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भारत में बढ़ रहा इस खेल का जोश, दिख रहा है किसान परिवारों का दम

राजधानी लखनऊ के स्पोर्टस काॅलेज में आयोजित खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के रग्बी के फाइनल मुकाबले में पुरुषों में भारती विद्यापीठ महाराष्ट्र व महिलाओं में केआईआईटी यूनिवर्सिटी ओडिशा की टीम चैंपियन बनी थी.

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Published : May 29, 2023, 6:36 PM IST

लखनऊ : ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में जिस खेल की तूती बोलती है, वह अब भारत के गांवों तक पहुंच चुका है. खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में इस खेल के जरिए गांव-गांव के खिलाड़ी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं. जिससे महसूस किया जा रहा है कि देश में रग्बी का भविष्य उज्जवल है.



रग्बी में चैंपियन बनीं टीमें
रग्बी में चैंपियन बनीं टीमें

भारत किसानों का देश है और देश का नाम रोशन करने वाली कई खेल प्रतिभाएं किसानों के घर से निकलकर सामने आती हैं. इस बात का प्रमाण आज उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के स्पोर्ट्स कॉलेज में आयोजित खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स-2022 उत्तर प्रदेश के रग्बी के फाइनल मुकाबले से मिल गया. जहां पुरुषों में भारती विद्यापीठ महाराष्ट्र और महिलाओं में केआईआईटी यूनिवर्सिटी ओडिशा की टीम चैंपियन बनी. इन दोनों टीमों की जीत में खास बात ये थी कि दोनों ही टीमों के कप्तान किसान परिवार से आते हैं. इसमें पुरुष वर्ग के विजेता भारती विद्यापीठ महाराष्ट्र के कप्तान श्रीधर श्रीकांत निगड़े और महिला वर्ग की विजेता केआईआईटी यूनिवर्सिटी ओडिशा की कप्तान डुमिनी मारिंडी हैं. इन दोनों ने जब रग्बी में कॅरियर बनाने की शुरुआत की थी तो इनके सामने कई चुनौतियां सामने आई थीं, हालांकि आज दोनों रग्बी में कामयाबी की नई इबारत लिख रहे हैं.

भारत में बढ़ रहा रग्बी खेल का जोश (फाइल फोटो)
भारत में बढ़ रहा रग्बी खेल का जोश (फाइल फोटो)

शौकिया रग्बी खेलने वाली डुमिनी बन गईं अब स्टार : बात अगर डुमिनी मारिंडी की करें तो इन्होंने 2010 में शौकिया रग्बी खेलने की शुरुआत की थी, लेकिन फिर इनका मन रग्बी में ऐसा रमा कि आज 21 साल की उम्र में अपनी टीम की स्टार खिलाड़ी हैं, हालांकि डुमिनी की लंबाई कम है, लेकिन मैदान पर उनके करारे शॉट देखकर प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी हैरान रह जाते हैं. इनके पिता डी. किशोर मारिंडी किसान हैं, लेकिन अपनी बेटी को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ा और उसे अपने खेल को आगे बढ़ाने में पूरा सपोर्ट किया. डुमिनी पिछले साल आयु वर्ग की एशिया रग्बी ट्राफी की रजत पदक विजेता टीम में भी शामिल रहे थे. डुमिनी ओडिशा की टीम से कई नेशनल रग्बी मुकाबलों में खेल चुकी है और उनके खाते में 7 स्वर्ण सहित 15 पदक हैं. केआईआईटी यूनिवर्सिटी में एमए की छात्रा डुमिनी ने खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स-2022 में आयोजन के लिए दी गई सुविधाओं की जमकर सराहना की. उन्होंने कहा कि ये खेल यूनिवर्सिटी से आने वाले खिलाडिय़ों के लिए एक बेहतरीन मंच है. उन्होंने स्पोटर्स कॉलेज के रग्बी मैदान की भी तारीफ की और कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से मिली सुविधाओं के चलते हमें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में मदद मिली. डुमिनी का ये दूसरा खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स है और अब उनकी निगाह आगामी एशियाड के लिए भारतीय रग्बी टीम में जगह बनाने पर है.

रग्बी में कामयाबी की नई इबारत लिख रहे खिलाड़ी (फाइल फोटो)
रग्बी में कामयाबी की नई इबारत लिख रहे खिलाड़ी (फाइल फोटो)

श्रीधर श्रीकांत निगड़े का लक्ष्य भारतीय टीम में जगह बनाना : पुरुष वर्ग की विजेता भारती विद्यापीठ महाराष्ट्र के कप्तान श्रीधर श्रीकांत निगड़े भी किसान परिवार से आते हैं और उनके पिता श्रीकांत निगड़े बॉडी बिल्डर रहे हैं और अब खेती करते हैं. श्रीधर पहले फुटबॉल खेलते थे, लेकिन 2016 में उनके रिफलेक्स और स्पीड को देखकर कोल्हापुर में कोच दीपक पाटिल ने उन्हें जब रग्बी खेलने को कहा तो उनके पिता बोले नया गेम है, खेलो, और आज उनके पिता उनकी उपलब्धियों को देखकर फूले नहीं समाते हैं. श्रीधर श्रीकांत निगड़े अंडर-17 एशियन स्कूल गेम्स में भारतीय टीम के प्रतिनिधित्व के साथ भारत की सीनियर रग्बी टीम का भी प्रतिनिधत्व कर चुके हैं. वह एशियन लेवल पर आयोजित डिवीजन थ्री की विजेता टीम और डिवीजन फोर्थ की कांस्य पदक विजेता टीम के सदस्य रहे हैं. श्रीधर का ये दूसरा खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स टूर्नामेंट है और उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दी गई व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए कहा कि 'हमारी टीम को यह लगा ही नहीं कि हम घर से दूर हैं बल्कि ये हमारे लिए दूसरे घर जैसा हो गया और हमे चैंपियन बनने में यहां खासी मदद मिली और हम निश्चित होकर खिताब की रक्षा करने में सफल हो सके.'

खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स (फाइल फोटो)
खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स (फाइल फोटो)

उन्होंने कहा कि 'खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स से देश को नई खेल प्रतिभाएं मिलेंगी, ऐसा मुझे विश्वास है. उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी के खिलाड़ियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर का इंतजाम किया गया है, जिसने हमें भी खास होने का एहसास दिला दिया. श्रीधर श्रीकांत निगड़े यहां जीत से मिले कांफिडेंस से अब आगामी एशियन गेम्स के लिए भारतीय टीम में जगह बनाने पर ध्यान देंगे.

यह भी पढ़ें : मथुरा कोर्ट ने रचा इतिहास, कुकर्म के बाद बच्चे की हत्या के दोषी को 15 दिन में दी फांसी की सजा

लखनऊ : ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में जिस खेल की तूती बोलती है, वह अब भारत के गांवों तक पहुंच चुका है. खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में इस खेल के जरिए गांव-गांव के खिलाड़ी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं. जिससे महसूस किया जा रहा है कि देश में रग्बी का भविष्य उज्जवल है.



रग्बी में चैंपियन बनीं टीमें
रग्बी में चैंपियन बनीं टीमें

भारत किसानों का देश है और देश का नाम रोशन करने वाली कई खेल प्रतिभाएं किसानों के घर से निकलकर सामने आती हैं. इस बात का प्रमाण आज उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के स्पोर्ट्स कॉलेज में आयोजित खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स-2022 उत्तर प्रदेश के रग्बी के फाइनल मुकाबले से मिल गया. जहां पुरुषों में भारती विद्यापीठ महाराष्ट्र और महिलाओं में केआईआईटी यूनिवर्सिटी ओडिशा की टीम चैंपियन बनी. इन दोनों टीमों की जीत में खास बात ये थी कि दोनों ही टीमों के कप्तान किसान परिवार से आते हैं. इसमें पुरुष वर्ग के विजेता भारती विद्यापीठ महाराष्ट्र के कप्तान श्रीधर श्रीकांत निगड़े और महिला वर्ग की विजेता केआईआईटी यूनिवर्सिटी ओडिशा की कप्तान डुमिनी मारिंडी हैं. इन दोनों ने जब रग्बी में कॅरियर बनाने की शुरुआत की थी तो इनके सामने कई चुनौतियां सामने आई थीं, हालांकि आज दोनों रग्बी में कामयाबी की नई इबारत लिख रहे हैं.

भारत में बढ़ रहा रग्बी खेल का जोश (फाइल फोटो)
भारत में बढ़ रहा रग्बी खेल का जोश (फाइल फोटो)

शौकिया रग्बी खेलने वाली डुमिनी बन गईं अब स्टार : बात अगर डुमिनी मारिंडी की करें तो इन्होंने 2010 में शौकिया रग्बी खेलने की शुरुआत की थी, लेकिन फिर इनका मन रग्बी में ऐसा रमा कि आज 21 साल की उम्र में अपनी टीम की स्टार खिलाड़ी हैं, हालांकि डुमिनी की लंबाई कम है, लेकिन मैदान पर उनके करारे शॉट देखकर प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी हैरान रह जाते हैं. इनके पिता डी. किशोर मारिंडी किसान हैं, लेकिन अपनी बेटी को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ा और उसे अपने खेल को आगे बढ़ाने में पूरा सपोर्ट किया. डुमिनी पिछले साल आयु वर्ग की एशिया रग्बी ट्राफी की रजत पदक विजेता टीम में भी शामिल रहे थे. डुमिनी ओडिशा की टीम से कई नेशनल रग्बी मुकाबलों में खेल चुकी है और उनके खाते में 7 स्वर्ण सहित 15 पदक हैं. केआईआईटी यूनिवर्सिटी में एमए की छात्रा डुमिनी ने खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स-2022 में आयोजन के लिए दी गई सुविधाओं की जमकर सराहना की. उन्होंने कहा कि ये खेल यूनिवर्सिटी से आने वाले खिलाडिय़ों के लिए एक बेहतरीन मंच है. उन्होंने स्पोटर्स कॉलेज के रग्बी मैदान की भी तारीफ की और कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से मिली सुविधाओं के चलते हमें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में मदद मिली. डुमिनी का ये दूसरा खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स है और अब उनकी निगाह आगामी एशियाड के लिए भारतीय रग्बी टीम में जगह बनाने पर है.

रग्बी में कामयाबी की नई इबारत लिख रहे खिलाड़ी (फाइल फोटो)
रग्बी में कामयाबी की नई इबारत लिख रहे खिलाड़ी (फाइल फोटो)

श्रीधर श्रीकांत निगड़े का लक्ष्य भारतीय टीम में जगह बनाना : पुरुष वर्ग की विजेता भारती विद्यापीठ महाराष्ट्र के कप्तान श्रीधर श्रीकांत निगड़े भी किसान परिवार से आते हैं और उनके पिता श्रीकांत निगड़े बॉडी बिल्डर रहे हैं और अब खेती करते हैं. श्रीधर पहले फुटबॉल खेलते थे, लेकिन 2016 में उनके रिफलेक्स और स्पीड को देखकर कोल्हापुर में कोच दीपक पाटिल ने उन्हें जब रग्बी खेलने को कहा तो उनके पिता बोले नया गेम है, खेलो, और आज उनके पिता उनकी उपलब्धियों को देखकर फूले नहीं समाते हैं. श्रीधर श्रीकांत निगड़े अंडर-17 एशियन स्कूल गेम्स में भारतीय टीम के प्रतिनिधित्व के साथ भारत की सीनियर रग्बी टीम का भी प्रतिनिधत्व कर चुके हैं. वह एशियन लेवल पर आयोजित डिवीजन थ्री की विजेता टीम और डिवीजन फोर्थ की कांस्य पदक विजेता टीम के सदस्य रहे हैं. श्रीधर का ये दूसरा खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स टूर्नामेंट है और उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दी गई व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए कहा कि 'हमारी टीम को यह लगा ही नहीं कि हम घर से दूर हैं बल्कि ये हमारे लिए दूसरे घर जैसा हो गया और हमे चैंपियन बनने में यहां खासी मदद मिली और हम निश्चित होकर खिताब की रक्षा करने में सफल हो सके.'

खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स (फाइल फोटो)
खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स (फाइल फोटो)

उन्होंने कहा कि 'खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स से देश को नई खेल प्रतिभाएं मिलेंगी, ऐसा मुझे विश्वास है. उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी के खिलाड़ियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर का इंतजाम किया गया है, जिसने हमें भी खास होने का एहसास दिला दिया. श्रीधर श्रीकांत निगड़े यहां जीत से मिले कांफिडेंस से अब आगामी एशियन गेम्स के लिए भारतीय टीम में जगह बनाने पर ध्यान देंगे.

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