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लखनऊ: पीस पार्टी ने ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा ईदगाह मामले पर सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका

पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अय्यूब ने ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा ईदगाह मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है. पीस पार्टी ने इस याचिका में 1991 प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत विश्व भद्र पुजारी महासंघ की याचिका को खारिज करने की मांग की है.

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पीस पार्टी ने ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा ईदगाह मामले पर सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका
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Published : Jul 21, 2020, 3:51 PM IST

लखनऊ: अयोध्या मामले के बाद एक बार फिर से ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा ईदगाह मामला सुर्खियों का सबब बनता दिखाई देने लगा है. इस मामले को लेकर पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अय्यूब ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है. पीस पार्टी की ओर से दायर की गई इस याचिका में 1991 प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत विश्व भद्र पुजारी महासंघ की याचिका को खारिज करने की मांग की गई. इसकी जानकारी पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अय्यूब ने लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करने के दौरान दी.

राजधानी में पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अय्यूब ने एक प्रेस वार्ता के दौरान मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि 1947 के बाद एक कानून पास किया गया, जिसमें बाबरी मस्जिद को छोड़कर जो भी धार्मिक स्थल जिस स्थिति में हैं, उसमें तब्दीली नहीं की जा सकती. परंतु विश्व भद्र पुजारी महासंघ ने ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की ईदगाह को विवादित बनाने के लिए एक याचिका उच्चतम न्यायालय में दाखिल की है, जिसको लेकर पीस पार्टी ने कानून और संविधान को कायम रखने के लिए पुजारी महासंघ की याचिका को खारिज करने की मांग की है.

इस दौरान डॉ. अय्यूब ने आरोप लगाया कि विश्व भद्र पुजारी महासंघ ने ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की ईदगाह के मामले को संविधान के विरुद्ध न्यायालय में ले जाकर विवादित बनाने का प्रयास किया है, जिससे बहुसंख्यकों के दिलों में एक बार फिर से नफरत का बीज बोकर राजनीतिक फसल काटी जा सके. देश के कानून, संविधान के साथ एक बार फिर आस्था के नाम पर देश की एकता, अखंडता, धर्मनिरपेक्षता को क्षति पहुंचाने के लिए एक बहुत बड़ा षड्यंत्र रचा जा सके.

डॉ. अय्यूब ने कहा कि जब एक कानून के द्वारा 18 सितंबर 1991 को प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट के सेक्शन 4 में यह व्यवस्था दी गई है कि 1947 में देश के स्वतंत्र होने के समय जिस धार्मिक स्थल की जो स्थिति है, वह बरकरार रहेगी. तो फिर पुजारी महासंघ की तरफ से उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल करने का कोई औचित्य नहीं रह जाता है. इसी के चलते पीस पार्टी ने देश की सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर कर पुजारी महासंघ की याचिका को खरिज करने की मांग की है.

गौरतलब है कि एक लंबे अरसे से अयोध्या विवाद सुर्खियों का सबब बना रहा है. इसको लेकर कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ने इस विवाद पर विराम लगा दिया है, लेकिन अब देश में एक बार फिर मस्जिद और मंदिर के नाम पर नया विवाद खड़ा होता दिखाई देने लगा है.

लखनऊ: अयोध्या मामले के बाद एक बार फिर से ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा ईदगाह मामला सुर्खियों का सबब बनता दिखाई देने लगा है. इस मामले को लेकर पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अय्यूब ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है. पीस पार्टी की ओर से दायर की गई इस याचिका में 1991 प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत विश्व भद्र पुजारी महासंघ की याचिका को खारिज करने की मांग की गई. इसकी जानकारी पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अय्यूब ने लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करने के दौरान दी.

राजधानी में पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अय्यूब ने एक प्रेस वार्ता के दौरान मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि 1947 के बाद एक कानून पास किया गया, जिसमें बाबरी मस्जिद को छोड़कर जो भी धार्मिक स्थल जिस स्थिति में हैं, उसमें तब्दीली नहीं की जा सकती. परंतु विश्व भद्र पुजारी महासंघ ने ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की ईदगाह को विवादित बनाने के लिए एक याचिका उच्चतम न्यायालय में दाखिल की है, जिसको लेकर पीस पार्टी ने कानून और संविधान को कायम रखने के लिए पुजारी महासंघ की याचिका को खारिज करने की मांग की है.

इस दौरान डॉ. अय्यूब ने आरोप लगाया कि विश्व भद्र पुजारी महासंघ ने ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की ईदगाह के मामले को संविधान के विरुद्ध न्यायालय में ले जाकर विवादित बनाने का प्रयास किया है, जिससे बहुसंख्यकों के दिलों में एक बार फिर से नफरत का बीज बोकर राजनीतिक फसल काटी जा सके. देश के कानून, संविधान के साथ एक बार फिर आस्था के नाम पर देश की एकता, अखंडता, धर्मनिरपेक्षता को क्षति पहुंचाने के लिए एक बहुत बड़ा षड्यंत्र रचा जा सके.

डॉ. अय्यूब ने कहा कि जब एक कानून के द्वारा 18 सितंबर 1991 को प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट के सेक्शन 4 में यह व्यवस्था दी गई है कि 1947 में देश के स्वतंत्र होने के समय जिस धार्मिक स्थल की जो स्थिति है, वह बरकरार रहेगी. तो फिर पुजारी महासंघ की तरफ से उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल करने का कोई औचित्य नहीं रह जाता है. इसी के चलते पीस पार्टी ने देश की सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर कर पुजारी महासंघ की याचिका को खरिज करने की मांग की है.

गौरतलब है कि एक लंबे अरसे से अयोध्या विवाद सुर्खियों का सबब बना रहा है. इसको लेकर कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ने इस विवाद पर विराम लगा दिया है, लेकिन अब देश में एक बार फिर मस्जिद और मंदिर के नाम पर नया विवाद खड़ा होता दिखाई देने लगा है.

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