लखनऊ : जिला अस्पतालों में इलाज में समस्या के बाद कई बार मरीज परेशान होकर निजी अस्पताल व पैथोलॉजी की तरफ रुख करते हैं. अस्पताल में मरीजों को कितनी और कौन सी दवा है इसका ब्यौरा भी पता करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. राजधानी का एक जिला अस्पताल ऐसा भी है जहां पर मरीजों की सहूलियत के लिए डिस्प्ले के माध्यम से दवाओं का नाम और क्वांटिटी बताई जाती है. लोकबंधु जिला अस्पताल में एलईडी टीवी पर दवाओं के नाम के साथ क्वांटिटी भी दिखाई जाती है, ताकि मरीजों को किसी तरह की परेशानी न हो.
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान मरीजों के तीमारदारों ने कहा कि 'बाकी जिला अस्पताल में यह सुविधा नहीं है. आधी अधूरी दवाई लेकर अस्पताल से लौटना पड़ता है. बातचीत के दौरान मरीज बताते हैं कि लोकबंधु जिला अस्पताल में एक डिस्प्ले लगाया गया. जिसमें दवाओं के नाम के साथ उसकी क्वांटिटी भी मरीज और तीमारदार देख सकते हैं. बाकी अस्पतालों में काउंटर में कितनी दवा है. इसकी कोई जानकारी नहीं होती है. ऐसे में हम जैसे न जाने कितने मरीज के तीमारदार काउंटर में बैठे कर्मचारी से पूछते रह जाते हैं कि दवाई है कि नहीं है. अगर दवाई है तो देते क्यों नहीं हैं?'
एक महिला तीमारदार ने बातचीत के दौरान बताया कि 'न सिर्फ पैथोलॉजी बल्कि यहां पर सारी सुविधाएं बहुत अच्छी हैं. आसपास के क्षेत्र के लोग लोकबंधु अस्पताल ही आना पसंद करते हैं. बाकी अस्पतालों में सुविधा है, लेकिन उनसे अच्छी सुविधा लोकबंधु अस्पताल में है. एक और बुजुर्ग तीमारदार ने कहा कि लोक बंधु अस्पताल में इलाज अच्छे से हो जाता है. यहां दवा काउंटर पर भी डिस्प्ले लगा हुआ है जो दवा उपलब्ध है वह मरीज को जरूर मिलेगी, यह सबसे अच्छी बात है.'
लोकबंधु जिला अस्पताल के एमएस डॉ अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया कि 'ट्रांसपेरेंसी के लिए दवा काउंटर के बाहर एलईडी डिस्प्ले लगाया गया है. इस डिस्प्ले पर दवा काउंटर में उपलब्ध सभी दवाओं का नाम और यह दवा कितनी संख्या में दवा काउंटर पर उपलब्ध है इसका ब्यौरा दिया गया है. कई बार देखा जाता है कि अस्पतालों में मरीज इलाज के लिए आते हैं और जब दवा लेने पहुंचते हैं तो आधी अधूरी दवाई मिलती है. जिसके चलते कई बार मरीजों और कर्मचारी के बीच में वाद विवाद भी होता है, लेकिन इस ट्रांसपेरेंसी के तहत हमने देखा है कि लोग इस पर विश्वास भी करते हैं और उन्हें जो दवा चाहिए अगर यहां पर उपलब्ध है तो जरूर मिलती है.'
उन्होंने बताया कि 'स्क्रीन पर्चा काउंटर के बाहर लगी है और उसी पर सभी जानकारी उपलब्ध हैं और इसी के ठीक सामने सीसीटीवी कैमरा लगाया गया है, ताकि कैमरे की निगरानी में दवाओं का वितरण हो. अगर कोई तीमारदार या मरीज कर्मचारी पर आरोप भी लगाता है कि दवा होने के बाद भी कर्मचारी ने दवाई नहीं दी तो उसका भी इस सीसीटीवी में खुलासा हो सकता है. अस्पताल के हर कोने पर कैमरे लगे हुए हैं.
सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. आरपी सिंह ने कहा कि 'अस्पताल में डिस्प्ले नहीं लगाया गया है, क्योंकि यहां पर मरीज आते हैं और कई बार यह खतरा रहता है कि लोग गुस्से में तोड़फोड़ कर देते हैं, जो दवाइयां उपलब्ध हैं वह मरीज को जरूर मिलेगी. उन्होंने कहा कि रोजाना अस्पताल में लगभग दो हजार से अधिक ही लोग इलाज के लिए आते हैं. इस समय गर्मी का मौसम है तो और भी ज्यादा मरीजों की संख्या बढ़ गई है और जितने भी मरीज आ रहे हैं, यहां पर डिहाइड्रेशन और गर्मी के कारण कम बीपी या अधिक बीपी की शिकायत के साथ आ रहे हैं. अस्पताल में हर जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं. अस्पताल प्रशासन की ओर से पूरी कोशिश होती है कि जो दवाएं काउंटर में उपलब्ध हैं वह मरीजों को जरूर मिलें.'