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लविवि शताब्दी समारोह: कवि पंकज प्रसून ने विज्ञान को सेलिब्रेशन बनाने पर दिया जोर - हास्य व्यंग्य कवि पंकज प्रसून

लखनऊ विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह में सोमवार को साहित्यिक उत्सव में हास्य व्यंग्य कवि पंकज प्रसून ने विज्ञान और कविता के संगम को बखूबी पेश किया. उन्होंने 'तुमने ब्लॉक किया है मुझको, लेकिन इतना बतला देना. दिल में जो प्रोफाइल है, वह कैसे ब्लॉक करोगी' सुनाकर दर्शकों को जमकर गुदगुदाया. उन्होंने रोचक और हास्य कविताएं सुनाकर स्टूडेंट्स की जमकर तालियां बटोरी.

humor satire poet pankaj prasoon
हास्य व्यंग्य कवि पंकज प्रसून .
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Published : Nov 24, 2020, 1:42 AM IST

लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह में मालवीय सभागार में आयोजित कार्यक्रम में हास्य व्यंग्य कवि पंकज प्रसून ने विज्ञान को सीरियस नहीं, बल्कि सेलिब्रेशन बनाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि विज्ञान की कविताएं प्राइमरी के पाठ्यक्रम में शामिल हो, जिससे बच्चे शुरुआती दौर में ही विज्ञान के सिद्धांतों को सीख सके. उन्होंने अपनी मशहूर कविता 'लड़कियां बड़ी लड़ाका होती हैं' भी सुनाई.

लविवि शताब्दी समारोह में हास्य व्यंग्य कवि ने दी प्रस्तुति.

लखनऊ विश्वविद्यालय में नहीं मिल सका था दाखिला
पंकज ने बताया कि वह स्नातक करने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय आए थे, लेकिन काउंसलिंग के बाद मार्कशीट न आने के कारण प्रवेश नहीं ले पाए. इसके बाद केकेसी में बीएससी में एडमिशन लेना पड़ा. पोस्ट ग्रेजुएशन एलयू से किया. उन्होंने कहा कि जब फर्स्ट ईयर में था, तब आईआईटी कानपुर के कल्चरल फेस्ट अंतराग्नि के लिए साहित्य प्रतियोगिताओं में एलयू की टीम में मेरा भी सेलेक्शन हुआ. वहां पर पांच पुरस्कार जीते. उसके बाद उसी अंतराग्नि फेस्ट में निर्णायक के रूप में बुलाया गया.

कविताएं सुनाकर दर्शकों को खूब गुदगुदाया
कवि पंकज प्रसून ने 'ए मेरे नोबेल प्राइज की ज्यूरी, माई डियर मैडम क्यूरी, तुम्हारी आंखों में न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण है, जिसमें नशा इस तरह भरा है, जैसे एसिड के डिब्बे में एल्कोहल भरा है,' जैसे अन्य कई पंक्तियों को सुनाकर वहां मौजूद दर्शकों को खूब गुदगुदाया.

लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह में मालवीय सभागार में आयोजित कार्यक्रम में हास्य व्यंग्य कवि पंकज प्रसून ने विज्ञान को सीरियस नहीं, बल्कि सेलिब्रेशन बनाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि विज्ञान की कविताएं प्राइमरी के पाठ्यक्रम में शामिल हो, जिससे बच्चे शुरुआती दौर में ही विज्ञान के सिद्धांतों को सीख सके. उन्होंने अपनी मशहूर कविता 'लड़कियां बड़ी लड़ाका होती हैं' भी सुनाई.

लविवि शताब्दी समारोह में हास्य व्यंग्य कवि ने दी प्रस्तुति.

लखनऊ विश्वविद्यालय में नहीं मिल सका था दाखिला
पंकज ने बताया कि वह स्नातक करने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय आए थे, लेकिन काउंसलिंग के बाद मार्कशीट न आने के कारण प्रवेश नहीं ले पाए. इसके बाद केकेसी में बीएससी में एडमिशन लेना पड़ा. पोस्ट ग्रेजुएशन एलयू से किया. उन्होंने कहा कि जब फर्स्ट ईयर में था, तब आईआईटी कानपुर के कल्चरल फेस्ट अंतराग्नि के लिए साहित्य प्रतियोगिताओं में एलयू की टीम में मेरा भी सेलेक्शन हुआ. वहां पर पांच पुरस्कार जीते. उसके बाद उसी अंतराग्नि फेस्ट में निर्णायक के रूप में बुलाया गया.

कविताएं सुनाकर दर्शकों को खूब गुदगुदाया
कवि पंकज प्रसून ने 'ए मेरे नोबेल प्राइज की ज्यूरी, माई डियर मैडम क्यूरी, तुम्हारी आंखों में न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण है, जिसमें नशा इस तरह भरा है, जैसे एसिड के डिब्बे में एल्कोहल भरा है,' जैसे अन्य कई पंक्तियों को सुनाकर वहां मौजूद दर्शकों को खूब गुदगुदाया.

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