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लखनऊ: जान जोखिम में डालकर गोमती पार कर रहे लोग, जर्जर पुल दे रहा हादसे को दावत - lucknow latest news

राजधानी लखनऊ का घैला इलाका ऐसा है, जहां पर लोगों को जान जोखिम में डालकर गोमती नदी पर बने लकड़ी के जर्जर पुल से होकर गुजरना पड़ता है. इस पुल की वजह से दर्जनों लोग अब तक अपनी जान गंवा चुके हैं, लेकिन प्रशासन इस ओर ध्यान नही दे रहा है.

जान जोखिम में डालकर पुल को पार करने के लिए लोग मजबूर
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Published : Apr 21, 2019, 6:39 AM IST

लखनऊ : यूपी की राजधानी सियासत का गढ़ मानी जाती है, यहां पर तमाम राजनीतिक पार्टियों के बड़े नेताओं का लगभग रोज ही आना-जाना लगा रहता है, लेकिन राजधानी लखनऊ का एक इलाका ऐसा भी है जहां पर बड़ी आबादी होने के बावजूद पिछले कई दशकों से लोग अपनी जान की बाजी लगाकर लकड़ी के जर्जर पुल से होकर रोज गुजरते हैं.

राजधानी लखनऊ में जान जोखिम में डालकर पुल को पार करने के लिए मजबूर हैं लोग

राजधानी में होने के बावजूद प्रशासन नही दे रहा ध्यान

  • यूपी की राजधानी लखनऊ का घैला इलाका ऐसा है, जहां पर बुनियादी सुविधाएं तो दूर की बात यहां तक कि इलाके में जाने के लिए लोगों को गोमती नदी पर बने एक ऐसे लकड़ी के पुल को पार करना पड़ता है, जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.
  • स्थानीय लोगों का कहना है कि कई दशक गुजर गए, लेकिन नेताओं ने अब तक सिर्फ वादे किए, जिसके चलते आज भी जान जोखिम में डालकर लोगों को इस रास्ते को रोज पार करना होता है.
  • लोगों की माने तो दर्जनों लोग अब तक इस लकड़ी के पुल की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं.
  • लोगों का कहना है कि चुनाव के वक्त तमाम नेता पक्का पुल बनवाने का वादा करते हैं, लेकिन चुनाव निकल जाने पर भूल जाते हैं. इस वजह से आज तक इस इलाके में पुल नहीं बन पाया.
  • लकड़ी का टूटा हुआ यह पुल पीपे वाले पुल के नाम से मशहूर है, जो दशकों पुराना है, लेकिन आज तक यहां पर पक्का पुल किसी भी सरकार ने नहीं बनवाया गया है.
  • टूटे हुए पुल को रोजाना पार करने वालों को अपनी जान की बाज़ी लगाना पड़ती है, जिसमें औरतें और बच्चों के साथ स्कूली छात्र-छात्राएं भी होती हैं.
  • स्थानीय लोगों की अगर मानें तो बारिश में यह पुल हटा लिया जाता है, जिससे नदी पार करने के लिए लोगों को नाव का सहारा लेना पड़ता है.

लखनऊ : यूपी की राजधानी सियासत का गढ़ मानी जाती है, यहां पर तमाम राजनीतिक पार्टियों के बड़े नेताओं का लगभग रोज ही आना-जाना लगा रहता है, लेकिन राजधानी लखनऊ का एक इलाका ऐसा भी है जहां पर बड़ी आबादी होने के बावजूद पिछले कई दशकों से लोग अपनी जान की बाजी लगाकर लकड़ी के जर्जर पुल से होकर रोज गुजरते हैं.

राजधानी लखनऊ में जान जोखिम में डालकर पुल को पार करने के लिए मजबूर हैं लोग

राजधानी में होने के बावजूद प्रशासन नही दे रहा ध्यान

  • यूपी की राजधानी लखनऊ का घैला इलाका ऐसा है, जहां पर बुनियादी सुविधाएं तो दूर की बात यहां तक कि इलाके में जाने के लिए लोगों को गोमती नदी पर बने एक ऐसे लकड़ी के पुल को पार करना पड़ता है, जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.
  • स्थानीय लोगों का कहना है कि कई दशक गुजर गए, लेकिन नेताओं ने अब तक सिर्फ वादे किए, जिसके चलते आज भी जान जोखिम में डालकर लोगों को इस रास्ते को रोज पार करना होता है.
  • लोगों की माने तो दर्जनों लोग अब तक इस लकड़ी के पुल की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं.
  • लोगों का कहना है कि चुनाव के वक्त तमाम नेता पक्का पुल बनवाने का वादा करते हैं, लेकिन चुनाव निकल जाने पर भूल जाते हैं. इस वजह से आज तक इस इलाके में पुल नहीं बन पाया.
  • लकड़ी का टूटा हुआ यह पुल पीपे वाले पुल के नाम से मशहूर है, जो दशकों पुराना है, लेकिन आज तक यहां पर पक्का पुल किसी भी सरकार ने नहीं बनवाया गया है.
  • टूटे हुए पुल को रोजाना पार करने वालों को अपनी जान की बाज़ी लगाना पड़ती है, जिसमें औरतें और बच्चों के साथ स्कूली छात्र-छात्राएं भी होती हैं.
  • स्थानीय लोगों की अगर मानें तो बारिश में यह पुल हटा लिया जाता है, जिससे नदी पार करने के लिए लोगों को नाव का सहारा लेना पड़ता है.
Intro:उत्तर प्रदेश की राजधानी सियासत का गढ़ मानी जाती है, यहां पर तमाम राजनीतिक पार्टियों के बड़े नेताओं का लगभग रोज ही आना जाना लगा रहता है लेकिन राजधानी लखनऊ का एक इलाका ऐसा भी है जहां पर बड़ी आबादी होने के बावजूद पिछले कई दशकों से बड़े बूढ़े और पढ़ने वाले छात्र छात्राएं अपनी जान की बाजी लगाकर लकड़ी के खस्ताहाल पुल से रोज गुजरते हैं जिसके चलते कई बड़े हादसे भी हो चुके हैं। इलाके के लोगों का कहना है कि कई दशक गुजर गए लेकिन नेताओं ने अब तक सिर्फ वादे किए जिसके चलते आज भी जान जोखिम में डालकर लोगों को इस रास्ते को रोज पार करना होता है।


Body:लोकसभा चुनाव का आगाज हो चुका है ऐसे में तमाम सियासी पार्टियों के नुमाइंदे जनता से अपनी पार्टी के लिए वोट करने की अपील करते दिखाई दे रहे हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का एक इलाका ऐसा भी है जहां पर बुनियादी सुविधाएं तो दूर की बात यहां तक कि इलाके में जाने के लिए गोमती नदी पर बना एक ऐसे लकड़ी के पुल को पार करना पड़ता है जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। स्थानीय लोगों की माने तो दर्जनों जाने इस लकड़ी के पुल की वजह से अब तक जा चुकी हैं। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि चुनाव के वक्त तमाम नेता पक्का पुल बनवाने का वादा करते हैं लेकिन चुनाव निकल जाने पर आज तक इस इलाके में पुल नहीं बनाया गया।


Conclusion:गौरतलब है कि लकड़ी का टूटा हुआ यह पुल पीपे वाले पुल के नाम से मशहूर है जो दशकों पुराना है लेकिन आज तक यहां पर पक्का पुल किसी भी पार्टी की ओर से नहीं बनवाया गया है, जिसकी वजह से टूटे हुए पुल को रोजाना पार करने वालों को अपनी जान की बाज़ी लगाना पड़ती है जिसमें औरतें बच्चों के साथ स्कूल के छात्र छात्राएं भी होती हैं। वहीं इलाके के लोगों की अगर मानें तो बारिश में यह पुल हटा लिया जाता है और नदी पार करने के लिए लोगों को नाव ला सहारा लेना पड़ता है ऐसे में सवाल उठता है कि विकास के नाम पर वोट मांगने वाली तमाम सियासी पार्टियाँ आखिर कब पुल का निर्माण करवाती है।
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