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कोर्ट ने नाबालिग से कुकर्म करने वाले आरोपी को सात साल की सुनाई सजा

पॉक्सो के विशेष जज (POCSO Special Judge) राम बिलास प्रसाद ने एक नाबालिग बच्चे से कुकर्म करने के अभियुक्त को दोषी करार दिया है. कोर्ट ने अभियुक्त को सात साल की सजा सुनाई है.

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Published : Jul 23, 2021, 10:28 PM IST

आरोपी को सात साल की सुनाई सजा
आरोपी को सात साल की सुनाई सजा

लखनऊ: पॉक्सो के विशेष जज राम बिलास प्रसाद ने एक नाबालिग बच्चे से कुकर्म करने के अभियुक्त को दोषी करार दिया है. अभियुक्त सिद्धार्थ उर्फ सिद्धी की सजा पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उसे सात साल की सजा सुनाई है. साथ ही कोर्ट ने अभियुक्त पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

विशेष लोक अभियोजक मनोज तिवारी के मुताबिक, 27 फरवरी 2016 को इस मामले की एफआईआर पीड़ित की मां ने थाना पीजीआई में दर्ज कराई थी. उनका 10 वर्षीय बेटा क्रिकेट की गेंद लेने अभियुक्त के घर गया था. जहां अभियुक्त ने उसके साथ दुराचार किया और किसी को नहीं बताने की धमकी भी दी. बच्चे ने जब अपने माता-पिता से दर्द होने की बात बताई तब घटना का पता चला. अभियुक्त की ओर से खुद को बेगुनाह बताते हुए दलील दी गई कि उसे मामले में फंसाया गया है. वह परिवार वाला व्यक्ति है. वह ऐसे अपराध को करने की सोच भी नहीं सकता.

पढ़ें: प्रेम की सनक में पूरे परिवार की हत्या करने वाली शबनम को फांसी न देने की राज्यपाल से गुहार, ये है दलील

हालांकि कोर्ट ने पीड़ित बच्चे व उसकी मां के बयान में कोई भी विरोधाभाष नहीं पाया. कोर्ट ने कहा कि बयान मेडिकल साक्ष्यों से मेल खा रहे हैं. लिहाजा बयानों पर शक की गुंजाइश नहीं है. अभियोजन अपना केस संदेह से परे सिद्ध करने में सफल रहा है. सजा के बिंदु पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त का अपराध बहुत ही घृणित है. इस प्रकार के अपराध से एक बालमन पर बहुत ही बुरा असर होता है और बच्चे के जीवन को भी प्रभावित करता है. अभियुक्त सख्त सजा का ही हकदार है.

लखनऊ: पॉक्सो के विशेष जज राम बिलास प्रसाद ने एक नाबालिग बच्चे से कुकर्म करने के अभियुक्त को दोषी करार दिया है. अभियुक्त सिद्धार्थ उर्फ सिद्धी की सजा पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उसे सात साल की सजा सुनाई है. साथ ही कोर्ट ने अभियुक्त पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

विशेष लोक अभियोजक मनोज तिवारी के मुताबिक, 27 फरवरी 2016 को इस मामले की एफआईआर पीड़ित की मां ने थाना पीजीआई में दर्ज कराई थी. उनका 10 वर्षीय बेटा क्रिकेट की गेंद लेने अभियुक्त के घर गया था. जहां अभियुक्त ने उसके साथ दुराचार किया और किसी को नहीं बताने की धमकी भी दी. बच्चे ने जब अपने माता-पिता से दर्द होने की बात बताई तब घटना का पता चला. अभियुक्त की ओर से खुद को बेगुनाह बताते हुए दलील दी गई कि उसे मामले में फंसाया गया है. वह परिवार वाला व्यक्ति है. वह ऐसे अपराध को करने की सोच भी नहीं सकता.

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हालांकि कोर्ट ने पीड़ित बच्चे व उसकी मां के बयान में कोई भी विरोधाभाष नहीं पाया. कोर्ट ने कहा कि बयान मेडिकल साक्ष्यों से मेल खा रहे हैं. लिहाजा बयानों पर शक की गुंजाइश नहीं है. अभियोजन अपना केस संदेह से परे सिद्ध करने में सफल रहा है. सजा के बिंदु पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त का अपराध बहुत ही घृणित है. इस प्रकार के अपराध से एक बालमन पर बहुत ही बुरा असर होता है और बच्चे के जीवन को भी प्रभावित करता है. अभियुक्त सख्त सजा का ही हकदार है.

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