लखनऊ : लोक निर्माण विभाग (Public Works Department) के प्रमुख सचिव नरेंद्र भूषण (Principal Secretary Narendra Bhushan) ने नियुक्ति विभाग के आदेश को दरकिनार करते हुए अपनी छुट्टी के दौरान अपने विभाग के सचिव अजय चौहान (Secretary Ajay Chauhan) को प्रमुख सचिव का दायित्व सौंप दिया. नियुक्ति विभाग की ओर से आदेश करके उनकी छुट्टी के दौरान प्रमुख सचिव का दायित्व आवास विभाग के प्रमुख सचिव नितिन रमेश गोकर्ण को सौंपा गया था. अधिकारियों के बीच की इस कशमकश को लेकर ब्यूरोक्रेसी में चर्चा आम है. आरोप लगाया जा रहा है कि नरेंद्र भूषण नियुक्ति विभाग के आदेशों का उल्लंघन कर रहे हैं. जबकि नरेंद्र भूषण का कहना है कि वे हमेशा सरकार के आदेशों का पालन करते हैं.
लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव नरेंद्र भूषण (Narendra Bhushan, Principal Secretary, Public Works Department) ने नियुक्ति विभाग के आदेश (orders of appointment department) के खिलाफ मनमानी की है. अपने विभागीय सचिव अजय चौहान को छुट्टी अवधि के दौरान प्रमुख सचिव का कार्यभार देने का आदेश जारी कर दिया. जिसकी चर्चा नियुक्ति विभाग में खूब हो रही है. नरेंद्र भूषण एक सप्ताह के अवकाश पर हैं. उनकी छुट्टी मंजूर करते हुए अवकाश अवधि के दौरान प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग का अतिरिक्त कार्यभार देखने का आदेश 30 नवंबर को नियुक्ति विभाग की तरफ से प्रमुख सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण (Principal Secretary Housing Nitin Ramesh Gokarn) को जारी किया गया था, लेकिन इस आदेश को दरकिनार करते हुए प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग नरेंद्र भूषण ने लोक निर्माण विभाग के सचिव अजय चौहान को छुट्टी अवधि के दौरान प्रमुख सचिव का कार्यभार सौंपने का आदेश 22 दिसबंर को जारी कर दिया. नरेंद्र भूषण 23 दिसंबर 2022 से 1 जनवरी 2023 तक अवकाश पर हैं, लेकिन उनके अपने विभागीय सचिव को चार्ज देकर नियुक्ति विभाग के आदेश का अनुपालन किए बैगर उल्टे मनमानी और अवहेलना करना शासन में चर्चा का विषय है.
इस मामले में ईटीवी भारत ने प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी नरेंद्र भूषण और आवास विभाग के प्रमुख सचिव नितिन रमेश गोकर्ण दोनों से फोन पर बातचीत करने का प्रयास किया. जिस पर जवाब देते हुए इस मामले में लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव नरेंद्र भूषण ने बताया कि मैं हमेशा सरकार के आदेशों का पालन करता हूं और यहां भी पालन कर रहा हूं. कुछ निहित स्वार्थ से प्रेरित अधिकारियों ने मेरे काम को देखने के बजाय, कमर के नीचे प्रहार करने की' रणनीति का सहारा लिया है. जबकि नियम यह कहते हैं कि किसी भी विभाग में किसी अधिकारी की छुट्टी पर उसके अधीनस्थ को ही उसका कार्यभार सौंपा जाता है. नियुक्ति विभाग के पास यह विशेषाधिकार है कि वह किसी अन्य अधिकारी को भी उस समय के लिए विभाग का प्रभार दे सकता है.