लखनऊ: उत्तर प्रदेश के अस्पतालों में रोजाना आकस्मिक घटना व गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों की मौत हो रही है. ऐसे में लोगों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल, अस्पतालों में इलाज के दौरान दम तोड़ रहे मरीजों का कोरोना टेस्ट कराया जाना है, जिसको लेकर गाइडलाइंस जारी की गई हैं, जिससे कोरोना के संक्रमण को समय रहते रोका जा सके.
अस्पतालों में इलाज के दौरान दम तोड़ रहे मरीजों का कोरोना टेस्ट कराया जाना अनिवार्य है. ऐसे में जब मरीज दम तोड़ देते हैं तो उनका कोरोना जांच के लिए सैंपल लिया जाता है, जिसके बाद रिपोर्ट आने के पश्चात ही शव परिजनों को सौंपा जाता है. ऐसे में परिजनों को रात-दिन कई घंटों तक कोरोना टेस्ट रिपोर्ट आने का इंतजार शवगृह के बाहर करना पड़ रहा है. इस दौरान परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो जाता है.
कोविड-19 रिपोर्ट आने में लग रहा समय
परिजनों की आंखों से आंसू सूखने लगते हैं. संवेदनाएं तार-तार होती जाती हैं. कोविड-19 टेस्ट की रिपोर्ट आने में समय लगने के कारण शव परिजनों को नहीं सौंपा जाता. इसी कड़ी में जब ईटीवी भारत की टीम राजधानी लखनऊ के सिविल अस्पताल पहुंची तो नजारा कुछ ऐसा ही दिखा.
22 घंटे बाद आयी रिपोर्ट
शव गृह के बाहर कुछ परिजन अपने परिचित का शव कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद 22 घंटे बाद लेने आये हैं, लेकिन और अभी भी ये शव घर नहीं ले जा पाएंगे. अभी इन्हें शव को पोस्टमार्टम हाउस ले जाना होगा, जहां पर 4 से 5 घंटे का समय अभी और लगेगा. इस प्रकार लगभग 25 से 30 घंटे बाद ही परिजनों को अपने परिचित का शव मिल पाएगा.
रिपोर्ट में देरी से नहीं मिल पा रहा शव
इसके साथ-साथ एक अन्य परिजन बाराबंकी के हैं. वे अपने बच्चे के शव के लिए इंतजार कर रहे हैं. वे भी करीब बीते 30 घंटों से अपने बच्चे के शव का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन कोरोना वायरस रिपोर्ट न आने की वजह से शव अभी तक उन्हें नहीं दिया गया है.
बीत गए 30 घंटे नहीं मिला शव
अपने 12 वर्षीय भतीजे शिवम के शव का इंतजार कर रहे चाचा रघुराज बताते हैं कि वे बाराबंकी के रहने वाले हैं और उनका 12 वर्षीय भतीजा एक टैंक ब्लास्ट में घायल हो गया था. इसके बाद उसे यहां लाया गया था और मृत्यु हो गई थी. इसके बाद करीब 30 घंटे बीत जाने के बाद भी अभी तक कोरोना सैंपल टेस्ट रिपोर्ट न आने की वजह से उनको शव नहीं मिल पाया है.
इस प्रकार कोरोना का असर लोगों के जीवन पर इस कदर पड़ने लगा है कि मरने के बाद भी लोगों को अपने परिजनों के शव मिलने में तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. 0 ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को भी परिजनों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए कुछ राहत देनी चाहिए, जिससे कि परिजनों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ न होने पाए.
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