लखनऊः उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर एक बार फिर मामला फंसता हुआ नजर आ रहा है. हाईकोर्ट के 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण प्रक्रिया जारी करने के आदेश को चुनौती देते हुए एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है.
2015 को मूल वर्ष मानने पर आपत्ति
सीतापुर के रहने वाले लाल सिंह यादव ने दलितों और वंचितों के अधिकारों के हनन का सवाल उठाते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर सरकार द्वारा जारी किए गए आरक्षण को चुनौती देते हुए यह याचिका दाखिल करवाई है. अधिवक्ता अमित सिंह भदौरिया ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ एसएलपी दाखिल की है. इस याचिका में 2015 को आरक्षण के लिए मूल वर्ष मानने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है.
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दलितों और वंचितों के अधिकारों का हनन
याचिकाकर्ता लाल सिंह का यादव का कहना है कि दलितों और वंचितों को संविधान में प्रदत्त अधिकारों का हनन हो रहा है, इसलिए हमने यह याचिका दाखिल की है. याचिकाकर्ता का यह भी दावा है कि वर्ष 1995 से लेकर 2005 तक तमाम ऐसी ग्रामपंचायती रहे जहां पर एक ही श्रेणी का आरक्षण लागू किया गया था. हाईकोर्ट को सही तथ्य से अवगत नहीं कराया गया, ऐसे में हाईकोर्ट द्वारा 2015 को आधार वर्ष मानते हुए आरक्षण प्रक्रिया लागू करने का आदेश दिया गया था. ऐसे में हमने इसे चुनौती दी है और हमें पूरी उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट से हमें न्याय मिलेगा.