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प्रियंका को सता रही रायबरेली की चिंता, कंधों पर खोई प्रतिष्ठा वापस दिलाने का दबाव

उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले से कांग्रेस की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है. पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा ने कांग्रेस को उसके घर में ही घुसकर हार का दर्द दिया था. अब खोई हुई प्रतिष्ठा वापस लाना प्रियंका के लिए नाक का प्रश्न है. ऐसे में वे रायबरेली में ज्यादा एक्टिव रहकर फिर से कांग्रेस को खड़ा करना चाहती हैं. हालांकि प्रियंका की सफलता की राह में कभी उनके अपने रहे नेता ही रोड़े लगा रहे हैं.

प्रियंका को सता रही रायबरेली की चिंता
प्रियंका को सता रही रायबरेली की चिंता
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Published : Sep 12, 2021, 5:24 PM IST

लखनऊः कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी को रायबरेली की चिंता ज्यादा सता रही है. यही वजह है कि इस बार लखनऊ के दौरे के बाद प्रियंका का दो दिन का रायबरेली दौरा लगा है. इस बार वे दो दिन तक रायबरेली में रुककर कार्यकर्ताओं से मुखातिब होंगी और चुनाव के लिए संगठन को मजबूत करने का मंत्र देंगी. अहम बात यह भी है कि इस बार प्रियंका जनता से भी रूबरू होंगी.

दरअसल, रायबरेली से कांग्रेस की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है. पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा ने कांग्रेस को उसके घर में ही घुसकर हार का दर्द दिया था. अब खोई हुई प्रतिष्ठा वापस लाना प्रियंका के लिए नाक का प्रश्न है. ऐसे में वे रायबरेली में ज्यादा एक्टिव रहकर फिर से कांग्रेस को खड़ा करना चाहती हैं. हालांकि प्रियंका की सफलता की राह में कभी उनके अपने रहे नेता ही रोड़े लगा रहे हैं.

ईटीवी भारत से बात करते कांग्रेस प्रवक्ता अंशू अवस्थी
कांग्रेसी नेताओं की प्रतिष्ठा का प्रश्न
कांग्रेस का रायबरेली से अन्य पार्टियों से इतर अलग तरह का लगाव है. कांग्रेस के नेता रायबरेली को अपना घर मानते हैं. जनता ने यहां से कांग्रेस पार्टी को हमेशा से ही पूरा समर्थन दिया है, लेकिन साल 2017 से रायबरेली में कांग्रेस का गणित बिगड़ना शुरू हुआ. रायबरेली की जनता ने अब कांग्रेस को ही घर से बेघर करना शुरू कर दिया. पिछले चुनाव में कांग्रेस के गढ़ में बीजेपी ने सेंध लगाकर हाथ के पंजे को पटखनी देते हुए कमल का फूल खिला दिया. एक सीट पर सपा की साइकिल दौड़ गई. यह कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेताओं के लिए चिंता का सबब है.
तीन सीटों पर बीजेपी का कब्जा, दो पर कांग्रेस के बागी
रायबरेली की बात करें तो यहां पर कुल छह विधानसभा सीटें हैं. रायबरेली सदर, हरचंदपुर, सलोन, सरेनी, बछरावां और ऊंचाहार. इनमें से साल 2017 में भारतीय जनता पार्टी ने तीन सीटें जीती थीं, दो सीटें कांग्रेस के पाले में आई थीं और एक सीट समाजवादी पार्टी ने जीत ली थी. असल खेल इसके बाद शुरू हुआ. कांग्रेस ने जो दो सीटें जीती थीं वही विधायक बागी हो गए और कांग्रेस के खिलाफ बगावत के स्वर मुखर करने लगे. दोनों भारतीय जनता पार्टी के पक्षधर होकर कांग्रेस की नीतियों पर सवाल खड़े करने लगे. ऐसे में इन दोनों बागी विधायकों के चलते रायबरेली में कांग्रेस की जमीन पूरी तरह से दरक गई है. यहां पर अब कांग्रेस की एक भी सीट बची नहीं है.
लखनऊ दौरे पर प्रियंका गांधी (फाइल फोटो)
लखनऊ दौरे पर प्रियंका गांधी (फाइल फोटो)



धरातल से शिखर के लिए पसीना बहा रहीं प्रियंका

वैसे तो कांग्रेस समूचे उत्तर प्रदेश में ही सम्मान की लड़ाई लड़ने में जुटी हुई है, लेकिन फिक्र अपने घर रायबरेली की कुछ ज्यादा ही है. यही वजह है कि पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी रायबरेली में कांग्रेस पार्टी को धरातल से शिखर पर पहुंचाने के लिए जमकर पसीना बहा रही हैं.

सोनिया ने बचाई थी लाज

रायबरेली से कांग्रेस के गिरते जा रहे ग्राफ को 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपनी इमेज के दम पर सीट जीतकर बरकरार रखा. पार्टी की साख को काफी हद तक उन्होंने ही बचाया. उत्तर प्रदेश से कांग्रेस को सिर्फ रायबरेली की ही एकमात्र लोकसभा सीट प्राप्त हुई थी.

यह है रायबरेली में विधानसभा सीटों की स्थिति

रायबरेली सदर सीट से कांग्रेस की बागी विधायक अदिति सिंह
रायबरेली की बछरावां सीट से बीजेपी विधायक रामनरेश रावत
रायबरेली की सरेनी सीट से भाजपा विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह
रायबरेली की हरचंदपुर सीट से कांग्रेस के बागी विधायक राकेश सिंह
रायबरेली की ऊंचाहार सीट से सपा विधायक मनोज पांडेय
रायबरेली की सलोन सीट से बीजेपी विधायक स्वर्गीय दल बहादुर कोरी

क्या कहते हैं कांग्रेस नेता

कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अंशू अवस्थी का कहना है कि रायबरेली कांग्रेस का घर है. वहां की जनता हमारा परिवार है. जहां घर होता है वहां ज्यादा समय देना ही होता है, इसीलिए राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी रायबरेली को ज्यादा समय दे रही हैं. ऐसा नहीं है कि वह सिर्फ रायबरेली पर ही ध्यान दे रही हैं. पूरे उत्तर प्रदेश की सभी समस्याओं को लेकर प्रियंका गांधी आवाज उठा रही हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिए प्रियंका गांधी और कांग्रेस पार्टी एक-एक विधानसभा सीट पर सभी की समस्याओं की तरफ ध्यान दे रहे हैं. हम पूरी तरह से जनता के साथ हैं. जनता की समस्याओं को लेकर हमारी नेता की आवाज मुखर है. हम जनता के साथ हैं और जनता हमारे साथ है इससे दोनों को ही फायदा है.

पढ़ें- रायबरेली पहुंची प्रियंका गांधी, बजरंगबली के किए दर्शन

लखनऊः कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी को रायबरेली की चिंता ज्यादा सता रही है. यही वजह है कि इस बार लखनऊ के दौरे के बाद प्रियंका का दो दिन का रायबरेली दौरा लगा है. इस बार वे दो दिन तक रायबरेली में रुककर कार्यकर्ताओं से मुखातिब होंगी और चुनाव के लिए संगठन को मजबूत करने का मंत्र देंगी. अहम बात यह भी है कि इस बार प्रियंका जनता से भी रूबरू होंगी.

दरअसल, रायबरेली से कांग्रेस की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है. पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा ने कांग्रेस को उसके घर में ही घुसकर हार का दर्द दिया था. अब खोई हुई प्रतिष्ठा वापस लाना प्रियंका के लिए नाक का प्रश्न है. ऐसे में वे रायबरेली में ज्यादा एक्टिव रहकर फिर से कांग्रेस को खड़ा करना चाहती हैं. हालांकि प्रियंका की सफलता की राह में कभी उनके अपने रहे नेता ही रोड़े लगा रहे हैं.

ईटीवी भारत से बात करते कांग्रेस प्रवक्ता अंशू अवस्थी
कांग्रेसी नेताओं की प्रतिष्ठा का प्रश्न
कांग्रेस का रायबरेली से अन्य पार्टियों से इतर अलग तरह का लगाव है. कांग्रेस के नेता रायबरेली को अपना घर मानते हैं. जनता ने यहां से कांग्रेस पार्टी को हमेशा से ही पूरा समर्थन दिया है, लेकिन साल 2017 से रायबरेली में कांग्रेस का गणित बिगड़ना शुरू हुआ. रायबरेली की जनता ने अब कांग्रेस को ही घर से बेघर करना शुरू कर दिया. पिछले चुनाव में कांग्रेस के गढ़ में बीजेपी ने सेंध लगाकर हाथ के पंजे को पटखनी देते हुए कमल का फूल खिला दिया. एक सीट पर सपा की साइकिल दौड़ गई. यह कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेताओं के लिए चिंता का सबब है.
तीन सीटों पर बीजेपी का कब्जा, दो पर कांग्रेस के बागी
रायबरेली की बात करें तो यहां पर कुल छह विधानसभा सीटें हैं. रायबरेली सदर, हरचंदपुर, सलोन, सरेनी, बछरावां और ऊंचाहार. इनमें से साल 2017 में भारतीय जनता पार्टी ने तीन सीटें जीती थीं, दो सीटें कांग्रेस के पाले में आई थीं और एक सीट समाजवादी पार्टी ने जीत ली थी. असल खेल इसके बाद शुरू हुआ. कांग्रेस ने जो दो सीटें जीती थीं वही विधायक बागी हो गए और कांग्रेस के खिलाफ बगावत के स्वर मुखर करने लगे. दोनों भारतीय जनता पार्टी के पक्षधर होकर कांग्रेस की नीतियों पर सवाल खड़े करने लगे. ऐसे में इन दोनों बागी विधायकों के चलते रायबरेली में कांग्रेस की जमीन पूरी तरह से दरक गई है. यहां पर अब कांग्रेस की एक भी सीट बची नहीं है.
लखनऊ दौरे पर प्रियंका गांधी (फाइल फोटो)
लखनऊ दौरे पर प्रियंका गांधी (फाइल फोटो)



धरातल से शिखर के लिए पसीना बहा रहीं प्रियंका

वैसे तो कांग्रेस समूचे उत्तर प्रदेश में ही सम्मान की लड़ाई लड़ने में जुटी हुई है, लेकिन फिक्र अपने घर रायबरेली की कुछ ज्यादा ही है. यही वजह है कि पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी रायबरेली में कांग्रेस पार्टी को धरातल से शिखर पर पहुंचाने के लिए जमकर पसीना बहा रही हैं.

सोनिया ने बचाई थी लाज

रायबरेली से कांग्रेस के गिरते जा रहे ग्राफ को 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपनी इमेज के दम पर सीट जीतकर बरकरार रखा. पार्टी की साख को काफी हद तक उन्होंने ही बचाया. उत्तर प्रदेश से कांग्रेस को सिर्फ रायबरेली की ही एकमात्र लोकसभा सीट प्राप्त हुई थी.

यह है रायबरेली में विधानसभा सीटों की स्थिति

रायबरेली सदर सीट से कांग्रेस की बागी विधायक अदिति सिंह
रायबरेली की बछरावां सीट से बीजेपी विधायक रामनरेश रावत
रायबरेली की सरेनी सीट से भाजपा विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह
रायबरेली की हरचंदपुर सीट से कांग्रेस के बागी विधायक राकेश सिंह
रायबरेली की ऊंचाहार सीट से सपा विधायक मनोज पांडेय
रायबरेली की सलोन सीट से बीजेपी विधायक स्वर्गीय दल बहादुर कोरी

क्या कहते हैं कांग्रेस नेता

कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अंशू अवस्थी का कहना है कि रायबरेली कांग्रेस का घर है. वहां की जनता हमारा परिवार है. जहां घर होता है वहां ज्यादा समय देना ही होता है, इसीलिए राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी रायबरेली को ज्यादा समय दे रही हैं. ऐसा नहीं है कि वह सिर्फ रायबरेली पर ही ध्यान दे रही हैं. पूरे उत्तर प्रदेश की सभी समस्याओं को लेकर प्रियंका गांधी आवाज उठा रही हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिए प्रियंका गांधी और कांग्रेस पार्टी एक-एक विधानसभा सीट पर सभी की समस्याओं की तरफ ध्यान दे रहे हैं. हम पूरी तरह से जनता के साथ हैं. जनता की समस्याओं को लेकर हमारी नेता की आवाज मुखर है. हम जनता के साथ हैं और जनता हमारे साथ है इससे दोनों को ही फायदा है.

पढ़ें- रायबरेली पहुंची प्रियंका गांधी, बजरंगबली के किए दर्शन

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