लखनऊ: बलरामपुर समेत दूसरे सरकारी अस्पतालों में कार्यरत रहे रिटायर्ड डॉक्टर के अस्पताल में बीते शुक्रवार को प्रसूता की जान गई थी. स्वास्थ्य विभाग की शुरूआती जांच में इसका खुलासा हुआ है. अफसरों का कहना है डॉक्टर पर गंभीर आरोप होने बाद से निलंबित हुए थे. पुलिस ने सीएमओ कार्यालय में पत्र भेजकर विशेषज्ञ की राय मांगी है. इसके बाद मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जायेगी.
जानकीपुरम शुक्ला चौराहा स्थित एक निजी हॉस्पिटल में प्रसव पीड़ा होने पर सीतापुर की रहने वाली गर्भवती उमेश की पत्नी आरती (35) को परिजन अस्पलात लाए थे. अस्पताल के दलाल अजय ने बेहतर इलाज का झांसा देकर गर्भवती को भर्ती कराया था. सिजेरियन ऑपरेशन के बाद महिला की मौत हो गई. परिजनों ने मुकदमा दर्ज कराए जाने के लिए तहरीर दी है. पुलिस ने सीएमओ कार्यालय पत्र भेजकर एक्सपर्ट की राय मांगी है.
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सीएमओ कार्यालय से शुरूआती जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि, अस्पताल संचालक पहले सरकारी अस्पतालों में कार्यरत थे. वह बेहोशी के डॉक्टर थे. एक गंभीर आरोप लगने बाद से वह निलंबित चल रहे थे. डिप्टी सीएमओ डॉ. एपी सिंह ने बताया कि पुलिस के जरिए पत्र मिला है. इसकी जांच की जा रही है. अस्पताल के पंजीकरण नवीनीकरण का भी रिकार्ड खंगाला जा रहा है. मरीज के इलाज से संबंधित दस्तावेज भी मांगे गए हैं. वहीं, हॉस्पिटल के मैनेजर का कहना है कि तीमारदारों के आरोप बेबुनियाद हैं. उन्होंने बताया कि प्रसूता की हालत पहले से ही गंभीर थी. ऑपरेशन में किसी तरह की कोई लापरवाही नहीं हुई है.
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