लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और उनके सचिव विजय गुप्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने सुल्तानपुर के एमपी-एमएलए कोर्ट के उस आदेश को भी सही ठहराया है. जिसमें कोर्ट ने वर्तिका सिंह के एफआईआर दर्ज कराने के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया था. यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने वर्तिका सिंह की पुनरीक्षण याचिका पर पारित किया.
याचिका पर पिछली सुनवाई के दौरान वर्तिका सिंह की ओर से अधिवक्ता के उपस्थित न होने पर न्यायालय ने सुनवाई टाल दी थी. इस बार की सुनवाई के दौरान भी उनकी ओर से कोई भी उपस्थित नहीं हुआ. न्यायालय ने पाया कि वर्तिका सिंह ने सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत दाखिल अपने प्रार्थना पत्र में सत्र अदालत के समक्ष कहा था कि वह अंतर्राष्ट्रीय शूटर हैं, वह तमाम महत्वपूर्ण स्थानों पर शूटिंग ट्रेनिंग देने के अलावा पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री के बच्चों कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के बच्चों को भी शूटिंग की ट्रेनिंग दे चुकी हैं.
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उन्होंने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय महिला आयोग में सदस्य बनाने के नाम पर उनके साथ ठगी का प्रयास किया गया. उनसे डॉ. रजनीश सिंह नाम के एक व्यक्ति ने सदस्य बनवाने के लिए 25 लाख रुपये की मांग की. यह भी कहा गया कि आठ महीनों तक स्मृति ईरानी के सचिव विजय गुप्ता भी उनसे पैसों की मांग करते रहे.
साथ ही इस पूरे प्रकरण में स्मृति ईरानी के भी शामिल होने का आरोप लगाया गया. याचिका का विरोध करते हुए कहा गया कि वर्तिका सिंह के विरुद्ध कई आपराधिक मामले दर्ज हैं. इनमें वर्तमान मामले के सम्बंध में कूटरचित दस्तावेज तैयार करने के आरोप में भी एक एफआईआर वर्तिका सिंह और कमल किशोर कमांडो के खिलाफ दर्ज है. न्यायालय ने सभी परिस्थितियों पर गौर करने के उपरांत याचिका को खारिज कर दिया.
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