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फूड एक्सपो 2022, एपीसी ने कहा, टेक्सटाइल के बाद फूड सेक्टर में ज्यादा रोजगार

प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) मनोज कुमार सिंह ने बताया कि यूपी की अर्थव्यवस्था लगभग 250 बिलियन डॉलर की है. इसमें से 4.5 लाख करोड़ रुपये कृषि और 50 हजार करोड़ रुपये का योगदान फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र का है. टेक्सटाइल के बाद फूड सेक्टर में ज्यादा रोजगार है. देश में एमएसएमई सेक्टर राेजगार उपलब्ध कराने में दूसरे नंबर पर है.

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Published : Nov 1, 2022, 3:27 PM IST

लखनऊ. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) का अपने पहले कार्यकाल से यह मानना रहा है कि उत्तर प्रदेश पर प्रकृति एवं परमात्मा की असीम अनुकंपा है. दुनिया की सबसे उर्वर भूमि में शुमार इंडो गंगेटिक बेल्ट का विस्तृत भूभाग, इसको सींचने वाली गंगा, यमुना एवं सरयू जैसी सदानीरा नदियां और नौ तरह के कृषि जलवायु क्षेत्र खेतीबाड़ी की संभावनाओं को और बढ़ा देते हैं. अगर हम अपनी उपज का प्रसंस्करण कर उनका मूल्य संवर्धन कर दें तो कई लाभ होंगे. मसलन किसानों को उनकी उपज का दाम मिलेगा. प्रसंस्करण संबंधी उद्योग स्थापित होने से स्थानीय स्तर पर उपज की ग्रेडिंग, पैकिंग, ट्रांसपोर्टेशन, लोडिंग, अनलोडिंग, मार्केटिंग के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार मिलेगा. किसानों की आय तो बढ़ेगी साथ ही ये इकाइयां हर परिवार, एक रोजगार एवं प्रेदश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने में भी मददगार होंगी. खेतीबाड़ी से जुड़े करीब 15 उत्पादों के उपज में यूपी नंबर वन है. इस वजह से यहां खाद्य प्रसंस्करण की संभावना और बढ़ जाती है. सरकार भी इन संभावनाओं से भलीभांति वाकिफ है. लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में 2 से 4 नवम्बर को आयोजित कृषि आधारित एमएसएमई उद्यमी महासम्मेलन एवं इंडिया फ़ूड एक्सपो 2022 (india food expo 2022) की तैयारियों को लेकर पत्रकारवार्ता आयोजित की गई.

प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) मनोज कुमार सिंह ने बताया कि यूपी की अर्थव्यवस्था लगभग 250 बिलियन डॉलर की है. इसमें से 4.5 लाख करोड़ रुपये कृषि और 50 हजार करोड़ रुपये का योगदान फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र का है. टेक्सटाइल के बाद फूड सेक्टर में ज्यादा रोजगार है. देश में एमएसएमई सेक्टर राेजगार उपलब्ध कराने में दूसरे नंबर पर है. आयोजन में भाग लेने वाले संस्थानों और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को विस्तार का नया फलक मिलेगा. औद्योगिक संगठन एसोचैम और चार्टर्ड एकाउंटेंट की वैश्विक संस्था ग्रैंडथार्टन की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2024 तक इस क्षेत्र में करीब एक करोड़ रोजगार के मौके सृजित होंगे. उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) का अपने पहले कार्यकाल से ही यह मानना रहा है कि खाद्य पदार्थों, सब्जियों और फलों के मूल्य संवर्धन (वैल्यू एडिशन) से ही किसानों की आय बढ़ेगी. योगी 2.0 की शुरुआत में भी खेतीबाड़ी से जुड़े सात विभागों की मंत्री परिषद के समक्ष हुई बैठक में मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए थे कि पहले चरण में वाराणसी, गोरखपुर, झांसी, बुलन्दशहर और लखीमपुर खीरी के लिए इस बाबत योजना तैयार की जाए. प्रदेश की लगभग सभी मंडियों में इतनी जमीन है कि उनमें वहां की जरूरत के अनुसार, प्रसंस्करण इकाइयां लगाई जाएं. लिहाजा मंडियों में पब्लिक, प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना की जाए. ऐसी ही पहल हर जिले में बने कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के लिए भी की जाए. यही नहीं तैयार और कच्चे माल के सुरक्षित भंडारण के लिए स्टोरेज बनाने का निर्देश भी मुख्यमंत्री ने दिया था. चूंकि यूपी गेंहू, गोभी, तरबूज, आम, अमरुद, आवला, शाक भांजी, मेंथा, दूध और मांस आदि के उत्पादन में देश में नंबर एक है.

सर्वाधिक आबादी के नाते श्रम और बाजार भी कोई समस्या नहीं है. नौ तरह के कृषि जलवायु क्षेत्र और भरपूर पानी की उपलब्धता की वजह से किसानों को प्रसंस्करण इकाइयों की मांग के अनुसार फसल उगाना आसान है. इन्हीं संभावनाओं के मद्देनजर योगी सरकार का जोर खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा देने का है. दो से चार नवम्बर तक होने वाले आयोजन का मकसद भी यही है. भाजपा ने अपने लोक कल्याण संकल्प पत्र-2022 में प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में 6 मेगा फूड पार्क लगाने के प्रति प्रतिबद्धता जतायी थी. बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया. सहारनपुर, लखनऊ, हापुड़, कुशीनगर, चंदौली व कौशाम्बी में आलू और क्षेत्र विशेष की फसलों को ध्यान में रखते हुए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजनांतर्गत 14 नए इन्क्यूबेशन सेंटरों का निर्माण शुरू करने की तैयारी है. अपने पहले कार्यकाल के शुरुआती दिनों में ही नई खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति जारी कर सीएम योगी ने संभावनाओं से भरे इस सेक्टर को एक दिशा दी थी. लगातार कोशिशों के नतीजे भी सकारात्मक रहे. इस दौरान उद्यान (हॉर्टिकल्चर) सेक्टर में जहां फल, शाकभाजी, फूल, मसाला फसलों आच्छादन में 1.01 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल का विस्तार हुआ तो उत्पादन में भी 07 फीसदी तक बढ़ोतरी दर्ज की गई. इंडो-इजराइल तकनीक पर आधारित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बस्ती (फल) और कन्नौज (सब्जी) में स्वीकृत हुआ तो संरक्षित खेती से पुष्प और सब्जी उत्पादन के लिए 177 हेक्टेयर क्षेत्रफल में 554 किसानों द्वारा पॉलीहाउस, शेडनेट हाउस भी तैयार कराया गया.

आलू के भंडारण की क्षमता में 30 लाख मीट्रिक टन की बढ़ोतरी हुई तो प्याज भंडारण के लिए करीब 200 भंडारण केंद्र बनाए गए. कृषि उत्पादक संगठनों को प्रोत्साहन देने की रणनीति के तहत जल्द ही फसल विशेष के लीड 4000 नए एफपीओ बनाने की तैयारी है. इन्हें 18 लाख रुपए तक का अनुदान भी देय होगा. रोजगारोन्मुखी कोशिशों के तहत कुकरी, बेकरी और कन्फेक्शनरी के लिए युवाओं को ट्रेनिंग देने का विशेष अभियान जल्द ही शुरू होने जा रहा है. इसी तरह राजकीय खाद्य विज्ञान प्रशिक्षण केंद्रों पर एक वर्षीय, एक माह, 100 दिन की अवधि वाले ट्रेड डिप्लोमा कोर्स और राजकीय सामुदायिक फल संरक्षण केंद्रों पर 15 दिन, 03 दिन की अल्प अवधि के प्रशिक्षण कोर्स भी शुरू करने की योजना पर सरकार काम कर रही है. केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, खेत से बाजार तक पहुंचने के दौरान हर साल करीब 92651 करोड़ के अनाज, दूध, फल, मांस और मछलियां बर्बाद हो जाती हैं. इनमें से 40811 करोड़ रुपये की सिर्फ फल और सब्जियां होती हैं. चूंकि तमाम चीजों के उत्पादन में उत्तर प्रदेश ही अग्रणी है. लिहाजा सर्वाधिक घाटा भी यहां के ही किसान रहते हैं.

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प्रसंस्करण की इकाइयां लगने से यह बर्बादी रुकेगी. इसका सीधा लाभ यहां के किसानों को मिलेगा. साथ ही इन इकाइयों के लिए कच्चे और तैयार माल के उत्पादन, ग्रेडिंग, पैकिंग, लोडिंग-अनलोडिंग और इनको बाजार तक पहुंचाने के क्रम में स्थानीय स्तर पर लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार मिलेगा. ऐसा होने पर प्याज, आलू, टमाटर की मंदी सुर्खियां नहीं बनेंगी. प्रसंस्करण तो एक जरिया होगा ही, साथ ही सरकार ऐसी फसलों का एमसपी के दायरे में लाएगी. इसके लिए एक हजार करोड़ रुपये का 'भामाशाह भाव स्थिरता कोष' बनेंगे.

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लखनऊ. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) का अपने पहले कार्यकाल से यह मानना रहा है कि उत्तर प्रदेश पर प्रकृति एवं परमात्मा की असीम अनुकंपा है. दुनिया की सबसे उर्वर भूमि में शुमार इंडो गंगेटिक बेल्ट का विस्तृत भूभाग, इसको सींचने वाली गंगा, यमुना एवं सरयू जैसी सदानीरा नदियां और नौ तरह के कृषि जलवायु क्षेत्र खेतीबाड़ी की संभावनाओं को और बढ़ा देते हैं. अगर हम अपनी उपज का प्रसंस्करण कर उनका मूल्य संवर्धन कर दें तो कई लाभ होंगे. मसलन किसानों को उनकी उपज का दाम मिलेगा. प्रसंस्करण संबंधी उद्योग स्थापित होने से स्थानीय स्तर पर उपज की ग्रेडिंग, पैकिंग, ट्रांसपोर्टेशन, लोडिंग, अनलोडिंग, मार्केटिंग के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार मिलेगा. किसानों की आय तो बढ़ेगी साथ ही ये इकाइयां हर परिवार, एक रोजगार एवं प्रेदश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने में भी मददगार होंगी. खेतीबाड़ी से जुड़े करीब 15 उत्पादों के उपज में यूपी नंबर वन है. इस वजह से यहां खाद्य प्रसंस्करण की संभावना और बढ़ जाती है. सरकार भी इन संभावनाओं से भलीभांति वाकिफ है. लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में 2 से 4 नवम्बर को आयोजित कृषि आधारित एमएसएमई उद्यमी महासम्मेलन एवं इंडिया फ़ूड एक्सपो 2022 (india food expo 2022) की तैयारियों को लेकर पत्रकारवार्ता आयोजित की गई.

प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) मनोज कुमार सिंह ने बताया कि यूपी की अर्थव्यवस्था लगभग 250 बिलियन डॉलर की है. इसमें से 4.5 लाख करोड़ रुपये कृषि और 50 हजार करोड़ रुपये का योगदान फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र का है. टेक्सटाइल के बाद फूड सेक्टर में ज्यादा रोजगार है. देश में एमएसएमई सेक्टर राेजगार उपलब्ध कराने में दूसरे नंबर पर है. आयोजन में भाग लेने वाले संस्थानों और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को विस्तार का नया फलक मिलेगा. औद्योगिक संगठन एसोचैम और चार्टर्ड एकाउंटेंट की वैश्विक संस्था ग्रैंडथार्टन की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2024 तक इस क्षेत्र में करीब एक करोड़ रोजगार के मौके सृजित होंगे. उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) का अपने पहले कार्यकाल से ही यह मानना रहा है कि खाद्य पदार्थों, सब्जियों और फलों के मूल्य संवर्धन (वैल्यू एडिशन) से ही किसानों की आय बढ़ेगी. योगी 2.0 की शुरुआत में भी खेतीबाड़ी से जुड़े सात विभागों की मंत्री परिषद के समक्ष हुई बैठक में मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए थे कि पहले चरण में वाराणसी, गोरखपुर, झांसी, बुलन्दशहर और लखीमपुर खीरी के लिए इस बाबत योजना तैयार की जाए. प्रदेश की लगभग सभी मंडियों में इतनी जमीन है कि उनमें वहां की जरूरत के अनुसार, प्रसंस्करण इकाइयां लगाई जाएं. लिहाजा मंडियों में पब्लिक, प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना की जाए. ऐसी ही पहल हर जिले में बने कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के लिए भी की जाए. यही नहीं तैयार और कच्चे माल के सुरक्षित भंडारण के लिए स्टोरेज बनाने का निर्देश भी मुख्यमंत्री ने दिया था. चूंकि यूपी गेंहू, गोभी, तरबूज, आम, अमरुद, आवला, शाक भांजी, मेंथा, दूध और मांस आदि के उत्पादन में देश में नंबर एक है.

सर्वाधिक आबादी के नाते श्रम और बाजार भी कोई समस्या नहीं है. नौ तरह के कृषि जलवायु क्षेत्र और भरपूर पानी की उपलब्धता की वजह से किसानों को प्रसंस्करण इकाइयों की मांग के अनुसार फसल उगाना आसान है. इन्हीं संभावनाओं के मद्देनजर योगी सरकार का जोर खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा देने का है. दो से चार नवम्बर तक होने वाले आयोजन का मकसद भी यही है. भाजपा ने अपने लोक कल्याण संकल्प पत्र-2022 में प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में 6 मेगा फूड पार्क लगाने के प्रति प्रतिबद्धता जतायी थी. बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया. सहारनपुर, लखनऊ, हापुड़, कुशीनगर, चंदौली व कौशाम्बी में आलू और क्षेत्र विशेष की फसलों को ध्यान में रखते हुए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजनांतर्गत 14 नए इन्क्यूबेशन सेंटरों का निर्माण शुरू करने की तैयारी है. अपने पहले कार्यकाल के शुरुआती दिनों में ही नई खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति जारी कर सीएम योगी ने संभावनाओं से भरे इस सेक्टर को एक दिशा दी थी. लगातार कोशिशों के नतीजे भी सकारात्मक रहे. इस दौरान उद्यान (हॉर्टिकल्चर) सेक्टर में जहां फल, शाकभाजी, फूल, मसाला फसलों आच्छादन में 1.01 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल का विस्तार हुआ तो उत्पादन में भी 07 फीसदी तक बढ़ोतरी दर्ज की गई. इंडो-इजराइल तकनीक पर आधारित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बस्ती (फल) और कन्नौज (सब्जी) में स्वीकृत हुआ तो संरक्षित खेती से पुष्प और सब्जी उत्पादन के लिए 177 हेक्टेयर क्षेत्रफल में 554 किसानों द्वारा पॉलीहाउस, शेडनेट हाउस भी तैयार कराया गया.

आलू के भंडारण की क्षमता में 30 लाख मीट्रिक टन की बढ़ोतरी हुई तो प्याज भंडारण के लिए करीब 200 भंडारण केंद्र बनाए गए. कृषि उत्पादक संगठनों को प्रोत्साहन देने की रणनीति के तहत जल्द ही फसल विशेष के लीड 4000 नए एफपीओ बनाने की तैयारी है. इन्हें 18 लाख रुपए तक का अनुदान भी देय होगा. रोजगारोन्मुखी कोशिशों के तहत कुकरी, बेकरी और कन्फेक्शनरी के लिए युवाओं को ट्रेनिंग देने का विशेष अभियान जल्द ही शुरू होने जा रहा है. इसी तरह राजकीय खाद्य विज्ञान प्रशिक्षण केंद्रों पर एक वर्षीय, एक माह, 100 दिन की अवधि वाले ट्रेड डिप्लोमा कोर्स और राजकीय सामुदायिक फल संरक्षण केंद्रों पर 15 दिन, 03 दिन की अल्प अवधि के प्रशिक्षण कोर्स भी शुरू करने की योजना पर सरकार काम कर रही है. केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, खेत से बाजार तक पहुंचने के दौरान हर साल करीब 92651 करोड़ के अनाज, दूध, फल, मांस और मछलियां बर्बाद हो जाती हैं. इनमें से 40811 करोड़ रुपये की सिर्फ फल और सब्जियां होती हैं. चूंकि तमाम चीजों के उत्पादन में उत्तर प्रदेश ही अग्रणी है. लिहाजा सर्वाधिक घाटा भी यहां के ही किसान रहते हैं.

यह भी पढ़ें : लोक निर्माण मंत्री को नदारद मिले पीडब्ल्यूडी मुख्यालय के अधिकांश कर्मचारी, होगा एक्शन

प्रसंस्करण की इकाइयां लगने से यह बर्बादी रुकेगी. इसका सीधा लाभ यहां के किसानों को मिलेगा. साथ ही इन इकाइयों के लिए कच्चे और तैयार माल के उत्पादन, ग्रेडिंग, पैकिंग, लोडिंग-अनलोडिंग और इनको बाजार तक पहुंचाने के क्रम में स्थानीय स्तर पर लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार मिलेगा. ऐसा होने पर प्याज, आलू, टमाटर की मंदी सुर्खियां नहीं बनेंगी. प्रसंस्करण तो एक जरिया होगा ही, साथ ही सरकार ऐसी फसलों का एमसपी के दायरे में लाएगी. इसके लिए एक हजार करोड़ रुपये का 'भामाशाह भाव स्थिरता कोष' बनेंगे.

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