लखनऊ: दौड़ती-भागती जिंदगी में लोग अब अपने लिए समय निकालना लगभग भूल चुके हैं. इसी का नतीजा है कि धीरे-धीरे वे कुछ ऐसी बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं, जो उनको बद से बदतर हालत में पहुंचा देती हैं. तनाव, अकेलापन और अवसाद जैसी बीमारियां हमें अपनी जद में खींच लेती हैं, जिनसे हमारा मेंटल हेल्थ (मानसिक स्वास्थ्य) प्रभावित होता है. इन बीमारियों से कुछ हद तक बचने और इनसे खुद को निकालने के लिए ही सपोर्ट ग्रुप का आगाज किया गया है, जो कई मायने में आम लोगों के लिए बेहद सकारात्मक साबित होने वाला है.
पिछले काफी दिनों से मैं इस बात को महसूस कर रहा था कि यह अकेलापन, तनाव, अवसाद, एंजाइटी हमारी जिंदगी का हिस्सा बनते जा रहे हैं तो क्यों न कुछ ऐसी पहल की जाए, जिससे लोग भी इस पर बात करना शुरू करें और अपनी मेंटल हेल्थ को अपनी तरीके से हैंडल करें.
-आमिर, रेडियो जॉकी
आमिर कहते हैं कि इस सपोर्ट ग्रुप का नाम ओटीडब्ल्यू है, जिसका फेसबुक पेज बना हुआ है. यदि कोई डिप्रेशन या इस तरह की मेंटल हेल्थ से जुड़ी किसी भी परेशानी से ग्रसित है और इसका कोई उपाय चाहता है तो वह इस ग्रुप से जुड़ सकता है. इसमें हर वीकेंड पर हम मुलाकात करेंगे और हर कोई यहां पर आकर अपनी बात खुले शब्दों में रखेगा. उसकी निजता का कोई हनन नहीं होगा और इस सपोर्ट ग्रुप में जुड़े कुछ साइकेट्रिस्ट या मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट्स उनकी सहायता करेंगे.
इस बारे में साइकेट्रिस्ट (मनोविकारविज्ञानी) डॉ. अलीम सिद्दीकी कहते हैं कि मेंटल हेल्थ एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर लोग बात करने से कतराते हैं क्योंकि अगर किसी को मेंटल हेल्थ की कोई परेशानी होती है तो सबसे पहला शब्द लोग 'पागल' इस्तेमाल करते हैं. लोगों को लगता है कि मेंटल हेल्थ पागलपन की बीमारी है, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है.
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हमें मेंटल हेल्थ के कई पहलुओं पर खुलकर बात करने की जरूरत है, तभी इसे अन्य बीमारियों की तरह समझा जाएगा. इसका समय पर इलाज किया जाएगा और इससे फिर सकारात्मक प्रभाव भी सामने आएंगे. यह सपोर्ट ग्रुप उन लोगों की मदद कर सकता है, जो लोगों के सामने अपने अकेलेपन के बारे में बात करने से डरते हैं या अपनी बात सामने नहीं रख पाते.
-डॉ. अलीम सिद्दीकी, साइकेट्रिस्ट