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'होरी रंग लगाओ भंग, हो कोरोना के संग' सुनिए कवयित्रियों का संदेश - lucknow latest news

राजधानी लखनऊ में कवयित्रियों ने अपनी कविताओं के जरिए संदेश दिया कि कोरोना काल में होली खेलने के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें. रंग लगाने के बाद पास जाकर गले लगने या हाथ मिलाने की बजाय मुंह से बोलकर शुभकामनाएं दें. उन्होंने अपनी कविताओं के जरिए लोगों को कुछ सुझाव दिए हैं...सुनिए क्या कहती हैं कवयित्रियां....

होली का त्योहार 2021 .
होली का त्योहार 2021 .
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Published : Mar 27, 2021, 4:03 PM IST

लखनऊ: होली का त्यौहार देश में बड़ी ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. लेकिन पिछले साल की तरह इस बार भी होली का त्यौहार ऐसे समय में मनाया जाएगा, जब एक बार फिर से कोविड-19 संक्रमण का खतरा बढ़ गया है. पिछले कुछ दिनों से कोरोना के मामलों में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. ऐसे में एक बार फिर होली का त्यौहार फीका चला जाएगा, इसका अंदेशा जताया जा रहा है. अब कोरोना संक्रमण के बीच त्यौहार कैसे मनाया जाए, इसके लिए कुछ कवयित्रियों ने अपनी पंक्तियों से लोगों को कुछ सुझाव दिए हैं.

सुनिए क्या कहती हैं कवयित्रियां.

इसे भी पढ़ें-चिता भस्म होली : देखिए...जलती चिताओं के बीच जिंदगी का जश्न

कविताओं में बरसाने की होली का जिक्र
राजधानी में कुछ कवयित्रियों ने अपनी कविताओं के जरिए लोगों को समझाने की कोशिश की है. होली के अवसर पर कोरोना वायरस से बचाव करते हुए होली खेलने संबंधी बेहतरीन पंक्तियां लिखी हैं. पंक्तियों के जरिए बच्चों, युवाओं और वृद्धों को सावधानियां बरतने का संदेश दिया है. उन्होंने अपने लेखन में बरसाने की होली और शाम-ए-अवध का जिक्र किया है.

'सोशल डिस्टेंसिंग का रखें ख्याल'
कवयित्रियों ने कहा कि वैसे रंगों के इस त्यौहार में बच्चों से लेकर युवा और बुजुर्ग हर कोई इसके उमंग में सराबोर हो जाते हैं. खासतौर पर नई नवेली दुल्हन के लिए पहली होली बेहद महत्वपूर्ण होती है. ये परम्परा हमारे यहां सदियों से चली आ रही है. कवयित्रियों ने सलाह दी कि होली खेलने के लिए सिर्फ ऑर्गेनिक कलर्स का ही इस्तेमाल करें. पिचकारी से होली खेलें, ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन हो सके. रंग लगाने के बाद पास जाकर गले लगने या हाथ मिलाने की बजाय मुंह से बोलकर शुभकामनाएं दें.

इसे भी पढ़ें-अनोखी होलीः पहले लाट साहब को देते हैं सलामी फिर मारते हैं जूते

इस साल होली खेलने के दौरान एक समझदारी दिखाएं, लेकिन फिर भी आप होली खेल ही रहे हैं तो ध्यान रहे कि अच्छे से सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखें. कवयित्रियों ने गाया.. होरी रंग लगाओ भंग हो कोरोना के संग'... रंग लगा दो कान्हा मत सोचो परिणाम, हम तेरी राधा रानी हूं तुम मेरे घनश्याम...होली आई रे होली आई रे..बड़े दिनों बाद मिली है बच्चों को आजादी...

लखनऊ: होली का त्यौहार देश में बड़ी ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. लेकिन पिछले साल की तरह इस बार भी होली का त्यौहार ऐसे समय में मनाया जाएगा, जब एक बार फिर से कोविड-19 संक्रमण का खतरा बढ़ गया है. पिछले कुछ दिनों से कोरोना के मामलों में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. ऐसे में एक बार फिर होली का त्यौहार फीका चला जाएगा, इसका अंदेशा जताया जा रहा है. अब कोरोना संक्रमण के बीच त्यौहार कैसे मनाया जाए, इसके लिए कुछ कवयित्रियों ने अपनी पंक्तियों से लोगों को कुछ सुझाव दिए हैं.

सुनिए क्या कहती हैं कवयित्रियां.

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कविताओं में बरसाने की होली का जिक्र
राजधानी में कुछ कवयित्रियों ने अपनी कविताओं के जरिए लोगों को समझाने की कोशिश की है. होली के अवसर पर कोरोना वायरस से बचाव करते हुए होली खेलने संबंधी बेहतरीन पंक्तियां लिखी हैं. पंक्तियों के जरिए बच्चों, युवाओं और वृद्धों को सावधानियां बरतने का संदेश दिया है. उन्होंने अपने लेखन में बरसाने की होली और शाम-ए-अवध का जिक्र किया है.

'सोशल डिस्टेंसिंग का रखें ख्याल'
कवयित्रियों ने कहा कि वैसे रंगों के इस त्यौहार में बच्चों से लेकर युवा और बुजुर्ग हर कोई इसके उमंग में सराबोर हो जाते हैं. खासतौर पर नई नवेली दुल्हन के लिए पहली होली बेहद महत्वपूर्ण होती है. ये परम्परा हमारे यहां सदियों से चली आ रही है. कवयित्रियों ने सलाह दी कि होली खेलने के लिए सिर्फ ऑर्गेनिक कलर्स का ही इस्तेमाल करें. पिचकारी से होली खेलें, ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन हो सके. रंग लगाने के बाद पास जाकर गले लगने या हाथ मिलाने की बजाय मुंह से बोलकर शुभकामनाएं दें.

इसे भी पढ़ें-अनोखी होलीः पहले लाट साहब को देते हैं सलामी फिर मारते हैं जूते

इस साल होली खेलने के दौरान एक समझदारी दिखाएं, लेकिन फिर भी आप होली खेल ही रहे हैं तो ध्यान रहे कि अच्छे से सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखें. कवयित्रियों ने गाया.. होरी रंग लगाओ भंग हो कोरोना के संग'... रंग लगा दो कान्हा मत सोचो परिणाम, हम तेरी राधा रानी हूं तुम मेरे घनश्याम...होली आई रे होली आई रे..बड़े दिनों बाद मिली है बच्चों को आजादी...

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