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Electricity Regulatory Commission : बिजली दरों में 23 फीसदी तक वृद्धि का प्रस्ताव स्वीकार, यह है तैयारी

आयोग ने बिजली दरों में बढ़ोतरी पर आम जनता की आपत्तियां व सुझाव (Electricity Regulatory Commission) मांगे हैं. जिसके बाद अप्रैल 2023 से जनता के बीच सुनवाई होगी.

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Published : Mar 1, 2023, 7:57 AM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग ने प्रदेश की सभी बिजली कम्पनियों की तरफ से वर्ष 2023-24 की दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता, बिजली दरों में औसत 18 से 23 प्रतिशत बढ़ोतरी और वर्ष 2021-22 संबंधी प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया. अब विधिवत बिजली दरों में बढ़ोतरी पर आम जनता की आपत्तियां व सुझाव आमंत्रित किए जाएंगे. इसके बाद आम जनता की सुनवाई शुरू की जाएगी.


वर्ष 2023-24 के दाखिल प्रस्ताव, जिसमें घरेलू उपभोक्ताओं की बिजली दरों में लगभग 18 से 23 प्रतिशत तक वृद्धि प्रस्तावित की गई है तो अन्य विद्युत उपभोक्ताओं की दरों में भी औसत 10 से 15 प्रतिशत तक वृद्धि प्रस्तावित की गई है. बिजली कम्पनियों ने उद्योगों की बिजली दरों में भी 16 प्रतिशत तक वृद्धि प्रस्तावित की है. सभी बिजली कंपनियों की वार्षिक राजस्व आवश्यकता लगभग 92547 करोड़ रुपए है, वहीं वितरण हानियां 14.9 प्रतिशत हैं. वर्ष 2023-24 का गैप 9140 करोड़ है जो कुल बिजली खरीद अनुमानित की गई है वह लगभग 134751 है. विद्युत नियामक आयोग ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि जो कमियां व जवाब अभी तक बिजली कंपनियों ने नहीं दाखिल किया है वह दाखिल करें. विद्युत नियामक आयोग ने कहा कि बिजली दर पर आम जनता की सुनवाई अप्रैल 2023 से शुरू की जाएगी. आदेश के तहत सभी बिजली कम्पनियों को तीन दिन के अंदर समाचार पत्रों में बिजली दर बढ़ोतरी प्रस्ताव सहित वार्षिक राजस्व आवश्कता व सभी आंकड़ों को प्रकाशित कराना होगा. जिस पर प्रदेश के सभी विद्युत उपभोक्ताओं को आपत्तियां व सुझाव देने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है. इसके बाद बिजली दर की सुनवाई के लिए तिथियों की अलग से घोषणा विद्युत नियामक आयोग करेगा. माना जा रहा मई के अंतिम सप्ताह या जून के पहले सप्ताह तक नई बिजली दर का एलान हो जाएगा.


राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने एलान किया है कि किसी भी हालत में बिजली दरों में बढ़ोतरी प्रस्ताव को लागू नहीं होने दिया जाएगा. प्रदेश की बिजली कम्पनियों पर प्रदेश के उपभोक्ताओं का कुल 25133 करोड़ सरप्लस निकल रहा है, ऐसे में बिजली दर में बढ़ोतरी पर बात करना ही प्रदेश के उपभोक्ताओं के साथ धोखा है. कानूनन बिजली दरों में एकमुश्त 35 प्रतिशत या अगले 5 वर्षों तक सात प्रतिशत प्रत्येक वर्ष कमी की जाए, तब प्रदेश के उपभोक्ताओं का हिसाब बराबर होगा.

यह भी पढ़ें : Lucknow team in IPL:आईपीएल में लखनऊ टीम को विजेता बनाने के लिए ब्लू प्रिंट तैयार, कोच गौतम गंभीर सहित टीम जल्द आएगी

लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग ने प्रदेश की सभी बिजली कम्पनियों की तरफ से वर्ष 2023-24 की दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता, बिजली दरों में औसत 18 से 23 प्रतिशत बढ़ोतरी और वर्ष 2021-22 संबंधी प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया. अब विधिवत बिजली दरों में बढ़ोतरी पर आम जनता की आपत्तियां व सुझाव आमंत्रित किए जाएंगे. इसके बाद आम जनता की सुनवाई शुरू की जाएगी.


वर्ष 2023-24 के दाखिल प्रस्ताव, जिसमें घरेलू उपभोक्ताओं की बिजली दरों में लगभग 18 से 23 प्रतिशत तक वृद्धि प्रस्तावित की गई है तो अन्य विद्युत उपभोक्ताओं की दरों में भी औसत 10 से 15 प्रतिशत तक वृद्धि प्रस्तावित की गई है. बिजली कम्पनियों ने उद्योगों की बिजली दरों में भी 16 प्रतिशत तक वृद्धि प्रस्तावित की है. सभी बिजली कंपनियों की वार्षिक राजस्व आवश्यकता लगभग 92547 करोड़ रुपए है, वहीं वितरण हानियां 14.9 प्रतिशत हैं. वर्ष 2023-24 का गैप 9140 करोड़ है जो कुल बिजली खरीद अनुमानित की गई है वह लगभग 134751 है. विद्युत नियामक आयोग ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि जो कमियां व जवाब अभी तक बिजली कंपनियों ने नहीं दाखिल किया है वह दाखिल करें. विद्युत नियामक आयोग ने कहा कि बिजली दर पर आम जनता की सुनवाई अप्रैल 2023 से शुरू की जाएगी. आदेश के तहत सभी बिजली कम्पनियों को तीन दिन के अंदर समाचार पत्रों में बिजली दर बढ़ोतरी प्रस्ताव सहित वार्षिक राजस्व आवश्कता व सभी आंकड़ों को प्रकाशित कराना होगा. जिस पर प्रदेश के सभी विद्युत उपभोक्ताओं को आपत्तियां व सुझाव देने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है. इसके बाद बिजली दर की सुनवाई के लिए तिथियों की अलग से घोषणा विद्युत नियामक आयोग करेगा. माना जा रहा मई के अंतिम सप्ताह या जून के पहले सप्ताह तक नई बिजली दर का एलान हो जाएगा.


राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने एलान किया है कि किसी भी हालत में बिजली दरों में बढ़ोतरी प्रस्ताव को लागू नहीं होने दिया जाएगा. प्रदेश की बिजली कम्पनियों पर प्रदेश के उपभोक्ताओं का कुल 25133 करोड़ सरप्लस निकल रहा है, ऐसे में बिजली दर में बढ़ोतरी पर बात करना ही प्रदेश के उपभोक्ताओं के साथ धोखा है. कानूनन बिजली दरों में एकमुश्त 35 प्रतिशत या अगले 5 वर्षों तक सात प्रतिशत प्रत्येक वर्ष कमी की जाए, तब प्रदेश के उपभोक्ताओं का हिसाब बराबर होगा.

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