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स्मारक समिति पीएफ घोटाले में लेखाकार सस्पेंड, 10 करोड़ के गबन में 7 लोग पकड़े जा चुके - लेखाकार को सस्पेंड किया गया

बसपा कार्यकाल में बनाए गए स्मारकों के कर्मचारियों की भविष्य निधि के घोटाले में आरोपी लेखाकार को सस्पेंड किया गया है. इस मामले में पुलिस ने बैंक अधिकारियों समेत 7 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है.

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पीएफ घोटाला
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Published : Mar 12, 2022, 8:40 AM IST

लखनऊ: पिछले दिनों बहुजन समाज पार्टी के कार्यकाल में बनाए गए स्मारकों के कर्मचारियों की भविष्य निधि में एक घोटाला हुआ था. जिसमें पुलिस ने अनेक बैंक अधिकारियों को गिरफ्तार किया था. इस मामले में अब विभागीय कार्यवाही ने जोर पकड़ लिया. अंबेडकर पार्क स्मारक समिति के कर्मचारियों के पीएफ घोटाले में ₹10 करोड़ का गबन किया गया था. पुलिस ने स्मारक समिति के लेखाकार संजय सिंह को गिरफ्तार किया था. जिसको प्रबंधन समिति ने सस्पेंड कर दिया.

लखनऊ और नोएडा में बने स्मारकों के रखरखाव और सुरक्षा के लिए तैनात कर्मचारियों के पीएफ अकाउंट से करोड़ों रुपये निकालने के मामले में लखनऊ पुलिस ने लेखाकार समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया था. दरअसल, एक साल पहले अंबेडकर स्मारक समिति के कर्मचारियों के पीएफ खाते से पैसा जालसाजी कर ट्रांसफर करवाया गया था.

31 मार्च 2020 को हजरतगंज के पंजाब नेशनल बैंक शाखा के स्मारक समिति के बचत खाते से 48 करोड़ बैंक ऑफ बड़ौदा की रोशनाबाद ब्रांच में ट्रांसफर कर दिए गए थे. अंबेडकर स्मारक के लेखाकार संजय सिंह को जानकारी थी कि भविष्य निधि की इस रकम का एफडी करवाया जाना है.


इसका फायदा उठाते हुए संजय सिंह ने रोशनाबाद की बैंक ऑफ बड़ौदा ब्रांच में समिति के नाम का फर्जी बचत खाता खुलवाया. एलडीए सचिव पवन गंगवार के फर्जी दस्तखत वाला फर्जी पत्र लगाकर संजय सिंह ने अपने करीबी शैलेंद्र उर्फ शैलू और कृष्ण मोहन श्रीवास्तव को खाताधारक बनवा दिया.

विभाग में 48 करोड़ रुपये गायब होने पर जांच शुरू की गई तो आरोपियों ने 2-2 करोड़ की किस्त में 20 दिन के अंदर 38 करोड़ रुपये वापस समिति के असली खाते में जमा कर दिए. असली खाते में जमा किए गए 38 करोड़ में 13 करोड़ फर्जी खाते से और 25 करोड़ पे राइट कंपनी के खाते से जमा कराए गए.


इसके बाद पे राइट कंपनी के डायरेक्टर सतीश पांडे और मंगलेश सिंह ने 10 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने से मना कर दिया. जब पूरी रकम समिति के खाते में नहीं पहुंची तो मामले का खुलासा हुआ और एफआईआर दर्ज हुई. मामले में पुलिस ने जांच के बाद अकाउंटेंट संजय सिंह, खाताधारक शैलेंद्र सिंह, कृष्ण मोहन श्रीवास्तव समेत 7 लोगों को गिरफ्तार कर लिया था.

यह भी पढ़ें-15 मार्च को शपथ ले सकते हैं योगी आदित्यनाथ और उनका मंत्रिमंडल, पीएम मोदी के समारोह में आने की उम्मीद

इस पूरी धोखाधड़ी में शामिल कृष्ण मोहन श्रीवास्तव को गोंडा पुलिस बाइक चोरी में पहले भी जेल भेज चुकी है. वहीं, दूसरी तरफ स्मारक समिति के नाम से बनी फर्जी ईमेल आईडी को चलाने वाला संदीप सिंह 6 करोड़ के घोटाले का आरोपी है. सीबीआई कोर्ट से 2015 में इसे 7 साल की सजा सुनाई गई थी.

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लखनऊ: पिछले दिनों बहुजन समाज पार्टी के कार्यकाल में बनाए गए स्मारकों के कर्मचारियों की भविष्य निधि में एक घोटाला हुआ था. जिसमें पुलिस ने अनेक बैंक अधिकारियों को गिरफ्तार किया था. इस मामले में अब विभागीय कार्यवाही ने जोर पकड़ लिया. अंबेडकर पार्क स्मारक समिति के कर्मचारियों के पीएफ घोटाले में ₹10 करोड़ का गबन किया गया था. पुलिस ने स्मारक समिति के लेखाकार संजय सिंह को गिरफ्तार किया था. जिसको प्रबंधन समिति ने सस्पेंड कर दिया.

लखनऊ और नोएडा में बने स्मारकों के रखरखाव और सुरक्षा के लिए तैनात कर्मचारियों के पीएफ अकाउंट से करोड़ों रुपये निकालने के मामले में लखनऊ पुलिस ने लेखाकार समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया था. दरअसल, एक साल पहले अंबेडकर स्मारक समिति के कर्मचारियों के पीएफ खाते से पैसा जालसाजी कर ट्रांसफर करवाया गया था.

31 मार्च 2020 को हजरतगंज के पंजाब नेशनल बैंक शाखा के स्मारक समिति के बचत खाते से 48 करोड़ बैंक ऑफ बड़ौदा की रोशनाबाद ब्रांच में ट्रांसफर कर दिए गए थे. अंबेडकर स्मारक के लेखाकार संजय सिंह को जानकारी थी कि भविष्य निधि की इस रकम का एफडी करवाया जाना है.


इसका फायदा उठाते हुए संजय सिंह ने रोशनाबाद की बैंक ऑफ बड़ौदा ब्रांच में समिति के नाम का फर्जी बचत खाता खुलवाया. एलडीए सचिव पवन गंगवार के फर्जी दस्तखत वाला फर्जी पत्र लगाकर संजय सिंह ने अपने करीबी शैलेंद्र उर्फ शैलू और कृष्ण मोहन श्रीवास्तव को खाताधारक बनवा दिया.

विभाग में 48 करोड़ रुपये गायब होने पर जांच शुरू की गई तो आरोपियों ने 2-2 करोड़ की किस्त में 20 दिन के अंदर 38 करोड़ रुपये वापस समिति के असली खाते में जमा कर दिए. असली खाते में जमा किए गए 38 करोड़ में 13 करोड़ फर्जी खाते से और 25 करोड़ पे राइट कंपनी के खाते से जमा कराए गए.


इसके बाद पे राइट कंपनी के डायरेक्टर सतीश पांडे और मंगलेश सिंह ने 10 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने से मना कर दिया. जब पूरी रकम समिति के खाते में नहीं पहुंची तो मामले का खुलासा हुआ और एफआईआर दर्ज हुई. मामले में पुलिस ने जांच के बाद अकाउंटेंट संजय सिंह, खाताधारक शैलेंद्र सिंह, कृष्ण मोहन श्रीवास्तव समेत 7 लोगों को गिरफ्तार कर लिया था.

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इस पूरी धोखाधड़ी में शामिल कृष्ण मोहन श्रीवास्तव को गोंडा पुलिस बाइक चोरी में पहले भी जेल भेज चुकी है. वहीं, दूसरी तरफ स्मारक समिति के नाम से बनी फर्जी ईमेल आईडी को चलाने वाला संदीप सिंह 6 करोड़ के घोटाले का आरोपी है. सीबीआई कोर्ट से 2015 में इसे 7 साल की सजा सुनाई गई थी.

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