लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में राजनीतिक विज्ञान विभाग में सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्यरत डॉ. ताबिंदा सुल्ताना के निलंबन आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है. विश्वविद्यालय द्वारा उन पर परास्नातक की फर्जी डिग्री (Khwaja Moinuddin Chishti Language University Ban on suspension) का आरोप प्रथम दृष्टया सही पाते हुए, 25 अगस्त 2023 को निलंबित कर दिया गया था.
यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने डॉ. ताबिंदा सुल्ताना की ओर से दाखिल सेवा सम्बंधी याचिका पर पारित किया. याचिका का विरोध करते हुए, विश्वविद्यालय की ओर से कहा गया कि जांच पूरी होने तक याची को निलंबित रखा जाना चाहिए क्योंकि ऐसे आरोपों के साथ उनका कक्षाएं लेना उचित नहीं होगा. न्यायालय ने कहा कि याची के खिलाफ पारित आदेश का आधार मानव भारती विश्वविद्यालय द्वारा जारी पत्र है जिसमें कहा गया है कि याची व अन्य छात्रों ने चार अहर्ताऐं पूरी नहीं की हैं. न्यायालय ने कहा कि मात्र उक्त पत्र के आधार पर याची के डिग्री को फर्जी मान लेना उचित नहीं है. इन टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने 25 अगस्त के निलंबन आदेश पर अंतरिम रोक लगा दिया है. मामले की अगली सुनवाई 5 दिसम्बर को होगी.
उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय के कार्य परिषद की बैठक में डॉ. सुल्तान के एमए की डिग्री फर्जी होने की रिपोर्ट रखी गई, इस पर कार्य परिषद ने याची पर फर्जी डिग्री के सहारे नौकरी पाने का आरोप सही पाया. इसके बाद कुलपति प्रोफेसर एनबी सिंह ने कार्य परिषद की मंजूरी मिलने के बाद याची को निलंबित करते हुए उन्हें इस पूरे मामले पर अपना पक्ष रखने का दिया. विश्वविद्यालय में 2009 के बाद से नियुक्ति पाए सभी शिक्षकों के शैक्षणिक दस्तावेजों के सत्यापन करने के निर्देश दिए गए थे.