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UP Budget 2021: लोगों की मांग- महंगाई से मिले निजात, रसोई का सुधरे बजट

सूबे की योगी सरकार अपने कार्यकाल का अंतिम बजट 22 फरवरी को पेश करेगी. माना जा रहा है कि इस बजट के माध्यम से योगी सरकार जनता को लुभाने की पूरी कोशिश करेगी. इसी कड़ी में ईटीवी भारत ने राजधानी लखनऊ में लोगों से बातचीत की और बजट से उनकी क्या उम्मीदें हैं, यह जानने की कोशिश की, देखिए यह रिपोर्ट....

people expectations from up budget 2021
यूपी बजट से लोगों को उम्मीदें.
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Published : Feb 18, 2021, 8:59 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार 22 फरवरी को वित्तीय वर्ष 2021-22 का बजट पेश करने जा रही है, जिसको लेकर आम जनता की बहुत सारी ख्वाहिशें हैं. हालांकि ये बजट अपने आप में प्रदेश सरकार के लिये एक चुनौती भी है. उसकी वजह यह है कि एक तरफ कोरोना संक्रमण के चलते प्रदेश की आर्थिक स्थिति बेहद नाजुक हालात में पहुंच चुकी है तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा सरकार को आम जनता के सामने एक ऐसा बजट भी लाने की चुनौती है, जिसे जनता स्वीकार करे और सराहे.

यूपी बजट से लोगों को उम्मीदें.

सूबे की भाजपा सरकार ये जानती है कि इसे एक सियासी बजट कहा जाए तो गलत नहीं होगा. इसलिये अगर 2022 में कमल को लहराना है तो इसमें जनता की ख्वाहिशों का भी ध्यान रखना होगा. इसलिए ईटीवी भारत की टीम ने जानने की कोशिश की, कि आखिर सूबे की राजधानी में जनता के दिल में क्या है.

'जनता के अनुसार आए बजट'

गृहिणियों ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि जो भी बजट आए, वो जनता के अनुसार आए. क्योंकि कोरोना काल की वजह से सभी लोग परेशान थे. घरेलू इस्तेमाल की सभी वस्तुएं काफी महंगी हो गई है. शिक्षा की ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि स्कूलों की फीस कम हो जाए. इस बार के बजट से ये भी उम्मीद है कि रसोई के सामान और खाद्य सामग्रियां सस्ती हो जाएं. किराने की दुकान पर मिलने वाला सामान भी सस्ता होना चाहिए.

महंगाई पर लगे अंकुश

नगर निगम कर्मी शत्रुघन लाला का कहना है कि बजट इस तरह से आना चाहिए कि आम आदमी को राहत मिल सके. आज जिस तरीके से महंगाई दिन पर दिन बढ़ती जा रही है, उससे आम लोगों का जीना मुश्किल हो रहा है. खाने-पीने की सभी चीजें महंगी हो गई हैं. दाल, तिलहन, किचन की कोई भी वस्तु बहुत महंगी हो गई हैं.

पेट्रोल-डीजल के दामों में हो कमी

शिवनारायण तिवारी का कहना है कि पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ रहे हैं, इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए और इसे काबू में करना चाहिए. उसके लिए सरकार इस बजट में कुछ प्रावधान लेकर आए. वहीं गुड्डू त्रिपाठी का कहना है कि राशन महंगा न हो. सरकार को इसे सस्ता करने के उपाय करने चाहिए. रोजमर्रा की चीजें सस्ती होनी चाहिए. बिजनेस मैन को सहूलियत नहीं मिल पा रही है. छात्रा निधि वाजपेयी का कहना है कि लड़कियां कक्षा 12 के बाद उच्च शिक्षा की पढ़ाई बेहतर तरीके से कर पाए, इसके लिए सुविधाएं देनी चाहिए.

व्यापारियों को मिले राहत

उवैश खान का कहना है कि आने वाले बजट से हमारी यही उम्मीदें हैं कि महंगाई कुछ कम कर दिया जाए. ऐसा बजट आए कि हम लोगों को राहत मिले. उन्होंने कहा कि इस कोरोना काल की वजह से पब्लिक सेक्टर के व्यापारी पूरी तरह से बर्बाद हो चुके हैं. इसलिए व्यापारियों को कुछ राहत मिल सके, ऐसा बजट लाया जाए.

जनता की मांग, महंगाई हो कम
कुल मिलाकर सूबे की राजधानी में जनता तो सिर्फ यही चाहती है कि सरकार कुछ भी करे, लेकिन महंगाई में कुछ राहत जरूर दे. मुख्य रूप से खाद्य सामग्रियों के बढ़ते दामों पर अंकुश लगाया जाए. साथ ही पेट्रोल और डीजल के दामों में हो रही बेतहाशा बढ़ोत्तरी से भी लोगों को निजात मिले.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार 22 फरवरी को वित्तीय वर्ष 2021-22 का बजट पेश करने जा रही है, जिसको लेकर आम जनता की बहुत सारी ख्वाहिशें हैं. हालांकि ये बजट अपने आप में प्रदेश सरकार के लिये एक चुनौती भी है. उसकी वजह यह है कि एक तरफ कोरोना संक्रमण के चलते प्रदेश की आर्थिक स्थिति बेहद नाजुक हालात में पहुंच चुकी है तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा सरकार को आम जनता के सामने एक ऐसा बजट भी लाने की चुनौती है, जिसे जनता स्वीकार करे और सराहे.

यूपी बजट से लोगों को उम्मीदें.

सूबे की भाजपा सरकार ये जानती है कि इसे एक सियासी बजट कहा जाए तो गलत नहीं होगा. इसलिये अगर 2022 में कमल को लहराना है तो इसमें जनता की ख्वाहिशों का भी ध्यान रखना होगा. इसलिए ईटीवी भारत की टीम ने जानने की कोशिश की, कि आखिर सूबे की राजधानी में जनता के दिल में क्या है.

'जनता के अनुसार आए बजट'

गृहिणियों ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि जो भी बजट आए, वो जनता के अनुसार आए. क्योंकि कोरोना काल की वजह से सभी लोग परेशान थे. घरेलू इस्तेमाल की सभी वस्तुएं काफी महंगी हो गई है. शिक्षा की ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि स्कूलों की फीस कम हो जाए. इस बार के बजट से ये भी उम्मीद है कि रसोई के सामान और खाद्य सामग्रियां सस्ती हो जाएं. किराने की दुकान पर मिलने वाला सामान भी सस्ता होना चाहिए.

महंगाई पर लगे अंकुश

नगर निगम कर्मी शत्रुघन लाला का कहना है कि बजट इस तरह से आना चाहिए कि आम आदमी को राहत मिल सके. आज जिस तरीके से महंगाई दिन पर दिन बढ़ती जा रही है, उससे आम लोगों का जीना मुश्किल हो रहा है. खाने-पीने की सभी चीजें महंगी हो गई हैं. दाल, तिलहन, किचन की कोई भी वस्तु बहुत महंगी हो गई हैं.

पेट्रोल-डीजल के दामों में हो कमी

शिवनारायण तिवारी का कहना है कि पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ रहे हैं, इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए और इसे काबू में करना चाहिए. उसके लिए सरकार इस बजट में कुछ प्रावधान लेकर आए. वहीं गुड्डू त्रिपाठी का कहना है कि राशन महंगा न हो. सरकार को इसे सस्ता करने के उपाय करने चाहिए. रोजमर्रा की चीजें सस्ती होनी चाहिए. बिजनेस मैन को सहूलियत नहीं मिल पा रही है. छात्रा निधि वाजपेयी का कहना है कि लड़कियां कक्षा 12 के बाद उच्च शिक्षा की पढ़ाई बेहतर तरीके से कर पाए, इसके लिए सुविधाएं देनी चाहिए.

व्यापारियों को मिले राहत

उवैश खान का कहना है कि आने वाले बजट से हमारी यही उम्मीदें हैं कि महंगाई कुछ कम कर दिया जाए. ऐसा बजट आए कि हम लोगों को राहत मिले. उन्होंने कहा कि इस कोरोना काल की वजह से पब्लिक सेक्टर के व्यापारी पूरी तरह से बर्बाद हो चुके हैं. इसलिए व्यापारियों को कुछ राहत मिल सके, ऐसा बजट लाया जाए.

जनता की मांग, महंगाई हो कम
कुल मिलाकर सूबे की राजधानी में जनता तो सिर्फ यही चाहती है कि सरकार कुछ भी करे, लेकिन महंगाई में कुछ राहत जरूर दे. मुख्य रूप से खाद्य सामग्रियों के बढ़ते दामों पर अंकुश लगाया जाए. साथ ही पेट्रोल और डीजल के दामों में हो रही बेतहाशा बढ़ोत्तरी से भी लोगों को निजात मिले.

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