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स्टेडियम में झाड़ू लगा रहे खिलाड़ी, कैसे बनेंगे चैंपियन

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Published : Aug 5, 2021, 8:32 PM IST

यूपी की राजधानी लखनऊ में स्थित चौक स्पोर्ट्स स्टेडियम (chowk sports stadium) की हालत खस्ताहाल है. इस स्टेडियम में खिलाड़ी खुद झाड़ू लगाकर पिच तैयार कर रहे हैं. कई बार शिकायत करने के बाद भी इसकी हालत जस की तस बनी हुई है. खिलाड़ियों का कहना है कि ऐसे में वह कैसे मेडल लाएंगे.

लखनऊ चौक स्पोर्ट्स स्टेडियम का खस्ताहाल.
लखनऊ चौक स्पोर्ट्स स्टेडियम का खस्ताहाल.

लखनऊ: राजधानी लखनऊ के चौक स्पोर्ट्स स्टेडियम (chowk sports stadium) के हालात केडी. सिंह बाबू स्टेडियम (KD Singh Babu Stadium) से भी ज्यादा चौंकाने व डराने वाले हैं. इस स्टेडियम में खिलाड़ियों को खेलने के लिए पिच खुद ही बनानी पड़ रही है. दूर से पानी लाना पड़ रहा है. जंगली घास के बीच प्रैक्टिस करनी पड़ रही है. इस दौरान विषैले जानवरों (सांप-बिच्छु) के काटने का खतरा मंडरा रहा है. मैदान में मलबे के ऊंचे-ऊंचे ढेर लगे हुए हैं. क्षेत्रीय खेल अधिकारी मैदान में आते नहीं है. कार्यालय पर ताला लटक रहा है.

लखनऊ चौक स्पोर्ट्स स्टेडियम का खस्ताहाल.

खेल विभाग की अनदेखी के चलते खिलाड़ियों को साफ-सुथरा शौचालय भी नहीं मिल पा रहा है. मेंटेनेंस और रखरखाव के अभाव में खिलाड़ी परेशान हो रहे हैं. इस बारे में जब महिला प्लेयर अंशिका पांडे से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि यहां स्टेडियम में साफ-सफाई के नाम पर कोई काम नहीं किया जा रहा है. शौचालय की हालत बहुत ही खराब और डराने वाली है. शौचालय में सांस लेने में भी काफी परेशानी उठानी पड़ती है. साफ-सुथरा शौचालय देने के लिए जांच केंद्र और प्रदेश सरकार लगातार मुहिम चला रही है. वहीं पर उत्तर प्रदेश का खेल विभाग स्टेडियम में बने हुए शौचालय को लेकर ध्यान ही नहीं दे रहा है. एक तरफ उत्तर प्रदेश की योगी सरकार करीब 24 करोड़ की आबादी को खेल से जोड़ने के लिए उन्हें प्रोत्साहित कर रही है. लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं, तो वहीं खेल विभाग सरकार के इन प्रयासों पर पानी फेर रहा है.

लखनऊ शहर के हजरतगंज में स्थित केडी. सिंह बाबू स्टेडियम की खस्ताहाल व्यवस्थाओं को उजागर करने के बाद गुरुवार को ईटीवी भारत की टीम लखनऊ के चौक स्पोर्ट्स स्टेडियम (chowk sports stadium) का हाल जानने पहुंची. यहां की तस्वीरें और भी ज्यादा हैरान और परेशान कर देने वाली हैं. खिलाड़ी अपनी जान जोखिम में डालकर जहरीले और वषैले जानवरों के बीच मेडल पाने के लिए प्रैक्टिस कर रहे हैं. खिलाड़ियों को प्रैक्टिस के लिए अपनी पिच खुद बनानी और तैयार करनी पड़ रही है. आधे से ज्यादा समय खिलाड़ियों को पिच बनाने में ही लग जाता है, जिससे प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे हैं. चौक स्टेडियम के हालात तो इतने बुरे हो चुके हैं कि वहां के क्षेत्रीय अधिकारी भी मौके पर नहीं रहते हैं. समस्याओं को लेकर जब क्षेत्रीय खेल अधिकारी आनंद श्रीवास्तव से बात करने की कोशिश की गई, तो कॉल भी रिसीव नहीं कर रहे हैं.


खेल विभाग के अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि स्टेडियम में खिलाड़ियों को खेल से जुड़ी हुई सभी तरह की सुविधाएं मुहैया कराए. मगर हकीकत तो यह है कि खिलाड़ियों को स्टेडियम में सेवाएं नहीं पा रहे हैं. खिलाड़ी आधा-आधा किलोमीटर दूर जाकर पानी ला रहे हैं. मैदान में लाइट की व्यवस्था ही नहीं की गई है. सरकार और खेल विभाग की तरफ से खिलाड़ियों को लेकर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. दिन-प्रतिदिन खेल की स्थिति दयनीय होती जा रही है. खिलाड़ी पानी पीकर घंटों प्रैक्टिस कर रहे हैं.

खेल विभाग के अधिकारियों की तरफ से खिलाड़ियों को कोई सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं, न ही खिलाड़ियों को साफ-सुथरा ग्राउंड मिल रहा है, जहां पर वह प्रैक्टिस कर सकें और न ही उन्हें खेल से जुड़े हुए को काम ही दिए जा रहे हैं. स्टेडियम की हालत बहुत ही खराब हो गई है. खिलाड़ियों के साथ दुश्मनों जैसा बर्ताव किया जा रहा है. खेल में सरकार की तरफ से बजट को कम कर देना और रेलवे किराये में मिलने वाली छूट को खत्म कर देने से भी खिलाड़ियों को काफी परेशानी हो रही है. वह राज्य स्तर और प्रदेश स्तर पर खेलने के लिए अपने संसाधनों से नहीं जा पा रहे हैं. रेल किराये में 75% मिलने वाली छूट समाप्त कर दी गई है.

इसे भी पढ़ें- Tokyo Olympics: रजत पदक जीतने पर रवि दहिया को CM योगी ने दी शुभकामनाएं, कहा- सम्पूर्ण भारत को आप पर गर्व

लखनऊ: राजधानी लखनऊ के चौक स्पोर्ट्स स्टेडियम (chowk sports stadium) के हालात केडी. सिंह बाबू स्टेडियम (KD Singh Babu Stadium) से भी ज्यादा चौंकाने व डराने वाले हैं. इस स्टेडियम में खिलाड़ियों को खेलने के लिए पिच खुद ही बनानी पड़ रही है. दूर से पानी लाना पड़ रहा है. जंगली घास के बीच प्रैक्टिस करनी पड़ रही है. इस दौरान विषैले जानवरों (सांप-बिच्छु) के काटने का खतरा मंडरा रहा है. मैदान में मलबे के ऊंचे-ऊंचे ढेर लगे हुए हैं. क्षेत्रीय खेल अधिकारी मैदान में आते नहीं है. कार्यालय पर ताला लटक रहा है.

लखनऊ चौक स्पोर्ट्स स्टेडियम का खस्ताहाल.

खेल विभाग की अनदेखी के चलते खिलाड़ियों को साफ-सुथरा शौचालय भी नहीं मिल पा रहा है. मेंटेनेंस और रखरखाव के अभाव में खिलाड़ी परेशान हो रहे हैं. इस बारे में जब महिला प्लेयर अंशिका पांडे से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि यहां स्टेडियम में साफ-सफाई के नाम पर कोई काम नहीं किया जा रहा है. शौचालय की हालत बहुत ही खराब और डराने वाली है. शौचालय में सांस लेने में भी काफी परेशानी उठानी पड़ती है. साफ-सुथरा शौचालय देने के लिए जांच केंद्र और प्रदेश सरकार लगातार मुहिम चला रही है. वहीं पर उत्तर प्रदेश का खेल विभाग स्टेडियम में बने हुए शौचालय को लेकर ध्यान ही नहीं दे रहा है. एक तरफ उत्तर प्रदेश की योगी सरकार करीब 24 करोड़ की आबादी को खेल से जोड़ने के लिए उन्हें प्रोत्साहित कर रही है. लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं, तो वहीं खेल विभाग सरकार के इन प्रयासों पर पानी फेर रहा है.

लखनऊ शहर के हजरतगंज में स्थित केडी. सिंह बाबू स्टेडियम की खस्ताहाल व्यवस्थाओं को उजागर करने के बाद गुरुवार को ईटीवी भारत की टीम लखनऊ के चौक स्पोर्ट्स स्टेडियम (chowk sports stadium) का हाल जानने पहुंची. यहां की तस्वीरें और भी ज्यादा हैरान और परेशान कर देने वाली हैं. खिलाड़ी अपनी जान जोखिम में डालकर जहरीले और वषैले जानवरों के बीच मेडल पाने के लिए प्रैक्टिस कर रहे हैं. खिलाड़ियों को प्रैक्टिस के लिए अपनी पिच खुद बनानी और तैयार करनी पड़ रही है. आधे से ज्यादा समय खिलाड़ियों को पिच बनाने में ही लग जाता है, जिससे प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे हैं. चौक स्टेडियम के हालात तो इतने बुरे हो चुके हैं कि वहां के क्षेत्रीय अधिकारी भी मौके पर नहीं रहते हैं. समस्याओं को लेकर जब क्षेत्रीय खेल अधिकारी आनंद श्रीवास्तव से बात करने की कोशिश की गई, तो कॉल भी रिसीव नहीं कर रहे हैं.


खेल विभाग के अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि स्टेडियम में खिलाड़ियों को खेल से जुड़ी हुई सभी तरह की सुविधाएं मुहैया कराए. मगर हकीकत तो यह है कि खिलाड़ियों को स्टेडियम में सेवाएं नहीं पा रहे हैं. खिलाड़ी आधा-आधा किलोमीटर दूर जाकर पानी ला रहे हैं. मैदान में लाइट की व्यवस्था ही नहीं की गई है. सरकार और खेल विभाग की तरफ से खिलाड़ियों को लेकर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. दिन-प्रतिदिन खेल की स्थिति दयनीय होती जा रही है. खिलाड़ी पानी पीकर घंटों प्रैक्टिस कर रहे हैं.

खेल विभाग के अधिकारियों की तरफ से खिलाड़ियों को कोई सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं, न ही खिलाड़ियों को साफ-सुथरा ग्राउंड मिल रहा है, जहां पर वह प्रैक्टिस कर सकें और न ही उन्हें खेल से जुड़े हुए को काम ही दिए जा रहे हैं. स्टेडियम की हालत बहुत ही खराब हो गई है. खिलाड़ियों के साथ दुश्मनों जैसा बर्ताव किया जा रहा है. खेल में सरकार की तरफ से बजट को कम कर देना और रेलवे किराये में मिलने वाली छूट को खत्म कर देने से भी खिलाड़ियों को काफी परेशानी हो रही है. वह राज्य स्तर और प्रदेश स्तर पर खेलने के लिए अपने संसाधनों से नहीं जा पा रहे हैं. रेल किराये में 75% मिलने वाली छूट समाप्त कर दी गई है.

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