लखनऊ: बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ की प्रोफेसर लता बाजपेयी ने वर्कप्लेस पर सहकर्मियों के साथ व्यवहार को लेकर एक शोध प्रस्तुत किया. जिसमें कार्यस्थल पर कर्मचारियों के बीच पारस्परिक संबंध, कर्मचारी की संगठन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता, उनकी उत्पादकता में वृद्धि, सकारात्मक संगठनात्मक संस्कृति और सकारात्मक वातावरण की ओर बढ़ाता है. हालांकि कार्यस्थल पर 'वर्कप्लेस ऑस्ट्रसिज़्म (कार्यक्षेत्र बहिष्कार)' जैसी प्रथाए संगठन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं.
कार्यस्थल पर किसी कर्मचारी को उसके समूह के सदस्यों द्वारा नजरअंदाज करना, गलत व्यवहार करना, सहकर्मियों या अधिकारियों द्वारा जानबूझ कर अनुचित व्यवहार करना, जैसे कृत्यों को वर्कप्लेस ऑस्ट्रसिज्म (कार्यक्षेत्र बहिष्कार) के रूप में समझा जा सकता है. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ की ग्रामीण प्रबंधन विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. लता बाजपेयी सिंह ने अपने सहयोगी के साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय जर्नल, इम्पैक्ट फैक्टर 3.4, एबीडीसी-ए श्रेणी जर्नल, Q1 सूचीबद्ध एल्सेवियर प्रकाशन में 'वर्कप्लेस ऑस्ट्रसिज़्म' विषय पर एक शोध पत्र प्रकाशित किया है.
डॉ. लता की शोध लेख का निष्कर्ष यह बताता है कि कर्मचारियों के बीच वर्कप्लेस ऑस्ट्रसिज्म यानि कार्य से संबंधित समूहों से बहिष्करण की वजह से कर्मचारियों में संगठन छोड़ने की सोच को विकसित करता है. किसी व्यक्ति के दो व्यक्तित्व आयाम जैसे कि विक्षिप्तता और अनुभव करने के लिए खुलापन के कारण संगठन को छोड़ने के इरादे और कार्यक्षेत्र बहिष्कार के बीच संबंध का प्रभाव कम हो जाता है. इसके अलावा, कर्मचारी के लचीलेपन के कारण व्यक्तित्व आयामों का प्रभाव मजबूत होता है. अतः पारस्परिक संवाद को मजबूत करने और कार्यस्थल पर एक स्वस्थ्य कार्य संस्कृति बनाने के लिए, संगठनात्मक प्रशासन विभिन्न स्तरों पर सामाजिक संपर्क आधारित गतिविधियों और कार्यक्रमों का आयोजन कर सकता है. जो कर्मचारियों के मध्य संबंधों को मजबूत करेगा, नकारात्मकता को कम करेगा और संगठन को छोड़ने के लिए कर्मचारी के इरादे को भी कम करेगा. इस शोध अध्ययन में डॉ. शालिनी श्रीवास्तव, जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, नोएडा ने डॉ. लता बाजपेयी सिंह के साथ सहयोगी के रूप में काम किया है.