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UP Politics : भाजपा और राजभर की बढ़ती करीबी से दुविधा में निषाद, जानिए दोनों के बीच क्या है खास

लोक सभा चुनाव 2024 की तैयारियों में भाजपा भले ही राजनीतिक रूप से दूसरे दलों पर हावी दिख रही है, लेकिन उसके अपने सहयोगी दलों में अलग ही बेचैनी है. सपा के खेमे से आए ओम प्रकाश राजभर भाजपा के काफी करीब पहुंच गए हैं. ऐसे में संजय निषाद के तेवर बदले हुए हैं.

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Published : Jul 10, 2023, 9:22 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजनीति में दबदबा रखने वाली पिछड़ी जातियों में पैठ रखने वाले ओम प्रकाश राजभर भारतीय जनता पार्टी के काफी करीब पहुंच गए हैं. समीकरण ठीक ठाक रहे तो भविष्य में होने वाले योगी मंत्रिमंडल विस्तार में राजभर मंत्री बन सकते हैं. हालांकि राजभर और बीजेपी की करीबी से अन्य सहयोगी दल बेचैन हैं. खासकर पूर्वांचल के एक दर्जन जिलों में मजबूत निषाद पार्टी जो अभी बीजेपी के साथ सरकार में है. इसके पीछे जातीय समीकरण हैं जो निषाद पार्टी व सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के एक जैसे ही हैं. ऐसे में यदि 2024 के लोक सभा व 2024 के विधान सभा चुनाव में दोनों दल एक साथ बीजेपी के साथ रहते हैं तो सीटों के बंटवारे में खटास और दोनों में एक की पूछ कम होने का खतरा बना हुआ है.

यूपी की राजनीति.
यूपी की राजनीति.

राजभर बीजेपी के करीब आए तो निषाद ने सख्त किए तेवर

राजनीतिक विश्लेषक राघवेंद्र त्रिपाठी कहते हैं कि सुभासपा चीफ ओपी राजभर और निषाद पार्टी सुप्रीमो संजय निषाद दोनो ही एक ही क्षेत्र में अपनी-अपनी जातियों में ठीक ठाक पकड़ रखते हैं. वर्ष 2017 के विधान सभा चुनाव में ओपी राजभर ने बीजेपी के साथ चुनाव लड़ा, उन्हें मंत्री बनाया गया. तब संजय निषाद पीस पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे थे. वर्ष 2022 के विधान सभा चुनाव में पूर्वांचल में पिछड़ी जातियों को अपने साथ बनाए रखने व ओपी राजभर की कमी को पूरा करने के लिए बीजेपी निषाद पार्टी का प्रभाव बढ़ा और 16 सीटें देकर संजय निषाद को मंत्री बनाया. अब एक बार फिर राजभर बीजेपी के करीब आ रहे हैं. ऐसे में निषाद पार्टी को एहसास हो रहा है कि इससे उनका प्रभाव तो कम होगा ही सीट शेयर में भी कमी आएगी. यही वजह है कि संजय निषाद ने बीते दिनों प्रेशर पॉलिटिक्स के तहत कहा था कि 2024 के लोक सभा चुनाव में गठबंधन होगा कि नहीं यह जनता तय करेगी.

यूपी की राजनीति.
यूपी की राजनीति.
यूपी की राजनीति.
यूपी की राजनीति.

बीजेपी के लिए निषाद से अधिक राजभर मुफीद

वर्ष 2017 में विधान सभा चुनाव की अपेक्षा 2022 के चुनाव में बीजेपी को कम से कम 12 सीटों का नुकसान पूर्वी उत्तर प्रदेश के उन जिलों में हुआ था. जहां ओपी राजभर का प्रभाव माना जाता है. गाजीपुर व आजमगढ़ में तो बीजेपी का खाता तक नहीं खुला था. जबकि सुभासपा सपा के साथ गई तो 2017 में इन इलाकों की 12 सीट जीतने वाली सपा ने 2022 में 31 पर जीत दर्ज की. हालांकि निषाद पार्टी ने थोड़ा बहुत बीजेपी का समीकरण बनाए रखा था. यही वजह है निषाद पार्टी बिलकुल नहीं चाह रही है कि उसके हिस्सेदारी को बांटा जाए.






यह भी पढ़ें : Love Tempered Officer : यूपी की ब्यूरोक्रेसी में पति-पत्नी और वो के राज, जानिए कैसे खुल रहे आज

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजनीति में दबदबा रखने वाली पिछड़ी जातियों में पैठ रखने वाले ओम प्रकाश राजभर भारतीय जनता पार्टी के काफी करीब पहुंच गए हैं. समीकरण ठीक ठाक रहे तो भविष्य में होने वाले योगी मंत्रिमंडल विस्तार में राजभर मंत्री बन सकते हैं. हालांकि राजभर और बीजेपी की करीबी से अन्य सहयोगी दल बेचैन हैं. खासकर पूर्वांचल के एक दर्जन जिलों में मजबूत निषाद पार्टी जो अभी बीजेपी के साथ सरकार में है. इसके पीछे जातीय समीकरण हैं जो निषाद पार्टी व सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के एक जैसे ही हैं. ऐसे में यदि 2024 के लोक सभा व 2024 के विधान सभा चुनाव में दोनों दल एक साथ बीजेपी के साथ रहते हैं तो सीटों के बंटवारे में खटास और दोनों में एक की पूछ कम होने का खतरा बना हुआ है.

यूपी की राजनीति.
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राजभर बीजेपी के करीब आए तो निषाद ने सख्त किए तेवर

राजनीतिक विश्लेषक राघवेंद्र त्रिपाठी कहते हैं कि सुभासपा चीफ ओपी राजभर और निषाद पार्टी सुप्रीमो संजय निषाद दोनो ही एक ही क्षेत्र में अपनी-अपनी जातियों में ठीक ठाक पकड़ रखते हैं. वर्ष 2017 के विधान सभा चुनाव में ओपी राजभर ने बीजेपी के साथ चुनाव लड़ा, उन्हें मंत्री बनाया गया. तब संजय निषाद पीस पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे थे. वर्ष 2022 के विधान सभा चुनाव में पूर्वांचल में पिछड़ी जातियों को अपने साथ बनाए रखने व ओपी राजभर की कमी को पूरा करने के लिए बीजेपी निषाद पार्टी का प्रभाव बढ़ा और 16 सीटें देकर संजय निषाद को मंत्री बनाया. अब एक बार फिर राजभर बीजेपी के करीब आ रहे हैं. ऐसे में निषाद पार्टी को एहसास हो रहा है कि इससे उनका प्रभाव तो कम होगा ही सीट शेयर में भी कमी आएगी. यही वजह है कि संजय निषाद ने बीते दिनों प्रेशर पॉलिटिक्स के तहत कहा था कि 2024 के लोक सभा चुनाव में गठबंधन होगा कि नहीं यह जनता तय करेगी.

यूपी की राजनीति.
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बीजेपी के लिए निषाद से अधिक राजभर मुफीद

वर्ष 2017 में विधान सभा चुनाव की अपेक्षा 2022 के चुनाव में बीजेपी को कम से कम 12 सीटों का नुकसान पूर्वी उत्तर प्रदेश के उन जिलों में हुआ था. जहां ओपी राजभर का प्रभाव माना जाता है. गाजीपुर व आजमगढ़ में तो बीजेपी का खाता तक नहीं खुला था. जबकि सुभासपा सपा के साथ गई तो 2017 में इन इलाकों की 12 सीट जीतने वाली सपा ने 2022 में 31 पर जीत दर्ज की. हालांकि निषाद पार्टी ने थोड़ा बहुत बीजेपी का समीकरण बनाए रखा था. यही वजह है निषाद पार्टी बिलकुल नहीं चाह रही है कि उसके हिस्सेदारी को बांटा जाए.






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