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1400 करोड़ लग गए, धरी रह गई गोमती को टेम्स बनाने की योजना, ये है हालत

2012 में बहुमत से चुनकर आई समाजवादी पार्टी की सरकार ने गोमती नदी को लंदन की टेम्स नदी (London Thames River) की तर्ज पर विकसित करने की योजना बनाई थी. सपा सरकार में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Former Chief Minister Akhilesh Yadav) ने इस योजना पर काफी काम भी किया था. वहीं वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी की सरकार भी पिछले करीब 6 साल से गोमती को प्रदूषण मुक्त नहीं कर सकी है, जिसकी वजह से आदि गंगा कही जाने वाली यह नदी नाले का रूप लेती जा रही है.

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Published : Dec 1, 2022, 10:14 PM IST

लखनऊ : 2012 में बहुमत से चुनकर आई समाजवादी पार्टी की सरकार ने गोमती नदी को लंदन की टेम्स नदी (London Thames River) की तर्ज पर विकसित करने की योजना बनाई थी. सपा सरकार में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Former Chief Minister Akhilesh Yadav) ने इस योजना पर काफी काम भी किया था. वहीं वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी की सरकार भी पिछले करीब 6 साल से गोमती को प्रदूषण मुक्त नहीं कर सकी है, जिसकी वजह से आदि गंगा कही जाने वाली यह नदी नाले का रूप लेती जा रही है. नाले बदस्तूर गोमती में गिर रहे हैं. नदी जलकुंभी से पट गई है. नदी की यह स्थिति हो गई है कि यह एक-दो दशक में ही अपना अस्तित्व खोने की कगार पर है.


अखिलेश यादव की सरकार ने हनुमान सेतु से लेकर ला मार्टिनियर कॉलेज तक दोनों ओर 16 किलोमीटर में घाटों पर रिवरफ्रंट विकसित किया जाना था. लगभग साढे़ तीन साल में 14 सौ करोड़ रुपए का खर्च इस परियोजना पर किया गया था, मगर इस योजना के दूसरे हिस्से में गोमती को प्रदूषण मुक्त करने पर काम कभी नहीं किया गया. जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार 2017 में आई तब रिवरफ्रंट परियोजना की जांच सीबीआई से कराने का निर्णय लिया गया. इसके अलावा गोमती को प्रदूषण से बचाने के लिए जीएच कैनाल के मुहाने पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण शुरू किया गया. मगर पिछले करीब 5 साल में यह निर्माण 50 प्रतिशत तक भी नहीं पहुंचा है. इस घोटाले के मामले में सिंचाई विभाग के तत्कालीन अफसर अभी जेल में हैं. सीबीआई ने अब कुछ आईएएस अधिकारियों और तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव से पूछताछ करने के लिए शासन से इजाजत मांगी है. मगर इन सबके बीच गोमती का प्रदूषण वहीं का वहीं बना हुआ है.

बातचीत करते संवाददाता ऋषि मिश्र

गोमती प्रदूषण पर लगातार काम करते रहे वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता रिद्धि किशोर गौड़ ने बताया कि शुरू से ही मैं रिवरफ्रंट योजना का विरोधी रहा. नदी को बांधना उचित नहीं था मैं इसका विरोध करता रहा. इसके बावजूद योजना चलती रही, आज परिणाम हमारे सामने है. नए पक्के पुल के पास बांध बनाकर नदी को रोका गया. उसको लेकर मैंने कई शिकायतें की मगर सिंचाई विभाग का कहना है कि सीबीआई जांच चलने की वजह से इस बांध को अभी नहीं हटाया जा सकता.

चौक के रहने वाले आशीष अग्रवाल ने बताया कि हम बचपन में गोमती में नहाने आते थे और यहां नीचे तक बालू दिखाई देती थी, मगर सरकार की अनदेखी और हजारों करोड़ रुपए खर्च के बावजूद आज हमको गोमती प्रदूषित दिख रही है, जिसका दुःख पूरे चौक को है.

नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने बताया कि हम लगातार गोमती प्रदूषण मुक्त करने के लिए प्रयास कर रहे हैं. नए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया जा रहा है. इसके अलावा लोगों से भी अपील की जा रही है की गोमती को गंदा ना करें. निश्चित तौर पर हमें निकट भविष्य में सफलता मिलेगी.

यह भी पढ़ें : मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना से आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों का भविष्य संवरेगा

लखनऊ : 2012 में बहुमत से चुनकर आई समाजवादी पार्टी की सरकार ने गोमती नदी को लंदन की टेम्स नदी (London Thames River) की तर्ज पर विकसित करने की योजना बनाई थी. सपा सरकार में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Former Chief Minister Akhilesh Yadav) ने इस योजना पर काफी काम भी किया था. वहीं वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी की सरकार भी पिछले करीब 6 साल से गोमती को प्रदूषण मुक्त नहीं कर सकी है, जिसकी वजह से आदि गंगा कही जाने वाली यह नदी नाले का रूप लेती जा रही है. नाले बदस्तूर गोमती में गिर रहे हैं. नदी जलकुंभी से पट गई है. नदी की यह स्थिति हो गई है कि यह एक-दो दशक में ही अपना अस्तित्व खोने की कगार पर है.


अखिलेश यादव की सरकार ने हनुमान सेतु से लेकर ला मार्टिनियर कॉलेज तक दोनों ओर 16 किलोमीटर में घाटों पर रिवरफ्रंट विकसित किया जाना था. लगभग साढे़ तीन साल में 14 सौ करोड़ रुपए का खर्च इस परियोजना पर किया गया था, मगर इस योजना के दूसरे हिस्से में गोमती को प्रदूषण मुक्त करने पर काम कभी नहीं किया गया. जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार 2017 में आई तब रिवरफ्रंट परियोजना की जांच सीबीआई से कराने का निर्णय लिया गया. इसके अलावा गोमती को प्रदूषण से बचाने के लिए जीएच कैनाल के मुहाने पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण शुरू किया गया. मगर पिछले करीब 5 साल में यह निर्माण 50 प्रतिशत तक भी नहीं पहुंचा है. इस घोटाले के मामले में सिंचाई विभाग के तत्कालीन अफसर अभी जेल में हैं. सीबीआई ने अब कुछ आईएएस अधिकारियों और तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव से पूछताछ करने के लिए शासन से इजाजत मांगी है. मगर इन सबके बीच गोमती का प्रदूषण वहीं का वहीं बना हुआ है.

बातचीत करते संवाददाता ऋषि मिश्र

गोमती प्रदूषण पर लगातार काम करते रहे वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता रिद्धि किशोर गौड़ ने बताया कि शुरू से ही मैं रिवरफ्रंट योजना का विरोधी रहा. नदी को बांधना उचित नहीं था मैं इसका विरोध करता रहा. इसके बावजूद योजना चलती रही, आज परिणाम हमारे सामने है. नए पक्के पुल के पास बांध बनाकर नदी को रोका गया. उसको लेकर मैंने कई शिकायतें की मगर सिंचाई विभाग का कहना है कि सीबीआई जांच चलने की वजह से इस बांध को अभी नहीं हटाया जा सकता.

चौक के रहने वाले आशीष अग्रवाल ने बताया कि हम बचपन में गोमती में नहाने आते थे और यहां नीचे तक बालू दिखाई देती थी, मगर सरकार की अनदेखी और हजारों करोड़ रुपए खर्च के बावजूद आज हमको गोमती प्रदूषित दिख रही है, जिसका दुःख पूरे चौक को है.

नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने बताया कि हम लगातार गोमती प्रदूषण मुक्त करने के लिए प्रयास कर रहे हैं. नए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया जा रहा है. इसके अलावा लोगों से भी अपील की जा रही है की गोमती को गंदा ना करें. निश्चित तौर पर हमें निकट भविष्य में सफलता मिलेगी.

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