महराजगंज: जिले में जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से निजी अस्पताल संचालक मरीजों के स्वास्थ्य के साथ बेखौफ होकर खिलवाड़ कर रहे हैं. इन पर जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई के बजाय मूकदर्शक बने हुए हैं. जिले में 67 निजी अस्पतालों के संचालन के लिए किसी न किसी एमबीबीएस डॉक्टर के नाम से स्वास्थ्य विभाग ने लाइसेंस जारी किया है. इसमें कुछ अस्पतालों को छोड़कर अधिकांश निजी अस्पताल बिना एमबीबीएस डॉक्टरों के ही संचालित हो रहे हैं. सिर्फ एमबीबीएस डॉक्टरों के नाम से लाइसेंस लिया गया है, जिसकी आड़ में अप्रशिक्षित लोग निजी अस्पतालों का संचालन स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से कर रहे हैं.इन अस्पतालों के साइन बोर्ड पर बड़े-बड़े नामी डॉक्टरों का नाम लिखा गया है, जिसे देखकर मरीज इलाज के लिए उन अस्पतालों में पहुंचते हैं. वहां उन बड़े नामी डॉक्टरों के जगह अप्रशिक्षित लोग ही मरीजों का इलाज करके आर्थिक शोषण के साथ ही मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते हैं.
ऐसे निजी अस्पतालों को चिन्हित करके कार्रवाई करने की जिम्मेदारी जिले में कई वर्षों से तैनात डिप्टी सीएमओ डॉक्टर आईए अंसारी को दी गई है. आरोप है कि, डिप्टी सीएमओ सिर्फ उन्हीं उन्हीं अस्पतालों पर कार्रवाई करते हैं जो हर महीने सुविधा शुल्क देने में असमर्थ होते हैं. एक निजी अस्पताल संचालक की मानें तो बिना डॉक्टरों के संचालित निजी अस्पतालों के द्वारा हर महीने एक बंधी-बंधाई रकम जिम्मेदार लोगों के पास पहुंच जाती है. ऐसे निजी अस्पतालों को अधिकारीयों के द्वारा खुला संरक्षण दिया जाता है.
जिले के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की ओपीडी का संचालन शुरू हो गया है. जहां सभी डॉक्टर मौजूद हैं. स्वास्थ्य केंद्रों में पहुंच कर मरीजों को अपना इलाज कराना चाहिए. बिना डॉक्टरों के संचालित ऐसे निजी अस्पतालों की जांच करा कर कार्रवाई की जाएगी. जिले में ऐसे तमाम अल्ट्रासाउंड सेंटर और निजी अस्पतालों को बंद कराया गया है और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की गई है.
-डॉ. उज्ज्वल कुमार, जिलाधिकारी