लखनऊ : कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय पाठक (vinay pathak case) के खिलाफ इंदिरा नगर थाने में दर्ज वसूली व भ्रष्टाचार मामले की जांच सीबीआई से कराने के राज्य सरकार के फैसले को स्वयं वादी डेविड मारियो डेनिस ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में चुनौती दी है. वादी की इस याचिका पर सोमवार को सुनवाई होगी.
याची के अधिवक्ता अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी ने बताया कि 'सरकार द्वारा मामले की जांच सीबीआई से कराने के फैसले को चुनौती देते हुए कहा गया है कि एसटीएफ ने मामले की जांच लगभग पूरी कर ली थी व चार्ज शीट दाखिल करने वाली थी, लेकिन अचानक से जांच सीबीआई को देकर मामले के अभियुक्तों प्रो. विनय पाठक व उसके सहयोगी अजय मिश्रा के मदद का प्रयास किया जा रहा है. कहा गया है कि 'सीबीआई को जांच देने से चार्जशीट दाखिल करने में विलम्ब होगा और ऐसी स्थिति में जेल में बंद अभियुक्त अजय मिश्रा को डिफ़ॉल्ट बेल मिल सकती है. यह भी कहा गया है कि 'प्रो. विनय पाठक को अब तक न तो गिरफ्तार किया गया है और न ही उससे कोई पूछताछ की गई है, वह कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर अब भी बना हुआ है. याचिका में मामले की जांच हाईकोर्ट की निगरानी में कराए जाने की भी मांग की गई है.'
उल्लेखनीय है कि प्रो. पाठक (vinay pathak case) व प्राइवेट कम्पनी के मालिक अजय मिश्रा पर 29 अक्टूबर को इंदिरा नगर थाने में डेविड मारियो डेनिस ने एफआईआर दर्ज कराते हुए आरोप लगाया है कि पाठक के आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति रहने के दौरान उसके कम्पनी द्वारा किए गए कार्यों के भुगतान के लिए अभियुक्तों ने 15 प्रतिशत कमीशन वसूला. उससे कुल एक करोड़ 41 लाख रुपये की वसूली अभियुक्तों द्वारा जबरन की जा चुकी है. एफआईआर में यह भी कहा गया है कि वादी को उक्त अभियुक्तों से अपनी जान को खतरा है.