लखनऊ : पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन पर उत्तर प्रदेश में सोमवार को सार्वजनिक अवकाश रहा. वहीं राजधानी के केजीएमयू, पीजीआई व लोहिया संस्थान में प्रदेशभर से मरीज इलाज के लिए आते हैं. लेकिन यहां सार्वजनिक अवकाश की घोषणा वाले दिन ओपीडी खुली होने का एलान किया गया. मगर स्पष्ट गाइडलाइन जारी नहीं की गयी. ऐसे में दूर-दराज जनपदों से तमाम मरीज दिखाने आ गये. वहीं लोहिया संस्थान, पीजीआई व केजीएमयू में पहले से बुकिंग व पुराने मरीज ही देखे गए. डायरेक्ट ओपीडी आने वाले मरीजों के पर्चे नहीं बनाए गए. ऐसे में कई मरीजों को बिना इलाज के ही लौटना पड़ा.
दवा कांउटर बंद
लोहिया संस्थान में दवा काउंटर बंद रहा. ओपीडी में दिखाने वाले पुराने मरीजों को बाहर से ही दवा लेनी पड़ी. हॉस्पिटल ब्लॉक में सामान्य दवाएं तक नहीं मिलीं. वहीं भर्ती मरीजों के लिए ही अंदर से दवाएं जारी की गईं.
रेडियोलॉजी-पैथोलॉजी जांचें बंद
चिकित्सा संस्थानों में रेडियोलॉजी, पैथोलॉजी जांचें बंद रहीं. पैथोलॉजी कलेक्शन काउंटर बंद रहे. सिर्फ भर्ती मरीजों के सैम्पल वार्ड से लिए गए. इससे फॉलोअप के लिए आए मरीजों को बाहर से खून की जांच करानी पड़ी. इसके अलावा एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड जांचें भी बाहर से करानी पड़ीं.
जिला अस्पतालों में हॉफ डे ओपीडी
शहर के जिला अस्पतालों में हॉफ डे ओपीडी रही. बलरामपुर अस्पताल, सिविल अस्पताल, लोकबंधु अस्पताल व महिला में डफरिन व झलकारी की ओपीडी में दोपहर 12 बजे तक ही मरीज देखे गए.
अस्पतालों में टले कई मरीजों के ऑपरेशन
राजधानी के अस्पतालों में सोमवार को ऑपरेशन भी नहीं हुए. सिर्फ इमरजेंसी में आने वाले मरीजों की सर्जरी की गई. ऐसे में महीनों इंतजार के बाद जिन मरीजों के ऑपरेशन का नंबर आया उन्हें मायूसी हाथ लगी. केजीएमयू में 13 ऑपरेशन थिएटर हैं. इनमें 60 के करीब रूटीन सर्जरी सोमवार को होनी थी. वहीं सार्वजनिक अवकाश होने से ओटी बंद कर दी गईं. इमरजेंसी ओटी में चार-पांच गंभीर मरीजों के ही ऑपरेशन हो सके. वहीं लोहिया संस्थान में भी 20 के करीब ऑपरेशन होते हैं. यहां भी 6 मरीजों के ही ऑपरेशन हो सके. पीजीआई में भी पचास फीसद मरीजों के ऑपरेशन टाल दिए गए, इसके अलावा बलरामपुर सिविल व अन्य जिला अस्पतालों में रूटीन सर्जरी टाल दी गई.
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लोकबंधु में फेको तकनीक से आंखों का ऑपरेशन शुरू
लोकबंधु राजनारायण संयुक्त अस्पताल में आंखों का बेहतर ऑपरेशन हो सकेंगा. यहां फेको विधि से मोतियाबिंद के ऑपरेशन हो सकेंगे. इसमें मरीज को छोटा चीरा ही लगाना पड़ता है. चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी के मुताबिक फेको मशीन आ गयी है. इस मशीन से छोटे चीरे से मोतियाबिंद के ऑपरेशन संभव हैं. इसमें आंख में फोडेबल लेंस प्रत्यारोपित किया जाता है. वहीं ऑपरेशन के दो से तीन घंटे बाद मरीज की छुट्टी भी कर दी जाती है. वहीं सामान्य विधि से आंखों के ऑपरेशन में चीरा लगाने की जरूरत पड़ती है. अस्पताल में मरीजों की आंखों का मुफ्त ऑपरेशन होगा। लेंस, जांच से लेकर दवाएं तक मरीजों को मुफ्त मुहैया कराई जाती हैं.