट के निर्माण में केंद्र सरकार स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्रति सीट 78 हजार देती है और इसके साथ ही 14वें वित्त आयोग व नगर निगम अपनी निधि से इन शौचालयों का निर्माण कराता है. इसके तहत 6 सीट वाले शौचालयों के निर्माण में साढ़े 6 लाख खर्च होते हैं, जबकि 10 सीट वाले शौचालयों के निर्माण में 9 लाख 50 हजार के करीब खर्चा आता है. नगर आयुक्त ने बताया कि यह पुरानी दरें हैं. इन दरों में बढ़ोतरी भी हुई है, जो आने वाले वित्तीय वर्ष से लागू होंगी. इसके साथ ही आबादी के लिहाज से राजधानी में और अधिक शौचालयों का निर्माण कराया जाएगा, जिससे लोगों को किसी तरह की असुविधा न हो.

क्या कहते हैं पूर्व पार्षद
नगर निगम द्वारा कराए जा रहे शौचालयों के निर्माण के सवाल पर पूर्व पार्षद मुकेश सिंह चौहान का कहना है कि इन शौचालयों के निर्माण में केंद्र सरकार बजट देती है. इसके साथ ही नगर निगम अपनी निधि व 14वें वित्त आयोग से निर्माण कराता है. बावजूद इसके लगातार शौचालयों के निर्माण में शिकायतें आ रही हैं. जो बन गए हैं उन शौचालयों की शिकायतें आ रही हैं. इसके साथ ही शौचालयों के निर्माण में घटिया सामग्री का प्रयोग किया जाता है, जिसके कारण आए दिन लोग नगर निगम के दफ्तरों के चक्कर काटते रहते हैं, लेकिन यहां कोई सुनने वाला नहीं है.

बताते चलें कि नगर निगम राजधानी लखनऊ को स्मार्ट सिटी बनाने के प्रयास में लगा है. इसके तहत लखनऊ को साफ-सुथरा रखने के साथ-साथ शौचालयों को भी साफ सुथरा रखने की जनता से अपील कर रहा है. नगर निगम भले ही जनता से लखनऊ को साफ-सुथरा बनाए रखने की अपील कर रहा है, लेकिन नगर निगम द्वारा बनाए गए शौचालय गंदगी से सराबोर हैं. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि लखनऊ नगर निगम लखनऊ को स्वच्छ बनाए रखने के लिए कितना गंभीर है.

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