लखनऊ : प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी सरकार पर्यटन के क्षेत्र में बढ़ चढ़कर काम कर रही है. पूरे प्रदेश को अलग-अलग सर्किटों में बांटकर विकास को गति देने का काम किया जा रहा है. मंगलवार से शुरू हुए विधान मंडल के शीतकालीन सत्र में पेश किए गए अनुपूरक बजट में श्री राम मंदिर लोकार्पण के लिए आवंटित धनराशि से यह साफ हो गया कि आने वाले दिनों में प्रदेश का माहौल राममय होने वाला है. इससे पहले काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के साथ ही वाराणसी में विकास के अभूतपूर्व कार्य किए गए हैं, वहीं अयोध्या में बड़े स्तर पर विकास कार्य कराए जा रहे हैं. देवीपाटन, मथुरा, नैमिषारण्य, चित्रकूट, प्रयागराज, गोरखपुर, देवीपाटन आदि के साथ ही प्रदेश के अन्य धार्मिक पर्यटन वाले क्षेत्रों में भी काफी कम हो रहे हैं. इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि आगामी वर्षों में प्रदेश पर्यटन का हब बनेगा.
धोपेश्वर नाथ मंदिर के विषय में मान्यता : पांच हजार साल पुराने बरेली के छावनी क्षेत्र में स्थित धोपेश्वर नाथ मंदिर के विषय में मान्यता है कि द्रौपदी के गुरु ध्रूम ऋषि ने द्वापर में तपस्या की थी. इस दौरान उन्होंने यहां शिवलिंग की स्थापना की और तभी से इसका नाम धोपेश्वर नाथ पड़ गया. उनके प्राण त्यागने के कुछ समय बाद यह मंदिर धोपेश्वर नाथ के नाम से प्रसिद्ध हुआ. तमाम श्रद्धालु इसे धोपा मंदिर भी बोलते हैं. यह भी कहा जाता है कि अवध के नवाब शुजाउद्दौला की मनोकामना भी इस मंदिर में पूर्ण हुई थी, वहीं लखीमपुर के सेठ घाट, बांकेगंज स्थित बाबा बनवारी दास धाम और पडसर के मोहम्मदी गांव स्थित काली माता मंदिर भी किसी परिचय का मोहताज नहीं है. इन सभी तीर्थस्थलों में सौंदर्यीकरण समेत विकास कार्यों को बढ़ावा देने के लिए बहुत जल्द ही धन आवंटन किया जाने वाला है.
विकास प्रक्रिया को पूर्ण करने की तैयारी : उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम लिमिटेड की सौंदर्यीकरण व विकास प्रक्रिया के मौजूदा चरण में पांच जिलों के चिह्नित तीर्थों में विकास प्रक्रिया को पूर्ण करने की तैयारी की गई है. इनमें सीतापुर, लखीमपुर और बस्ती आदि के मंदिरों व तीर्थस्थलों को प्रमुखता दी गई है. बस्ती के विक्रमजोत स्थित देवखार गांव में स्थित झरखंडी मंदिर, दुबखारा स्थित काली माता मंदिर व रेपुरा के जंगलों में स्थित श्रीराम-जानकी मंदिर में सौंदर्यीकरण व विकास कार्यों को पूर्ण करने के लिए यूपीएसटीडीसी की ओर से ई-टेंडरिंग प्रक्रिया शुरू की गई है, जिसके जरिए चयनित कंपनी व एजेंसी को कार्य आवंटित किए जाएंगे. आजमगढ़ के हरखोरी स्थित माता कालिका मंदिर में भी विकास कार्यों को पूर्ण करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. यही नहीं उन्नाव के सिद्धपीठ माता मंशारानी मंदिर व नवल जातापुर स्थित बौद्ध तीर्थस्थल के विकास और सौंदर्यीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.
सौंदर्यीकरण समेत विकास कार्यों को किया जाएगा पूर्ण : प्रदेश धार्मिक महत्व वाले स्थलों के लिहाज से काफी समृद्ध रहा है, लेकिन इस क्षेत्र में काशी, प्रयागराज, मथुरा-वृंदावन, अयोध्या, मिर्जापुर, गोरखपुर, चित्रकूट, नैमिषारण्य व देवीपाटन क्षेत्रों के तीर्थस्थलों को प्रमुखता दी जाती है. अब उन धार्मिक, आध्यात्मिक व ऐतिहासिक महत्व वाले स्थलों को भी सौंदर्यीकरण व विकास कार्यों के लिए वरीयता जा रही है जो कई वर्षों से इस प्रक्रिया से वंचित रहे हैं. इस क्रम में, सीएम योगी की मंशा के अनुरूप एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की गई है जिसके क्रियान्वयन की प्रक्रिया उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम लिमिटेड (यूपीएसटीडीसी) ने शुरू कर दी है. इस प्रक्रिया के अंतर्गत यूपीएसटीडीसी ने बस्ती में काली माता मंदिर, झारखंडी मंदिर व श्रीराम-जानकी मंदिर, आजमगढ़ में कालिका मंदिर व उन्नाव में सिद्धपीठ माता मंशारानी मंदिर तथा लखीमपुर में काली मंदिर, सेठ घाट तथा बाबा बनवारी दास धाम व बरेली के धोपेश्वरनाथ मंदिर समेत दर्जन भर धार्मिक महत्व वाले स्थलों पर सौंदर्यीकरण समेत विकास कार्यों को पूर्ण किया जाएगा.