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लखनऊ: दुतीचंद और हिमा दास से प्रेरित हो रहे खिलाड़ी

दुतीचंद और हिमा दास के हाल में किए प्रदर्शन से राजधानी में भी खिलाड़ियों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. उनकी भी आंखों में कुछ कर गुजरने का हौसला है. ईटीवी भारत ने जब इन खिलाड़ियों से बात की तो उन्होनें बताया कि कैसे वह इन दोनों खिलाड़ियों से प्रेरणा ले रहे हैं.

हिमा दास व दुती चन्द्र बन रही खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा
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Published : Jul 26, 2019, 2:35 PM IST

Updated : Jul 26, 2019, 3:05 PM IST

लखनऊ : लड़ाई जिंदगी की हो या फिर खुद को साबित करने की दोनों ही लड़ाई मुश्किल होती है. लेकिन उसको जज्बे और हौसले के साथ लड़ा जाए तो कोई भी लड़ाई लड़ाई नहीं रहती. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है भारत की दो बेटियां हिमा दास और दुतीचंद ने. असम राज्य की हिमा उस समय अपने देश के लिए खेल कर पदक जीत रही थीं, जब उनका राज्य बाढ़ से पीड़ित था और इतना ही नहीं उन्होंने कोई एक दो नहीं बल्कि 20 दिनों के भीतर 5 पदक अपने नाम किया. वह यहीं ही नहीं रुकी एक बेहतरीन खिलाड़ी होने के साथ-साथ उन्होनें एक बेहतरीन व्यक्तित्व की भी परिभाषा दी. वह बाढ़ पीड़ित असम के लिए अपना आधा से ज्यादा वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में दान कर दिया.

वहीं अपने सफर में दुतीचंद को भी लगभग 5 साल का बैन सहना पड़ा था. सिर्फ उनकी स्वाभाविक बायो लॉजिकल अवस्था के लिए उनका तिरस्कार लगातार समाज द्वारा किया गया लेकिन वह हिम्मत नहीं हारी. मैदान में शानदार वापसी करके उन्होनें खुद को साबित किया और यह भी संदेश दिया कि यदि आप अपने लक्ष्य पर फोकस हैं तो आपको कोई भी बाधाएं रोक नहीं सकती.

हिमा दास व दुतीचंद बनीं खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा.

राजधानी में स्टेडियम के खिलाड़ियों से जब ईटीवी भारत ने बात की तो उनका कहना है कि इन दोनों खिलाड़ियों ने हमें अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित किया है. किसी भी समस्या को जज्बे और हौसले के साथ लड़ा जाए तो लड़ाई लड़ी जा सकती है. इन खिलाड़ियों में भी अपने देश के लिए कुछ कर जाने का जज्बा है.

हिमा और दुतिचंद से प्रेरणा ले रहे खिलाड़ी -

  • ईटीवी भारत ने लखनऊ स्टेडियम में खिलाड़ियों से बात की.
  • उनका कहना है कि जिस तरह देश की बेटियां अपना नाम कर रही हैं वो काबिलेतारीफ है.
  • खिलाड़ियों ने कहा कि खिलाड़ियों को देख कर के यह मालूम चलता है कि जीवन में कोई भी काम कठिन नहीं होता.
  • सच्ची लगन व मेहनत के साथ सबकुछ हासिल किया जा सकता है.

खिलाड़ियों के जीवन में आती है कठिनाई -
खिलाड़ियों के जीवन में कठिनाइयों को लेकर जब हमने राजधानी लखनऊ के ही स्टेडियम में खेलने आए खिलाड़ियों से बातचीत की तो उन्होंने यह भी कहा कि खिलाड़ियों की जीवन में दिक्कतें समय-समय पर आती रहती हैं. लेकिन खिलाड़ी एक फाइटर होता है जो कि उन सभी तमाम दिक्कतों से लड़कर ही आगे बढ़ता है. ऐसे में कोई भी दिक्कत जीवन में या मैदान पर खिलाड़ियों को परेशान नहीं कर पाती है. उनमें यह जज्बा होता है कि वे बुरे दौर से भी गुजरकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचकर अपने देश का नाम ऊंचा करें.

पिछले गत वर्षों में हमने खिलाड़ियों को बेहतर सेवाएं देने का पूरा प्रयास किया है. इसी कड़ी में लगातार खिलाड़ियों की सेवाओं में हम लोग तत्परता के साथ उनकी सेवाओं को अपग्रेड करते रहते हैं. खिलाड़ियों को बेहतर कोचिंग के साथ साथ बेहतर सेवाएं भी मिल पाए. जिससे वे उन तमाम दिक्कतों से नजर हटाकर अपने खेल पर फोकस कर सकें
- आरपी सिंह, खेल निदेशक, उत्तर प्रदेश

लखनऊ : लड़ाई जिंदगी की हो या फिर खुद को साबित करने की दोनों ही लड़ाई मुश्किल होती है. लेकिन उसको जज्बे और हौसले के साथ लड़ा जाए तो कोई भी लड़ाई लड़ाई नहीं रहती. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है भारत की दो बेटियां हिमा दास और दुतीचंद ने. असम राज्य की हिमा उस समय अपने देश के लिए खेल कर पदक जीत रही थीं, जब उनका राज्य बाढ़ से पीड़ित था और इतना ही नहीं उन्होंने कोई एक दो नहीं बल्कि 20 दिनों के भीतर 5 पदक अपने नाम किया. वह यहीं ही नहीं रुकी एक बेहतरीन खिलाड़ी होने के साथ-साथ उन्होनें एक बेहतरीन व्यक्तित्व की भी परिभाषा दी. वह बाढ़ पीड़ित असम के लिए अपना आधा से ज्यादा वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में दान कर दिया.

वहीं अपने सफर में दुतीचंद को भी लगभग 5 साल का बैन सहना पड़ा था. सिर्फ उनकी स्वाभाविक बायो लॉजिकल अवस्था के लिए उनका तिरस्कार लगातार समाज द्वारा किया गया लेकिन वह हिम्मत नहीं हारी. मैदान में शानदार वापसी करके उन्होनें खुद को साबित किया और यह भी संदेश दिया कि यदि आप अपने लक्ष्य पर फोकस हैं तो आपको कोई भी बाधाएं रोक नहीं सकती.

हिमा दास व दुतीचंद बनीं खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा.

राजधानी में स्टेडियम के खिलाड़ियों से जब ईटीवी भारत ने बात की तो उनका कहना है कि इन दोनों खिलाड़ियों ने हमें अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित किया है. किसी भी समस्या को जज्बे और हौसले के साथ लड़ा जाए तो लड़ाई लड़ी जा सकती है. इन खिलाड़ियों में भी अपने देश के लिए कुछ कर जाने का जज्बा है.

हिमा और दुतिचंद से प्रेरणा ले रहे खिलाड़ी -

  • ईटीवी भारत ने लखनऊ स्टेडियम में खिलाड़ियों से बात की.
  • उनका कहना है कि जिस तरह देश की बेटियां अपना नाम कर रही हैं वो काबिलेतारीफ है.
  • खिलाड़ियों ने कहा कि खिलाड़ियों को देख कर के यह मालूम चलता है कि जीवन में कोई भी काम कठिन नहीं होता.
  • सच्ची लगन व मेहनत के साथ सबकुछ हासिल किया जा सकता है.

खिलाड़ियों के जीवन में आती है कठिनाई -
खिलाड़ियों के जीवन में कठिनाइयों को लेकर जब हमने राजधानी लखनऊ के ही स्टेडियम में खेलने आए खिलाड़ियों से बातचीत की तो उन्होंने यह भी कहा कि खिलाड़ियों की जीवन में दिक्कतें समय-समय पर आती रहती हैं. लेकिन खिलाड़ी एक फाइटर होता है जो कि उन सभी तमाम दिक्कतों से लड़कर ही आगे बढ़ता है. ऐसे में कोई भी दिक्कत जीवन में या मैदान पर खिलाड़ियों को परेशान नहीं कर पाती है. उनमें यह जज्बा होता है कि वे बुरे दौर से भी गुजरकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचकर अपने देश का नाम ऊंचा करें.

पिछले गत वर्षों में हमने खिलाड़ियों को बेहतर सेवाएं देने का पूरा प्रयास किया है. इसी कड़ी में लगातार खिलाड़ियों की सेवाओं में हम लोग तत्परता के साथ उनकी सेवाओं को अपग्रेड करते रहते हैं. खिलाड़ियों को बेहतर कोचिंग के साथ साथ बेहतर सेवाएं भी मिल पाए. जिससे वे उन तमाम दिक्कतों से नजर हटाकर अपने खेल पर फोकस कर सकें
- आरपी सिंह, खेल निदेशक, उत्तर प्रदेश

Intro:भारत की दो बेटियां अपने देश का नाम ऊंचा कर रही है उसी के साथ साथ अपने क्षेत्र अपने आसपास के लोगों का भी नाम अपने काम से उठा कर रही हैं। तो वहीं देश के नाम को शिखर पर ले जा रहे हैं। दुती चंद और हिमा दास ओडिशा औरअसम की दो बेटियां हैं।। जिसमें हिमा दास का घर पानी में डूब रहा था दुती चंद अपने शारीरिक स्वाभाविक स्वभाव को लेकर के समाज का तिरस्कार झेल रही थी।लेकिन दोनों ने ही अपने खेल से यह साबित कर दिया और इके बाद यह चीख चीख कर कहा कि "मुझे नीचे दिखाओ तो मैं और मजबूती से उठूंगी। इस पर हमने इन दोनों के जज्बे और हौसले पर राजधानी लखनऊ के खिलाड़ियों से बातचीत करी उनसे यह जाना कि कैसे प्रेरणा लेते हैं इन दोनों खिलाड़ियों से।





Body:लड़ाई जिंदगी की हो या फिर खुद को साबित करने की यह दोनों लड़ाई ही मुश्किल होती हैं। लेकिन उसको जज्बे और हौसले के साथ लड़ा जाए तो फूल भी लड़ाई लड़ाई नहीं रहती। ऐसा हिमा और दुति चंद दोनों ने साबित किया। सीमा असम प्रदेश की रहने वाली है। जहां बाढ़ ने पूरे प्रदेश को अपने आगोश में ले रखा है और पिछले कुछ समय से अपने देश से भी बाहर हैं। लेकिन वहां भी अपने प्रदेश और अपनों की फिकर उन्हें इस कदर सताती रही की ही अपना आधे से ज्यादा वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में दान कर दिया साथ ही उन सभी लोगों से यह भी अपील करी जो भी लोग इस बाढ़ पीड़ित राहत कोष में मदद करना चाहते हैं तो जरूर आगे आये । तो वही अपने सफ़र में दुती चंद को भी लगभग 5 साल का बैन कर दिया गया था। सिर्फ उनकी स्वाभाविक बायो लॉजिकल अवस्था के लिए उनका तिरस्कार लगातार समाज द्वारा भी किया गया। लेकिन उनकी इस वापसी ने यह सब साबित कर दिया है कि हौसले और मेहनत की उड़ान इन सबसे ऊपर है। राजधानी लखनऊ के खिलाड़ियों से जब हमने बातचीत करी तो उन्होंने इन दोनों ही खिलाड़ियों से प्रेरित होने की बातें कहीं खिलाड़ियों ने कहा की खिलाड़ियों को देख कर के यह मालूम चलता है कि किसी भी तरह से जीवन में कोई भी काम कठिन नहीं है। यदि वह सच्ची लगन वह हौसले के साथ मेहनत के साथ किया जाए।

खिलाड़ियों के जीवन में कठिनाइ

खिलाड़ियों के जीवन में कठिनाइयों को लेकर जब हमने राजधानी लखनऊ के ही स्टेडियम में खेलने आए खिलाड़ियों से बातचीत करी तो उन्होंने यह भी कहा कि खिलाड़ियों की जीवन में दिक्कतें समय समय पर आती रहती हैं। लेकिन खिलाड़ी एक फाइटर होता है। जो कि उन सभी तमाम दिक्कतों से लड़कर ही आगे बढ़ता है। ऐसे में कोई भी दिक्कत जीवन में या मैदान पर खिलाड़ियों को परेशान नहीं कर पाती है। ऐसा कई बार देखने को मिलता है कि खिलाड़ियों को बेहतर सेवाएं न सरकार द्वारा मिलती है ना प्रशासन द्वारा ऐसे में कई बार यह भी खबर आती है कि जब कोई खिलाड़ी किस जिले में अपने खेल प्रतियोगिता के लिए गए हुए हैं तो उन्हें वहां रहने के लिए अच्छी व्यवस्था तक नहीं मिलती। लेकिन उनमें यह जज्बा होता है कि वे उस दौर से गुजर कर राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय दौर पर आ कर के अपने देश का नाम ऊंचा करते हैं।

खिलाड़ियों को बेहतर सेवाएं देने का कर रहे हैं प्रयास

खिलाड़ियों को जिला स्तर से लेकर के अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचने में तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। चाहे यह दिक्कत है उनके जीवन में हो या फिर खेल के मैदान में। इन्हीं दिक्कतों पर जब हमने उत्तर प्रदेश के खेल निदेशक आरपी सिंह से बातचीत करी तो उन्होंने कहा कि पिछले गत वर्षो में हमने खिलाड़ियों को बेहतर सेवाएं देने का पूरा प्रयास किया है। इसी कड़ी में लगातार खिलाड़ियों की सेवाओं में हम लोग तत्परता के साथ उनकी सेवाओं को अपग्रेड करते रहें जिससे कि खिलाड़ियों को बेहतर कोचिंग के साथ साथ बेहतर सेवाएं भी मिल पाए। जिससे वे उन तमाम दिक्कतों से नजर हटा कर अपने खेल पर फोकस कर सके।


वॉक्सपोप- खिलाड़ियों के साथ
बाइट- आर पी सिंह, खेल निद्देशक, उत्तर प्रदेश






Conclusion:एन्ड
शुभम पाण्डेय
7054605976
Last Updated : Jul 26, 2019, 3:05 PM IST
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