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रिसर्च में दावा, वैदिक मंत्रोच्चारण करने वालों का दिमाग सामान्य लोगों से होता है तेज - लखनऊ खबर

सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च (सीबीएमआर) के एक अध्ययन के मुताबिक बचपन से ही वैदिक मंत्रोच्चारण करने वालों का दिमाग सामान्य लोगों से तेज पाया गया है.

वैदिक मंत्रोच्चारण करने वालों का दिमाग सामान्य लोगों से होता है तेज
वैदिक मंत्रोच्चारण करने वालों का दिमाग सामान्य लोगों से होता है तेज
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Published : May 11, 2021, 7:50 PM IST

लखनऊ: अगर आप अपने बच्चे का दिमाग सामान्य लोगों से तेज बनाना चाहते हैं, तो वैदिक मंत्रों का उच्चारण एक आसान और कारगर तरीका साबित हो सकता है. वैज्ञानिकों की मानें तो इससे न केवल याददाश्त तेज होगी, बल्कि बच्चों के समझने की क्षमता का मानसिक संतुलन भी बेहतर होगा. सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च (सीबीएमआर) की एक स्टडी में यह सामने आया है. इस अध्ययन के मुताबिक बचपन से ही वैदिक मंत्र उच्चारण करने वालों का दिमाग सामान्य लोगों से तेज पाया गया है.

सीबीएमआर के ब्रेन मैपिंग विशेषज्ञ डॉक्टर उत्तम कुमार, डॉक्टर अंशिका सिंह और क्राइस्ट यूनिवर्सिटी बंगलुरु के साइकोलॉजी विभाग के डॉक्टर प्रकाश ने यह अध्ययन किया. इस अध्ययन में 21 से 28 आयु वर्ग के 50 युवाओं को शामिल किया गया. 25 युवा ऐसे थे, जिन्होंने 9 से 11 साल तक गुरुकुल में रहकर चारों वेदों का अध्ययन किया. इन्हें 20,000 मंत्र वास लोग कंठस्थ है. दूसरे ग्रुप में 25 ऐसे युवाओं को शामिल किया गया जो हिंदी संस्कृत अंग्रेजी जानते समझते थे. वह संस्कृत पढ़ते जरूर थे, लेकिन नियमित रूप से मंत्रोच्चारण नहीं करते. इनकी ब्रेन मैपिंग की गई.

इसे भी पढ़ें-कोरोना से मरने वालों को लावारिस बताकर नदियों में फेंकवा रही यूपी सरकार: संजय सिंह

यह आया सामने
श्लोक, मंत्र का उच्चारण करते समय सांस की गति पर नियंत्रण जरूरी होता है. इससे दिमाग को संदेश देने वाले न्यूरॉन में धीरे-धीरे बदलाव शुरू हो जाता है. कुछ समय के बाद यह बदलाव स्थाई हो जाते हैं. इससे दिमाग अधिक सक्रियता से कार्य करता है. लगातार मंत्र उच्चारण से मस्तिष्क के मध्य स्थित संदेशवाहक न्यूरॉन्स ज्यादा सक्रिय मिला जो याददाश्त के साथ जवाब देने की क्षमता को भी बढ़ाता है.

लखनऊ: अगर आप अपने बच्चे का दिमाग सामान्य लोगों से तेज बनाना चाहते हैं, तो वैदिक मंत्रों का उच्चारण एक आसान और कारगर तरीका साबित हो सकता है. वैज्ञानिकों की मानें तो इससे न केवल याददाश्त तेज होगी, बल्कि बच्चों के समझने की क्षमता का मानसिक संतुलन भी बेहतर होगा. सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च (सीबीएमआर) की एक स्टडी में यह सामने आया है. इस अध्ययन के मुताबिक बचपन से ही वैदिक मंत्र उच्चारण करने वालों का दिमाग सामान्य लोगों से तेज पाया गया है.

सीबीएमआर के ब्रेन मैपिंग विशेषज्ञ डॉक्टर उत्तम कुमार, डॉक्टर अंशिका सिंह और क्राइस्ट यूनिवर्सिटी बंगलुरु के साइकोलॉजी विभाग के डॉक्टर प्रकाश ने यह अध्ययन किया. इस अध्ययन में 21 से 28 आयु वर्ग के 50 युवाओं को शामिल किया गया. 25 युवा ऐसे थे, जिन्होंने 9 से 11 साल तक गुरुकुल में रहकर चारों वेदों का अध्ययन किया. इन्हें 20,000 मंत्र वास लोग कंठस्थ है. दूसरे ग्रुप में 25 ऐसे युवाओं को शामिल किया गया जो हिंदी संस्कृत अंग्रेजी जानते समझते थे. वह संस्कृत पढ़ते जरूर थे, लेकिन नियमित रूप से मंत्रोच्चारण नहीं करते. इनकी ब्रेन मैपिंग की गई.

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यह आया सामने
श्लोक, मंत्र का उच्चारण करते समय सांस की गति पर नियंत्रण जरूरी होता है. इससे दिमाग को संदेश देने वाले न्यूरॉन में धीरे-धीरे बदलाव शुरू हो जाता है. कुछ समय के बाद यह बदलाव स्थाई हो जाते हैं. इससे दिमाग अधिक सक्रियता से कार्य करता है. लगातार मंत्र उच्चारण से मस्तिष्क के मध्य स्थित संदेशवाहक न्यूरॉन्स ज्यादा सक्रिय मिला जो याददाश्त के साथ जवाब देने की क्षमता को भी बढ़ाता है.

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