लखनऊ: 19 मार्च 2021 को योगी सरकार के 4 साल पूरे हो गए हैं. पिछले 4 सालों में उत्तर प्रदेश में क्या कुछ बदला है, ये जानना बहुत जरुरी है. पिछली सपा सरकार पर ये आरोप लगते रहे हैं कि उनकी सरकार में गुंडा राज रहा है. हालांकि उत्तर प्रदेश में बीते कई सालों से अपराध एक बड़ी समस्या है. सत्ता संभालने से पहले सीएम योगी प्रदेश को अपराध मुक्त करने का दंभ भरते दिख रहे थे. उन्होंने कई मौकों पर यह बताया भी है कि प्रदेश में अपराधियों के लिए कोई जगह नहीं है.
सीएम ने इस बात का भी दंभ भरा कि प्रदेश में हुए ताबड़तोड़ एन्काउंटर में बड़े अपराधियों को मार गिराया गया है और बाहुबल के दम पर राजनीति तक में पैठ बना चुके मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद जैसे कई आपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया गया है. उत्तर प्रदेश की सत्ता में आने के बाद आदित्यनाथ योगी सरकार जिस मुद्दे पर सबसे ज्यादा नाकाम रहने के आरोप झेल रही है, वह है- यूपी की कानून व्यवस्था. गुरुवार को वाराणसी पहुंचे पीएम मोदी ने भी सीएम योगी की भर-भर के तारीफ की. कोरोना काल में उनके काम को सराहा, हालांकि पीएम भूल गए अप्रैल-मई महीने का वो खौफनाक जब हर दिन 30 हजार से ज्यादा मामले सामने आते थे और रोज 300 से ज्यादा मौतें होती थीं. पीएम वह मंजर भी भूल गए जब राजधानी लखनऊ के श्मशान घाट पर जलती चिताओं के वीडियो मीडिया में आने लगे तो कैसे उसे टीनशेड से ढकने की कवायद शुरु हो गई थी. खैर यह अलग बात है.
वाराणसी में अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने यूपी की कानून व्यवस्था को भी जमकर सराहा. उन्होंने कहा कि यूपी में आज कानून का राज है. माफियाराज और आतंकवाद, जो कभी बेकाबू हो रहे थे, उनपर अब कानूनी शिकंजा है. पीएम ने यह भी कहा कि प्रदेश में बहनों और बेटियों की सुरक्षा को लेकर मां-बाप हमेशा चिंता में रहते थए, वह स्थिति अब बदल गई है. तो आइए जानते हैं कि प्रदेश में अपराध का क्या रिकॉर्ड है प्रदेश में कुछ बदला भी है या फिर सबकुछ जस का तस है.
इसे भी पढ़ें- विकास के रथ पर सवार होकर पीएम पहुंचे वाराणसी, बोले- यूपी में कानून का राज है
योगी सरकार ने जब सत्ता संभाली थी तो अपराधियों के लिए साफ संदेश था कि वह या तो प्रदेश छोड़ दें या फिर अपराध. इसकी शुरुआत सरकार में सड़क छाप मजनुओं के लिए एंटी रोमियो स्क्वायड बनाकर की गई थी. योगी सरकार बनने के 100 दिन बाद प्रदेश में कुल 22,298 अपराध दर्ज किए गए थे. अगर हम राजधानी लखनऊ में अपराध की बात करें तो (19 मार्च- 26 जून 2017 के बीच) यहां करीब 30 से अधिक हत्या की वारदात दर्ज की गईं थीं. इसके अलावा 6 से अधिक गैंगरेप की घटनाएं दर्ज हुई हैं.
एनसीआरबी के डेटा के मुताबिक देश में अपराध के मामले में साल 2018 और 2019 के आंकड़ों में यूपी 59,445 और 59,853 मामलों में शीर्ष पर स्थान बनाए है. एनसीआरबी के मुताबिक यूपी में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 2016 से 2019 तक 20% की वृद्धि दर्ज की गई है. यूपी में साल 2017 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 56,011 मामले दर्ज किए गए थे. 2018 में ये संख्य़ा बढ़कर 59,445 हो गई है. इसके बाद साल 2019 में यह संख्या 59,853 रही है.
![2017 में यूपी में अपराध.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12490437_img.jpg)
इसे भी पढ़ें- जापान आज भारत के सबसे विश्वसनीय दोस्तों में से एक है : पीएम मोदी
उत्तर प्रदेश में ब्लॉक प्रमुख के चुनावों के नामांकन के दौरान कई जिलों में हंगामा और मारपीट के मामले सामने आए. नामांकन में हुई हिंसा पर ADG लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार का बयान सामने आया. उन्होंने कहा कि पिछले ब्लॉक प्रमुख चुनाव की तुलना में इस बार कम हिंसा हुई है. ADG लॉ एंड ऑर्डर के बयान में कितनी सच्चाई है आइये इसपर एक नजर डालते हैं-
![2018 में यूपी में अपराध.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12490437_imggggggggg.jpg)
पुलिस विभाग से दी गई जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश में हाल ही में संपन्न पंचायत चुनाव में सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस बार प्रदेश में चुनावी हिंसा की कुल 301 घटनाएं हुईं, जिनमें हत्या के 10 मामले, हत्या के प्रयास के 64, बलवा करने के 71, बूथ लूटने के 3, मतपेटी लूट के 13, मतपत्र फाड़ने और लूटने के 10, मतदान केन्द्र पर मारपीट के 8, मतदानकर्मियों के साथ मारपीट या दुर्व्यवहार के 17 और अन्य मारपीट के विवाद आदि के 105 मामले शामिल हैं.
![2019 में यूपी में अपराध.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12490437_imgggggg.jpg)
विभाग के अनुसार 2015 के पंचायत चुनाव में कुल 485 आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें हत्या के 17, हत्या के प्रयास के 34, बलवा करने के 210, बूथ लूटने के 8, मतपेटी लूट के 5, मतपत्र फाड़ने और लूटने के 26, मतदान केन्द्रों पर मारपीट के 5, मतदान कर्मियों के साथ मारपीट या दुर्व्यवहार के 19, मारपीट, गाली गलौज जैसी घटनाओं के 161 मामले शामिल हैं.
![2020 में यूपी में अपराध.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12490437_imggg.jpg)
ये तो वह आंकड़े हैं जो कि रिकॉड में दर्ज हैं. इसके अलावा न जाने ऐसी कितनी घटनाएं हैं जो कि दर्ज नहीं हो पाती हैं या फिर कह लें कि दर्ज नहीं की जाती हैं. सरकार महिला सुरक्षा के लाख दावे करे, अपराधियों पर लगाम कसने की तमाम बातें करे, अपनी सरकार की लाखों उपलब्धियां गिना लें, लेकिन हर रोज के समाचारों में रेप, लूट, हत्या जैसी वारदातें अब आम हो चुकी हैं.