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KGMU में खुला पर्सनलाइज्ड मेडिसिन, अब गंभीर बीमारियों का होगा आसानी से इलाज

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में अब गंभीर बीमारियों का होगा और भी बेहतर इलाज. पर्सनलाइज्ड मेडिसिन है बेहतर विकल्प. 150 तरह की होती हैं एंटीबायोटिक दवाएं.

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Published : Nov 19, 2021, 7:22 PM IST

लखनऊः उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में अब गंभीर बीमारियों का और बेहतर इलाज हो सकेगा. जहां सेंटर फॉर प्रोसिजन मेडिसिन और पर्सनलाइज्ड मेडिसिन खुल गया है. इसमें बीमारी की सटीक डोज तय की जा सकेगी. जिसे लेकर केजीएमयू के कलाम सेंटर में प्रोसिजन मेडिसिन और पर्सनलाइज्ड मेडिसिन विषय पर अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी भी हुई.

पर्सनलाइज्ड मेडिसिन है बेहतर विकल्प

इस दौरान सेंटर फॉर एडवांस रिसर्च व हिमैटोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर एके त्रिपाठी ने कहा कि हर व्यक्ति के जीन की संरचना अलग होती है. इनके मॉलीक्यूलर स्तर पर बदलाव होता है. यही नहीं बीमारी और उसका प्रभाव भी अलग-अलग होता है. इस दौरान कई मेडिसिन ऐसी होती है जो कुछ मरीजों पर असर करती हैं, वहीं दूसरे व्यक्ति पर बेअसर साबित हो जाती हैं. ऐसे में पर्सनलाइज्ड मेडिसिन बेहतर विकल्प है.

यह भी पढ़ें- गजब! सांसे चल रही थी मगर 7 घंटे तक मोर्चरी में रहा 'मृत' श्रीकेश, कुछ यूं मिली दूसरी जिंदगी


सेंटर के लिए बनेगा अलग भवन

बता दें कि पर्सनलाइज्ड मेडिसिन में रोगी के कई पहलुओं को शामिल किया जाता है। इसमें आयु, लिंग, आनुवांशिक डिटेल ली जाती है. इसमें जीवन की गुणवत्ता, मानसिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं को भी शामिल किया जाता है.

कुलपति डॉक्टर बिपिन पुरी ने बताया कि प्रोसिजन और पर्सनलाइज्ड मेडिसिन वैज्ञानिक समुदाय और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में एक क्रांति के रूप में उभर रही है. केजीएमयू में इस सेंटर की स्थापना मील का पत्थर साबित होगी. ये दोनों विधाएं अलग-अलग हैं. इनके सही उपयोग से शोध, अध्ययन का फायदा मरीजों को मिलेगा.

एंटीबायोटिक की मनमानी डोज घातक

केजीएमयू माइक्रोबायोलॉजी विभाग की डॉक्टर शीतल वर्मा के मुताबिक करीब 150 तरह की एंटीबायोटिक दवाएं हैं. इनका उपयोग सोच समझकर ही करना चाहिए. बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक कतई न लें नहीं तो मनमानी डोज से ड्रग रजिस्टेंट हो सकता है. ऐसे में गंभीर बीमारी में एंटीबायोटिक बेअसर साबित हो जाती है.

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लखनऊः उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में अब गंभीर बीमारियों का और बेहतर इलाज हो सकेगा. जहां सेंटर फॉर प्रोसिजन मेडिसिन और पर्सनलाइज्ड मेडिसिन खुल गया है. इसमें बीमारी की सटीक डोज तय की जा सकेगी. जिसे लेकर केजीएमयू के कलाम सेंटर में प्रोसिजन मेडिसिन और पर्सनलाइज्ड मेडिसिन विषय पर अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी भी हुई.

पर्सनलाइज्ड मेडिसिन है बेहतर विकल्प

इस दौरान सेंटर फॉर एडवांस रिसर्च व हिमैटोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर एके त्रिपाठी ने कहा कि हर व्यक्ति के जीन की संरचना अलग होती है. इनके मॉलीक्यूलर स्तर पर बदलाव होता है. यही नहीं बीमारी और उसका प्रभाव भी अलग-अलग होता है. इस दौरान कई मेडिसिन ऐसी होती है जो कुछ मरीजों पर असर करती हैं, वहीं दूसरे व्यक्ति पर बेअसर साबित हो जाती हैं. ऐसे में पर्सनलाइज्ड मेडिसिन बेहतर विकल्प है.

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सेंटर के लिए बनेगा अलग भवन

बता दें कि पर्सनलाइज्ड मेडिसिन में रोगी के कई पहलुओं को शामिल किया जाता है। इसमें आयु, लिंग, आनुवांशिक डिटेल ली जाती है. इसमें जीवन की गुणवत्ता, मानसिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं को भी शामिल किया जाता है.

कुलपति डॉक्टर बिपिन पुरी ने बताया कि प्रोसिजन और पर्सनलाइज्ड मेडिसिन वैज्ञानिक समुदाय और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में एक क्रांति के रूप में उभर रही है. केजीएमयू में इस सेंटर की स्थापना मील का पत्थर साबित होगी. ये दोनों विधाएं अलग-अलग हैं. इनके सही उपयोग से शोध, अध्ययन का फायदा मरीजों को मिलेगा.

एंटीबायोटिक की मनमानी डोज घातक

केजीएमयू माइक्रोबायोलॉजी विभाग की डॉक्टर शीतल वर्मा के मुताबिक करीब 150 तरह की एंटीबायोटिक दवाएं हैं. इनका उपयोग सोच समझकर ही करना चाहिए. बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक कतई न लें नहीं तो मनमानी डोज से ड्रग रजिस्टेंट हो सकता है. ऐसे में गंभीर बीमारी में एंटीबायोटिक बेअसर साबित हो जाती है.

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