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लखनऊः रजिस्टर्ड कॉलेज में दाखिले के लिए मेडिकोज का प्रदर्शन

राजधानी में सोमवार देर शाम हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा पर एक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने प्रदर्शन किया. उनका कहना है कि नीट के द्वारा दाखिला पाने के बावजूद इन्हें किसी भी तरह की मेडिकल एजुकेशन नहीं मिल पा रही है.

प्रदर्शन करते छात्र-छात्राएं.
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Published : Oct 15, 2019, 9:55 AM IST

लखनऊः बख्शी का तालाब स्थित जीसीआरजी इंस्टिट्यूट के दर्जनों एमबीबीएस छात्र-छात्राओं ने दाखिले और पढ़ाई के विरोध में प्रदर्शन किया. छात्र-छात्राओं की मांग थी कि उन्हें किसी रजिस्टर्ड कॉलेज में दाखिला दिया जाए, ताकि वह अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें. प्रदर्शन कर रहे छात्र-छात्राओं ने मांगों को पोस्टर पर लिखकर नारे भी लगाए.

छात्रों की मानें तो उन्हें नीट के द्वारा 2016 में जीसीआरजी इंस्टिट्यूट में प्रवेश लिया था, लेकिन 2017 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस कॉलेज की वरीयता पूरी न होने की वजह से 2 सालों के लिए डिफॉल्ट घोषित कर दिया था. छात्रों का कहना है कि 2019 में कॉलेज एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए वरीयता प्रस्तुत नहीं कर पाए, ऐसे में छात्र चाहते हैं कि उनका दाखिला किसी रजिस्टर्ड मेडिकल कॉलेज में हो जाए, ताकि वह अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें.

प्रदर्शन करते छात्र-छात्राएं.
प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना है कि रजिस्टर्ड मेडिकल कॉलेज में दाखिला पाने के लिए हम पिछले 3 सालों से सीएम, पीएमओ और गवर्नर आदि को पत्र लिख चुके हैं. इसके अलावा आरएमएल विश्वविद्यालय, हेल्थ मिनिस्ट्री, यूपी डीजीएमए, एमसीआई के भी कई चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन अब तक हमें कोई सफलता नहीं मिली है.
छात्रों की माने तो उन्होंने कॉलेज में अब तक लगभग 4 करोड़ के आसपास फीस भी दी है, लेकिन शिक्षा के नाम पर यहां केवल ठगी की जा रही है. यहां पर पढ़ाने के लिए न तो फैकल्टी है और न ही इस मेडिकल कॉलेज में कोई मरीज आता है. छात्रों ने बताया कि इंस्पेक्शन के वक्त यहां पर नकली फैकल्टी और नकली मरीज तैयार किए जाते हैं. जब भी कॉलेज में इंस्पेक्शन के लिए अधिकारी आते हैं, तो कॉलेज के स्टाफ को मरीज बनाकर बेड पर लिटा दिया जाता है.

ये भी पढे़ं:- बांदा: मत्स्य विभाग के खिलाफ बुंदेलखंड इंसाफ सेना ने किया प्रदर्शन

लखनऊः बख्शी का तालाब स्थित जीसीआरजी इंस्टिट्यूट के दर्जनों एमबीबीएस छात्र-छात्राओं ने दाखिले और पढ़ाई के विरोध में प्रदर्शन किया. छात्र-छात्राओं की मांग थी कि उन्हें किसी रजिस्टर्ड कॉलेज में दाखिला दिया जाए, ताकि वह अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें. प्रदर्शन कर रहे छात्र-छात्राओं ने मांगों को पोस्टर पर लिखकर नारे भी लगाए.

छात्रों की मानें तो उन्हें नीट के द्वारा 2016 में जीसीआरजी इंस्टिट्यूट में प्रवेश लिया था, लेकिन 2017 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस कॉलेज की वरीयता पूरी न होने की वजह से 2 सालों के लिए डिफॉल्ट घोषित कर दिया था. छात्रों का कहना है कि 2019 में कॉलेज एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए वरीयता प्रस्तुत नहीं कर पाए, ऐसे में छात्र चाहते हैं कि उनका दाखिला किसी रजिस्टर्ड मेडिकल कॉलेज में हो जाए, ताकि वह अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें.

प्रदर्शन करते छात्र-छात्राएं.
प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना है कि रजिस्टर्ड मेडिकल कॉलेज में दाखिला पाने के लिए हम पिछले 3 सालों से सीएम, पीएमओ और गवर्नर आदि को पत्र लिख चुके हैं. इसके अलावा आरएमएल विश्वविद्यालय, हेल्थ मिनिस्ट्री, यूपी डीजीएमए, एमसीआई के भी कई चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन अब तक हमें कोई सफलता नहीं मिली है.
छात्रों की माने तो उन्होंने कॉलेज में अब तक लगभग 4 करोड़ के आसपास फीस भी दी है, लेकिन शिक्षा के नाम पर यहां केवल ठगी की जा रही है. यहां पर पढ़ाने के लिए न तो फैकल्टी है और न ही इस मेडिकल कॉलेज में कोई मरीज आता है. छात्रों ने बताया कि इंस्पेक्शन के वक्त यहां पर नकली फैकल्टी और नकली मरीज तैयार किए जाते हैं. जब भी कॉलेज में इंस्पेक्शन के लिए अधिकारी आते हैं, तो कॉलेज के स्टाफ को मरीज बनाकर बेड पर लिटा दिया जाता है.

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Intro:खबर रैप से भेजी जा रही है

लखनऊ। राजधानी में देर शाम लखनऊ के एक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज के मेडिकोज ने प्रदर्शन किया नीट के द्वारा दाखिला पाने के बावजूद इन मेडिकोज को किसी भी तरह की मेडिकल एजुकेशन नहीं मिल पा रही है। उनकी मांग है कि उन्हें किसी रजिस्टर्ड कॉलेज में दाखिला करवा दिया जाए ताकि वह अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें।Body:वीओ1
हज़रतगंज स्थित गांधी प्रतिमा पर आज देर शाम mbbs छात्र छात्राओ ने प्रदर्शन किया। बख्शी का तालाब स्थित जीसीआरजी इंस्टिट्यूट के दर्जनों एमबीबीएस छात्र छात्राओं ने दाखिले और पढ़ाई के विरोध में प्रदर्शन किया छात्र छात्राओं की मांग थी कि उन्हें किसी रजिस्टर्ड कॉलेज में दाखिला दिया जाए ताकि वह अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें।
छात्रों की मानें तो उन्हें नेट के द्वारा 2016 में जीसीआरजी इंस्टिट्यूट में प्रवेश किया गया था लेकिन 2017 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस कॉलेज की वरीयता पूरी ना होने की वजह से 2 सालों के लिए डिफॉल्ट घोषित कर दिया था छात्रों का कहना है कि 2019 में कॉलेज एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए वरीयता प्रस्तुत नहीं कर पाया ऐसे में छात्र चाहते हैं कि उनका दाखिला किसी रजिस्टर्ड मेडिकल कॉलेज में हो जाए ताकि वह अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें

प्रदर्शन कर रहे एक छात्र ने बताया कि रजिस्टर्ड मेडिकल कॉलेज में दाखिला पाने के लिए हम पिछले 3 सालों से सीएम, पीएमओ, और गवर्नर आदि को पत्र लिख चुके हैं। इसके अलावा आरएमएल विश्वविद्यालय, हेल्थ मिनिस्ट्री, यूपी डीजीएमए, एमसीआई के भी कई चक्कर लगा चुके हैं। लेकिन अब तक हमें कोई सफलता नहीं मिली है।

छात्रों की माने तो उन्होंने कॉलेज में अब तक लगभग 4 करोड़ के आसपास फीस भी दी है। लेकिन शिक्षा के नाम पर यहां केवल ठगी की जा रही है। यहां पर पढ़ाने के लिए ना तो फैकल्टी है और ना ही इस मेडिकल कॉलेज में कोई मरीज आता है। छात्रों ने बताया कि इंस्पेक्शन के वक्त यहां पर नकली फैकल्टी और नकली मरीज तैयार किए जाते हैं। जब भी कॉलेज में इन्फेक्शन के लिए अधिकारी आते हैं तो कॉलेज के स्टाफ को मरीज बनाकर बेड पर लिटा दिया जाता है।Conclusion:प्रदर्शन कर रहे छात्र-छात्राओं ने अपनी मांगों को पोस्टर पर लिखकर दिखाए और साथ ही नारे भी लगाए।

विसुअल

रामांशी मिश्रा
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