लखनऊः रानी लक्ष्मीबाई अस्पताल (RLB Hospital) में यदि आपको खून से जुड़ी जांच करवानी है तो 11 बजे से पहले जाएं. इसके बाद यदि आप जाएंगे तो कर्मचारी कल आना...कहकर टरका देंगे. ऐसे में गरीब मरीजों को मजबूरी में प्राइवेट लैब का सहारा लेना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा दिक्कत इमरजेंसी के मरीजों को हो रही है. उन्हें भी टाल दिया जा रहा है. हाल में ही सपा मुखिया अखिलेश यादव ने टि्वटर पर एक तस्वीर पोस्ट की थी. उस तस्वीर में इस अस्पताल की टूटी बेंच और गंदगी नजर आ रही थी.
राजाजीपुरम स्थित रानी लक्ष्मीबाई (आरएलबी) अस्पताल में रोजाना 800 से ज्यादा मरीज ओपीडी में इलाज के लिए आते है. अस्पताल में मरीजों को काफी दुश्वारियां झेलनी पड़ रही है. सबसे ज्यादा दिक्कत खून की जांच कराने के लिए आने वाले मरीजों को हो रही है. यहां रोज करीब 150 से ज्यादा ओपीडी और भर्ती मरीजों की खून की जांच के लिए डॉक्टर लिखते हैं. मरीज जब 11 बजे जांच सैंपल देने के लिए अस्पताल की पैथोलॉजी में पहुंचते हैं तो उन्हें कर्मचारी कल आने की बात कहकर लौटा देते हैं. इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को मजबूरी में प्राइवेट लैब का रुख करना पड़ता है. जहां उनसे प्राइवेट लैब मनमाना पैसा वसूलते हैं.
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इस बारे में अस्पताल की सीएमएस डॉ. संगीता टंडन का कहना है कि हमारे पास स्टाफ की कमी है. फिर भी 11 बजे के बाद क्यों नहीं जांच हो रही है इसे दिखवाया जाएगा. सभी कर्मियों को जांच करने के सख्त निर्देश दिए जाएंगे.
दो सरकारी अस्पतालों में निदेशक की कुर्सी खाली
राजधानी के दो सरकारी अस्पतालों में निदेशक की कुर्सी खाली है. सिविल अस्पताल के पूर्व निदेशक डॉ. एसके सुंद्रियाल 31 अगस्त को रिटायर हो चुके हैं. अभी तक उनकी जगह नए निदेशक की तैनाती नहीं हो सकी है. इस वजह से अस्पताल की कई व्यवस्थाएं प्रभावित हो गई हैं. मरीजों की दिक्कतें बढ़ गई हैं. वहीं बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. रविन्द्र भी 30 अगस्त को रिटायर हो गए थे. इस बारे में महानिदेशक, स्वास्थ्य डॉ. वेदब्रत सिंह ने बताया कि सभी तैनाती शासन स्तर से होती हैं. इसी माह अस्पताल में नए निदेशक की तैनाती होगी.