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लखनऊ: नियमों को ताक पर रख निजी बीमा कंपनियां करा रहीं करोड़ों का गोरखधंधा - मोटर व्हीकल एक्ट

यूपी की राजधानी लखनऊ में बीमा कंपनियां नियमों को ताक पर रखकर करोड़ों का गोरखधंधा कर रही हैं. गाड़ियों के क्षतिग्रस्त होने पर मिलने वाले क्लेम में बीमा कंपनियां टोटल लॉस के इंश्योरेंस व टोटल लॉस के मानकों के तहत क्षतिग्रस्त वाहनों की नीलामी की मदद से ही वाहनों की चोरी का यह खेल पूरे उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे देश में कर रही हैं.

निजी बीमा कंपनियां करा रहीं करोड़ों का गोरखधंधा
निजी बीमा कंपनियां करा रहीं करोड़ों का गोरखधंधा
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Published : Aug 20, 2020, 10:54 AM IST

लखनऊ: राजधानी पुलिस ने चार पहिया लग्जरी वाहनों की चोरी करने वाले गैंग के सात से अधिक सदस्यों को गिरफ्तार किया था, जिनसे पूछताछ के आधार पर अब तक पुलिस डेढ़ सौ से अधिक चोरी की गाड़ियां रिकवर कर चुकी है. जहां एक ओर पुलिस ने चोरी की गाड़ियों के गिरोह का खुलासा किया है, वहीं दूसरी ओर हमारी पड़ताल में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि चार पहिया लग्जरी गाड़ियों की चोरी का यह सिंडीकेट(गिरोह) इंश्योरेंस कंपनी की भूमिका के बगैर चल पाना संभव नहीं है. यह खेल पूरे उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे देश में किया जा रहा है.

निजी बीमा कंपनियां करा रहीं करोड़ों का गोरखधंधा

ऐसे होता है खेल
वाहन चोरी का यह खेल टोटल लॉस इंश्योरेंस की गई गाड़ियों की आरसी(रजिस्ट्रेशन सर्टीफिकेट) और चेचिस नंबर पर किया जाता है. कई निजी इंश्योरेंस कंपनी टोटल लॉस की गाड़ी को बिना आरसी कैंसिल कराएं नीलाम करती हैं और कबाड़ी का काम करने वाले ऑनलाइन और ऑफ लाइन कबाड़ी इस गाड़ी को आरसी और चेचिस नंबर के साथ मोटी रकम पर खरीद लेते हैं. खरीददारी के बाद डैमेज गाड़ी की आरसी और चेचिस नंबर कबाड़ी को मिल जाता है. उसके बाद ऑन डिमांड इसी मॉडल व रंग की दूसरी गाड़ी की चोरी की जाती है और इस चोरी की गाड़ी पर डैमेज गाड़ी का चेचिस नंबर व रजिस्ट्रेशन नंबर अंकित कर गाड़ी को मोटी कीमत पर बेच दिया जाता है. इस तरह से चोरी की गई गाड़ी सभी दस्तावेजों के साथ सड़कों पर उतरती है और पुलिस की नजरों में धूल झोंकती रहती है. क्योंकि इस गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर भी होता है. चेचिस नंबर भी होता है और जो क्षतिग्रस्त गाड़ी कबाड़ी खरीदता है उसे अंडरग्राउंड कर दिया जाता है. ऐसे में पहचान कर पाना कठिन होता है कि यह चोरी की गाड़ी है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
एक्सपर्ट्स का कहना है कि मोटर व्हीकल एक्ट के तहत किसी भी गाड़ी का टोटल लॉस क्लेम देने से पहले उस गाड़ी की आरसी कैंसिल करवाना अनिवार्य है. बिना आरसी कैंसिल किए गाड़ी का टोटल क्लेम नहीं दिया जाना चाहिये. लेकिन तमाम निजी इंश्योरेंस कंपनी इस नियम की अनदेखी करते हुए आरसी कैंसिल किए बगैर गाड़ियों का टोटल लॉस कर रही हैं. कबाड़ी वाले को यह गाड़ी बेची जा रही है, जिसमें गाड़ी मालिक से ब्लैंक सेल लेटर पर दस्तखत करवा लिए जाते हैं या कागजी कार्यवाही कराई जाती है.
इन नियमों की होती है अनदेखी
इंश्योरेंस सेक्टर के जानकार निर्मल त्रिपाठी, जोनल चेयरमैन नॉर्थ जोन 'इसला' का कहना है कि मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के सेक्शन 55 के अनुसार किसी भी गाड़ी का टोटल लॉस तभी दिया जाएगा जब उस गाड़ी की आरसी(रजिस्ट्रेशन) को कैंसिल कराया जाएगा. लेकिन निजी कंपनी इस नियम का पालन नहीं करती हैं. 25 जुलाई 2019 को भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण की ओर से भी एक पत्र जारी कर स्पष्ट तौर पर यह निर्देशित किया गया था कि गाड़ियों का टोटल लॉस देने से पहले बीमा कंपनी सुनिश्चित करें कि गाड़ी की आरसी कैंसिल हुई है कि नहीं हुई. इसके बावजूद भी निजी बीमा कंपनी गाड़ी का टोटल लॉस इंश्योरेंस देने से पहले आरसी कैंसिल नहीं करवाती हैं, जिससे स्पष्ट है कि वाहन चोरी के पीछे बीमा कंपनियों की भूमिका है.
गाड़ी संख्या यूपी 32 HT 1127 होंडा सिटी जो अंजना पांडे के नाम पर रजिस्टर्ड है. इनके पति संजय पांडे ने बताया कि इस गाड़ी का एक्सीडेंट 16 मई 2018 को हुआ था. गाड़ी का इंश्योरेंस बजाज एलियांज कंपनी से था. बीमा की राशि दस लाख बाइस हजार रुपये थी. गाड़ी के एक्सीडेंट के बाद कंपनी ने इसे टोटल लॉस घोषित किया, जिसके बाद हमारी गाड़ी को तीन लाख 87 हजार रुपये में एक कबाड़ी वाले को बिकवा दी गई और बाकी के छह लाख पैंतीस हजार रुपये इंश्योरेंस कंपनी ने हमारे खाते में डेबिट करा दिए. इस दौरान इंश्योरेंस कंपनी ने गाड़ी के सेल लेटर पर साइन भी करवाया. गाड़ी अभी भी मेरी पत्नी अंजना पांडे के नाम पर रजिस्टर्ड है, जिसको लेकर हम कई बार पत्र भी लिख चुके हैं.

केस दो

वहीं एक दूसरे मामले में गाड़ी संख्या UP 78 DC 2439 के मालिक राहुल गुप्ता ने ईटीवी भारत को फोन पर जानकारी देते हुए बताया कि उनकी गाड़ी आई-20 का 18 जनवरी 2020 को एक्सीडेंट हो गया था. गाड़ी का इंश्योरेंस इफको टोकियो कंपनी से दो लाख बाइस हजार रुपये का था. गाड़ी का इंश्योरेंस टोटल लॉस पर दिया गया, जिसके बाद गाड़ी को एक कबाड़ी कंपनी को एक लाख सत्तर हजार रुपये में बेंच दी गई. गाड़ी की लिखा पढ़ी एक कागज पर कराई गई, अभी तक गाड़ी की आरसी(रजिस्ट्रेशन) कैंसिल नहीं कराई गई है. गाड़ी ट्रांसफर कराने के लिए लिखा पढ़ी की जाएगी. राहुल गुप्ता की बातचीत से स्पष्ट है कि उन्हें टोटल लॉस का क्लेम कंपनी की ओर से दिया गया है. लेकिन उनकी गाड़ी की आरसी नहीं कैंसिल कराई गई है, जो नियमों के विरुद्ध है.

डीसीपी सोमेन वर्मा ने कहा कि गाड़ियों की चोरी के सिंडिकेट का खुलासा किया गया है. बड़ी संख्या में गाड़ियां भी बरामद की गई है. इस पूरे गैंग के खिलाफ लखनऊ पुलिस लगातार सक्रिय है और आगे कार्रवाई की जा रही है. हम विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए आगे की जांच कर रहे हैं.

लखनऊ: राजधानी पुलिस ने चार पहिया लग्जरी वाहनों की चोरी करने वाले गैंग के सात से अधिक सदस्यों को गिरफ्तार किया था, जिनसे पूछताछ के आधार पर अब तक पुलिस डेढ़ सौ से अधिक चोरी की गाड़ियां रिकवर कर चुकी है. जहां एक ओर पुलिस ने चोरी की गाड़ियों के गिरोह का खुलासा किया है, वहीं दूसरी ओर हमारी पड़ताल में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि चार पहिया लग्जरी गाड़ियों की चोरी का यह सिंडीकेट(गिरोह) इंश्योरेंस कंपनी की भूमिका के बगैर चल पाना संभव नहीं है. यह खेल पूरे उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे देश में किया जा रहा है.

निजी बीमा कंपनियां करा रहीं करोड़ों का गोरखधंधा

ऐसे होता है खेल
वाहन चोरी का यह खेल टोटल लॉस इंश्योरेंस की गई गाड़ियों की आरसी(रजिस्ट्रेशन सर्टीफिकेट) और चेचिस नंबर पर किया जाता है. कई निजी इंश्योरेंस कंपनी टोटल लॉस की गाड़ी को बिना आरसी कैंसिल कराएं नीलाम करती हैं और कबाड़ी का काम करने वाले ऑनलाइन और ऑफ लाइन कबाड़ी इस गाड़ी को आरसी और चेचिस नंबर के साथ मोटी रकम पर खरीद लेते हैं. खरीददारी के बाद डैमेज गाड़ी की आरसी और चेचिस नंबर कबाड़ी को मिल जाता है. उसके बाद ऑन डिमांड इसी मॉडल व रंग की दूसरी गाड़ी की चोरी की जाती है और इस चोरी की गाड़ी पर डैमेज गाड़ी का चेचिस नंबर व रजिस्ट्रेशन नंबर अंकित कर गाड़ी को मोटी कीमत पर बेच दिया जाता है. इस तरह से चोरी की गई गाड़ी सभी दस्तावेजों के साथ सड़कों पर उतरती है और पुलिस की नजरों में धूल झोंकती रहती है. क्योंकि इस गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर भी होता है. चेचिस नंबर भी होता है और जो क्षतिग्रस्त गाड़ी कबाड़ी खरीदता है उसे अंडरग्राउंड कर दिया जाता है. ऐसे में पहचान कर पाना कठिन होता है कि यह चोरी की गाड़ी है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
एक्सपर्ट्स का कहना है कि मोटर व्हीकल एक्ट के तहत किसी भी गाड़ी का टोटल लॉस क्लेम देने से पहले उस गाड़ी की आरसी कैंसिल करवाना अनिवार्य है. बिना आरसी कैंसिल किए गाड़ी का टोटल क्लेम नहीं दिया जाना चाहिये. लेकिन तमाम निजी इंश्योरेंस कंपनी इस नियम की अनदेखी करते हुए आरसी कैंसिल किए बगैर गाड़ियों का टोटल लॉस कर रही हैं. कबाड़ी वाले को यह गाड़ी बेची जा रही है, जिसमें गाड़ी मालिक से ब्लैंक सेल लेटर पर दस्तखत करवा लिए जाते हैं या कागजी कार्यवाही कराई जाती है.
इन नियमों की होती है अनदेखी
इंश्योरेंस सेक्टर के जानकार निर्मल त्रिपाठी, जोनल चेयरमैन नॉर्थ जोन 'इसला' का कहना है कि मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के सेक्शन 55 के अनुसार किसी भी गाड़ी का टोटल लॉस तभी दिया जाएगा जब उस गाड़ी की आरसी(रजिस्ट्रेशन) को कैंसिल कराया जाएगा. लेकिन निजी कंपनी इस नियम का पालन नहीं करती हैं. 25 जुलाई 2019 को भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण की ओर से भी एक पत्र जारी कर स्पष्ट तौर पर यह निर्देशित किया गया था कि गाड़ियों का टोटल लॉस देने से पहले बीमा कंपनी सुनिश्चित करें कि गाड़ी की आरसी कैंसिल हुई है कि नहीं हुई. इसके बावजूद भी निजी बीमा कंपनी गाड़ी का टोटल लॉस इंश्योरेंस देने से पहले आरसी कैंसिल नहीं करवाती हैं, जिससे स्पष्ट है कि वाहन चोरी के पीछे बीमा कंपनियों की भूमिका है.
गाड़ी संख्या यूपी 32 HT 1127 होंडा सिटी जो अंजना पांडे के नाम पर रजिस्टर्ड है. इनके पति संजय पांडे ने बताया कि इस गाड़ी का एक्सीडेंट 16 मई 2018 को हुआ था. गाड़ी का इंश्योरेंस बजाज एलियांज कंपनी से था. बीमा की राशि दस लाख बाइस हजार रुपये थी. गाड़ी के एक्सीडेंट के बाद कंपनी ने इसे टोटल लॉस घोषित किया, जिसके बाद हमारी गाड़ी को तीन लाख 87 हजार रुपये में एक कबाड़ी वाले को बिकवा दी गई और बाकी के छह लाख पैंतीस हजार रुपये इंश्योरेंस कंपनी ने हमारे खाते में डेबिट करा दिए. इस दौरान इंश्योरेंस कंपनी ने गाड़ी के सेल लेटर पर साइन भी करवाया. गाड़ी अभी भी मेरी पत्नी अंजना पांडे के नाम पर रजिस्टर्ड है, जिसको लेकर हम कई बार पत्र भी लिख चुके हैं.

केस दो

वहीं एक दूसरे मामले में गाड़ी संख्या UP 78 DC 2439 के मालिक राहुल गुप्ता ने ईटीवी भारत को फोन पर जानकारी देते हुए बताया कि उनकी गाड़ी आई-20 का 18 जनवरी 2020 को एक्सीडेंट हो गया था. गाड़ी का इंश्योरेंस इफको टोकियो कंपनी से दो लाख बाइस हजार रुपये का था. गाड़ी का इंश्योरेंस टोटल लॉस पर दिया गया, जिसके बाद गाड़ी को एक कबाड़ी कंपनी को एक लाख सत्तर हजार रुपये में बेंच दी गई. गाड़ी की लिखा पढ़ी एक कागज पर कराई गई, अभी तक गाड़ी की आरसी(रजिस्ट्रेशन) कैंसिल नहीं कराई गई है. गाड़ी ट्रांसफर कराने के लिए लिखा पढ़ी की जाएगी. राहुल गुप्ता की बातचीत से स्पष्ट है कि उन्हें टोटल लॉस का क्लेम कंपनी की ओर से दिया गया है. लेकिन उनकी गाड़ी की आरसी नहीं कैंसिल कराई गई है, जो नियमों के विरुद्ध है.

डीसीपी सोमेन वर्मा ने कहा कि गाड़ियों की चोरी के सिंडिकेट का खुलासा किया गया है. बड़ी संख्या में गाड़ियां भी बरामद की गई है. इस पूरे गैंग के खिलाफ लखनऊ पुलिस लगातार सक्रिय है और आगे कार्रवाई की जा रही है. हम विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए आगे की जांच कर रहे हैं.

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