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लखनऊ: राम मंदिर निर्माण श्रेय लेने की सियासत हुई तेज

उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले में राम मंदिर भूमि पूजन के बाद मंदिर निर्माण के श्रेय लेने की सियासत तेज हो गई है. विपक्षी पार्टियां चाहती हैं कि इसका श्रेय भाजपा को न मिले. वहीं भाजपा का कहना है कि मंदिर निर्माण हमेशा से ही उसके लिए आस्था का विषय रहा है न कि चुनाव और राजनीति का.

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जानकारी देते प्रदेश भाजपा प्रवक्ता मनीष शुक्ला.
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Published : Aug 8, 2020, 2:25 AM IST

लखनऊ: भूमि पूजन के बाद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण शुरू हो गया है. इसी के साथ ही मंदिर निर्माण के श्रेय लेने की सियासत भी शुरू हो गई है. कांग्रेस, भाजपा, बसपा और सपा सभी पार्टियां अपना राग अलाप रही हैं. वहीं विपक्षी पार्टियों का मानना है कि इसका श्रेय भाजपा को नहीं मिलता चाहिए. अगर ऐसा होता है, तो कांग्रेस को भी मंदिर का बंद ताला खुलवालने का श्रेय मिलना चाहिए.

राम मंदिर निर्माण का मामला 528 वर्ष पुराना है. आजादी के बाद कांग्रेस का लंबे समय तक देश में राज रहा और कांग्रेस चाहती थी कि बिना किसी विवाद के मंदिर बने. वहीं दूसरी तरफ भाजपा सियासी जमीन तलाशने लगी और 80 के दशक में राम मंदिर पर सियासत तेज हो गई. विश्व हिंदू परिषद ने इस मामले को जोरशोर से उठाया और आंदोलन की हुंकार भरी. विश्व हिंदू परिषद के इस आंदोलन का भाजपा ने भी साथ दिया.

जानकारी देते प्रदेश भाजपा प्रवक्ता मनीष शुक्ला.

लंबी लड़ाई और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में पांच अगस्त को पीएम मोदी ने मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी. अब मंदिर निर्माण का श्रेय लेने वालों की दौड़ में कांग्रेस भी आ गई है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि राजीव गांधी सरकार में जन्मभूमि का ताला खुला और वह यह मंदिर निर्माण की पहली कड़ी थी.

वहीं बसपा की भूमिका मंदिर आंदोलन में पक्ष या विपक्ष में सीधे तौर पर नहीं थी. बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट करके कहा कि भाजपा इसका श्रेय न ले और मंदिर निर्माण का कार्य सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार हो रहा है.

प्रदेश भाजपा प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा कि भगवान राम और जन्मभूमि पर राम मंदिर निर्माण बीजेपी के लिए हमेशा से आस्था का विषय रहा है. हमारे लिए राजनीति और चुनाव का विषय यह नहीं रहा है. उन्होंने कहा कि 1986 से लेकर आज तक पार्टी इसके पक्ष में सदैव मजबूती से खड़ी रही. वहीं कांग्रेस और अन्य विपक्ष पार्टियों के लोग ट्वीट के माध्यम से यह जताने की कोशिश कर रहे हैं कि प्रभु राम के मंदिर के साथ हैं. उन्होंने कहा कि क्या वह लोग पूर्व में अपने किए गए बयानों पर माफी मांगेंगे.

मनीष शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस ने कहा था कि राम काल्पनिक हैं और रामसेतु तोड़ देना चाहिए. 2019 के पहले सुनवाई नहीं होनी चाहिए. इसके अलावा कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने मुहूर्त पर सवाल खड़ा किया था. उस पर प्रियंका गांधी, राहुल गांधी और सोनिया गांधी का क्या कहना है.

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि अखिलेश यादव ट्वीट करके कहते हैं कि वह राम मंदिर बनने से खुश हैं. दूसरी तरफ अपने सांसद से कहलवाते हैं कि वहां मस्जिद थी मस्जिद रहनी चाहिए. जनता सब समझती है. अगर राम के प्रति थोड़ी सी भी श्रद्धा है, तो पूर्व में किए गए बयानों के लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए.

वहीं राजनीतिक विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार उमाशंकर त्रिपाठी ने कहा कि संघ, विश्व हिंदू परिषद और भाजपा ने राम मंदिर आंदोलन को हाथों हाथ लिया और आगे बढ़ाया. लगातार राम मंदिर के मुद्दे पर खुलकर राजनीतिक दल के रूप में भाजपा बोलती रही है. उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण भी भाजपा सरकार में हो रहा है. केंद्र में भाजपा की मोदी सरकार और यूपी में योगी की सरकार है. ऐसे में भले ही कोर्ट के निर्णय के आधार पर मंदिर निर्माण हो रहा है, लेकिन इसका श्रेय पीएम नरेंद्र मोदी को जाना लगभग तय है.

लखनऊ: भूमि पूजन के बाद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण शुरू हो गया है. इसी के साथ ही मंदिर निर्माण के श्रेय लेने की सियासत भी शुरू हो गई है. कांग्रेस, भाजपा, बसपा और सपा सभी पार्टियां अपना राग अलाप रही हैं. वहीं विपक्षी पार्टियों का मानना है कि इसका श्रेय भाजपा को नहीं मिलता चाहिए. अगर ऐसा होता है, तो कांग्रेस को भी मंदिर का बंद ताला खुलवालने का श्रेय मिलना चाहिए.

राम मंदिर निर्माण का मामला 528 वर्ष पुराना है. आजादी के बाद कांग्रेस का लंबे समय तक देश में राज रहा और कांग्रेस चाहती थी कि बिना किसी विवाद के मंदिर बने. वहीं दूसरी तरफ भाजपा सियासी जमीन तलाशने लगी और 80 के दशक में राम मंदिर पर सियासत तेज हो गई. विश्व हिंदू परिषद ने इस मामले को जोरशोर से उठाया और आंदोलन की हुंकार भरी. विश्व हिंदू परिषद के इस आंदोलन का भाजपा ने भी साथ दिया.

जानकारी देते प्रदेश भाजपा प्रवक्ता मनीष शुक्ला.

लंबी लड़ाई और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में पांच अगस्त को पीएम मोदी ने मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी. अब मंदिर निर्माण का श्रेय लेने वालों की दौड़ में कांग्रेस भी आ गई है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि राजीव गांधी सरकार में जन्मभूमि का ताला खुला और वह यह मंदिर निर्माण की पहली कड़ी थी.

वहीं बसपा की भूमिका मंदिर आंदोलन में पक्ष या विपक्ष में सीधे तौर पर नहीं थी. बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट करके कहा कि भाजपा इसका श्रेय न ले और मंदिर निर्माण का कार्य सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार हो रहा है.

प्रदेश भाजपा प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा कि भगवान राम और जन्मभूमि पर राम मंदिर निर्माण बीजेपी के लिए हमेशा से आस्था का विषय रहा है. हमारे लिए राजनीति और चुनाव का विषय यह नहीं रहा है. उन्होंने कहा कि 1986 से लेकर आज तक पार्टी इसके पक्ष में सदैव मजबूती से खड़ी रही. वहीं कांग्रेस और अन्य विपक्ष पार्टियों के लोग ट्वीट के माध्यम से यह जताने की कोशिश कर रहे हैं कि प्रभु राम के मंदिर के साथ हैं. उन्होंने कहा कि क्या वह लोग पूर्व में अपने किए गए बयानों पर माफी मांगेंगे.

मनीष शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस ने कहा था कि राम काल्पनिक हैं और रामसेतु तोड़ देना चाहिए. 2019 के पहले सुनवाई नहीं होनी चाहिए. इसके अलावा कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने मुहूर्त पर सवाल खड़ा किया था. उस पर प्रियंका गांधी, राहुल गांधी और सोनिया गांधी का क्या कहना है.

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि अखिलेश यादव ट्वीट करके कहते हैं कि वह राम मंदिर बनने से खुश हैं. दूसरी तरफ अपने सांसद से कहलवाते हैं कि वहां मस्जिद थी मस्जिद रहनी चाहिए. जनता सब समझती है. अगर राम के प्रति थोड़ी सी भी श्रद्धा है, तो पूर्व में किए गए बयानों के लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए.

वहीं राजनीतिक विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार उमाशंकर त्रिपाठी ने कहा कि संघ, विश्व हिंदू परिषद और भाजपा ने राम मंदिर आंदोलन को हाथों हाथ लिया और आगे बढ़ाया. लगातार राम मंदिर के मुद्दे पर खुलकर राजनीतिक दल के रूप में भाजपा बोलती रही है. उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण भी भाजपा सरकार में हो रहा है. केंद्र में भाजपा की मोदी सरकार और यूपी में योगी की सरकार है. ऐसे में भले ही कोर्ट के निर्णय के आधार पर मंदिर निर्माण हो रहा है, लेकिन इसका श्रेय पीएम नरेंद्र मोदी को जाना लगभग तय है.

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