लखनऊ : यूपी में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. यूपी के कई शहरों की हवा बहुत जहरीली हो गई है. सीपीसीबी रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार को ग्रेटर नोएडा में एक्यूआई 339, गाजियाबाद में 311, लखनऊ में 342, प्रयागराज में 189, मुजफ्फरनगर में 266, बनारस में 196, आगरा में 289, कानपुर में 209 और मेरठ में 303 एक्यूआई है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड रिपोर्ट के मुताबिक इन दिनों लखनऊ की आबोहवा दूषित हो गई है. सीपीसीबी रिपोर्ट के अनुसार बीते सोमवार को शहर का एक्यूआई 342 है. बीते रविवार को शहर का एक्यूआई 302 था. रविवार को हल्की बारिश के बाद गलन थोडी कम हुई है. वहीं प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में जो व्यक्ति साथ संबंधित किसी बीमारी से जूझ रहे हैं, उसकी हालत गंभीर हो जा रही है. वहीं जिस व्यक्ति को कोई भी नहीं है वह आंखों की एलर्जी से परेशान है.
बता दें, राजधानी के तालकटोरा इंडस्ट्री सेंटर का एक्यूआई 386, सेंट्रल स्कूल का एक्यूआई 360, लालबाग का एक्यूआई 345, गोमतीनगर का एक्यूआई 292, भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी क्षेत्र का एक्यूआई 392 और कुकरेल पिकनिक स्पॉटस्पॉट-1 का एक्यूआई 309 है. राजधानी लखनऊ के यह क्षेत्र इंडस्ट्रियल एरिया में शामिल होते हैं जहां पर कल कारखाने का काम अधिक होता है. सीपीसीबी की एयर क्वालिटी इंडेक्स रिपोर्ट के अनुसार बीते रविवार को खराब प्रदुषित शहर में आगरा भी शामिल था. रिपोर्ट के मुताबिक आगरा की एक्यूआई 343 पहुंच गया था. हालांकि वर्तमान में आगरा का प्रदूषण स्तर 286 है. गाजियाबाद के बाद नोएडा, लखनऊ,वाराणसी, गोरखपुर, गुरुग्राम, ग्वालियर, हापुर, कानपुर, कुरुक्षेत्र, मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर और प्रयागराज खराब एक्यूआई की लिस्ट में शामिल हैं.
अस्पताल में बढ़ रहे आंखों के मरीज : हजरतगंज क डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल के वरिष्ठ चेस्ट फिजीशियन डॉ. एनडी सिंह ने बताया कि मौजूदा समय में लगातार वायु प्रदूषण बढ़ रहा है. वायु प्रदूषण बढ़ने के कारण मरीजों की संख्या में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है. जितने भी मरीज सांस की समस्या के कारण आ रहे हैं उनमें एक समान लक्षण है. सीने दर्द, सांस लेने में तकलीफ. इसके अलावा नेत्र रोग विभाग में आंखों में जलन, आंखों से पानी आना और आंखों का लाल हो जाने की समस्या से मरीज इलाज के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं, लेकिन जहां वायु प्रदूषण के कारण एक भी मरीज नहीं आ रहे थे, वहां अब दो या तीन मरीज हर रोज की ओपीडी में आ रहे हैं.