लखनऊ: यूपी में फार्मासिस्टों का आंदोलन मरीजों के लिए आफत बनता जा रहा है. दूर-दराज से अस्पताल आए मरीजों को दवा नहीं मिल पा रही है. ऐसे में उन्हें घंटों लाइन में लगना पड़ता है. कई मरीजों को बाहर से दवा खरीदनी पड़ रही है. वहीं, इस पूरे मामले में अस्पताल प्रशासन के अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है.
बता दें कि राजधानी में बलरामपुर, सिविल, लोकबंधु व राम सागर मिश्र अस्पताल समेत कई अस्पतालों के फार्मासिस्ट अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. इसके चलते उन्होंने शुक्रवार को कार्य बहिष्कार किया और दवा काउंटर बंद कर दिए. सुबह 8 बजे से ओपीडी में बैठे डॉक्टरों से मरीज जब इलाज कराकर दवा काउंटर पर पहुंचे तो काउंटर बंद मिले.
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सुबह 8 बजे से 10 बजे तक फार्मासिस्टों ने दवा काउंटर बंद रखे. इससे मरीजों को दवा नहीं मिली. साथ ही कई मरीज मेडिकल स्टोर से दवा खरीदने को मजबूर हुए. इस दौरान दवा काउंटर के बाहर फार्मासिस्टों ने बैनर लगाकर नारेबाजी भी की. आंदोलनकारियों ने कहा कि जब तक उनकी मांगें नहीं मान ली जातीं, तब तक कार्य बहिष्कार जारी रहेगा.
डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि प्रदेशभर के सभी सीएमओ कार्यालयों पर 4 दिसंबर से धरना चल रहा है. प्रदेश के सभी फार्मासिस्ट ने 5 से 8 दिसंबर तक काला फीता बांधकर आंदोलन किया गया.
साथ ही गुरुवार से प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों, चिकित्सालयों, सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, पुलिस व पीएसी चिकित्सालयों में सुबह दो घंटे कार्य बहिष्कार जारी है. हालांकि आकस्मिक सेवाएं, पोस्टमार्टम व मेडिको लीगल का काम चल रहा है.
अध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि उनकी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री योगी के नाम ज्ञापन भी दिया गया है लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक हल नहीं मिला. कहा कि अगर सुनवाई नहीं हुई तो आंदोलन और तेज होगा. साथ ही कार्य बहिष्कार की अवधि भी बढ़ाने का निर्णय लिया जाएगा.
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महामंत्री उमेश मिश्र ने कहा कि सरकार चिकित्सा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए गंभीर नहीं दिख रही. यहां मानक के अनुसार पदों की संख्या कम हैं. इससे सेवाएं प्रभावित हो रही हैं. प्रदेश में जनसंख्या के अनुपात में मानक के अनुसार 2160 की जगह 853 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 7200 पीएचसी की जगह 3621 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं. इससे चिकित्सालयों में भीड़ बढ़ती जा रही है.
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