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लखनऊ: कुछ यूं होता है मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों तक ले जाने का गोरखधंधा

राजधानी लखनऊ में सरकारी अस्पताल आने वाले मरीजों को बरगलाकर निजी अस्पतालों तक ले जाने का गोरखधंधा जोरों पर है. वहीं विभाग के आलाधिकारियों को मामले की जानकारी होने के बावजूद भी वे कोई कार्रवाई करने से बचते नजर आ रहे हैं.

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Published : Mar 5, 2019, 6:09 AM IST

सरकारी अस्पतालों के बाहर का गोरखधंधा

लखनऊ: सरकार की तरफ से लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए निःशुल्क एंबुलेंस सेवाएं चलाई जा रही हैं. वहीं कर्मचारियों और प्राइवेट एंबुलेंस के मालिकों की जालसाजी के कारण लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.

सरकारी अस्पतालों के बाहर का गोरखधंधा

प्राइवेट हॉस्पिटल्स के एंबुलेंस चालक जिला अस्पताल और जिला महिला अस्पताल तक के बाहर काफी सक्रिय रहते हैं. वे दूरदराज से आने वाले मरीजों और उनके तीमारदारों को बरगलाकर प्राइवेट हॉस्पिटल का रास्ता दिखा देते हैं. इस खेल में जिला अस्पताल और महिला अस्पताल के कुछ कर्मचारी भी शामिल हैं, जो कमीशन के चक्कर में मौका देख मरीजों को इन एंबुलेंस संचालकों के हवाले कर देते हैं.

वहीं, स्वास्थ्य विभाग इस बारे में सबकुछ जानते हुए भी खामोश बैठा है. यहां तक कि केजीएमयू के सीएमएसडॉ. एसएन शंखवार ने खुद तीमारदारों के ब्रेन वॉश की बात कबूली है. वहीं प्राइवेट एंबुलेंस के ड्राइवर ने भी पहचान छुपाने की शर्त पर कई बातें बताईं, जिनसे स्वास्थ्य विभाग के दावों की पोल खुल गई. उसने बताया कि कैसे वह सरकारी अस्पतालों के बाहर खड़े होकर वहां आने वाले मरीजों को प्राइवेट अस्पताल तक ले जाता है. इतना ही नहीं कई ऊपर के लोग भी इसमें उसकी मदद करते हैं.

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लखनऊ: सरकार की तरफ से लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए निःशुल्क एंबुलेंस सेवाएं चलाई जा रही हैं. वहीं कर्मचारियों और प्राइवेट एंबुलेंस के मालिकों की जालसाजी के कारण लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.

सरकारी अस्पतालों के बाहर का गोरखधंधा

प्राइवेट हॉस्पिटल्स के एंबुलेंस चालक जिला अस्पताल और जिला महिला अस्पताल तक के बाहर काफी सक्रिय रहते हैं. वे दूरदराज से आने वाले मरीजों और उनके तीमारदारों को बरगलाकर प्राइवेट हॉस्पिटल का रास्ता दिखा देते हैं. इस खेल में जिला अस्पताल और महिला अस्पताल के कुछ कर्मचारी भी शामिल हैं, जो कमीशन के चक्कर में मौका देख मरीजों को इन एंबुलेंस संचालकों के हवाले कर देते हैं.

वहीं, स्वास्थ्य विभाग इस बारे में सबकुछ जानते हुए भी खामोश बैठा है. यहां तक कि केजीएमयू के सीएमएसडॉ. एसएन शंखवार ने खुद तीमारदारों के ब्रेन वॉश की बात कबूली है. वहीं प्राइवेट एंबुलेंस के ड्राइवर ने भी पहचान छुपाने की शर्त पर कई बातें बताईं, जिनसे स्वास्थ्य विभाग के दावों की पोल खुल गई. उसने बताया कि कैसे वह सरकारी अस्पतालों के बाहर खड़े होकर वहां आने वाले मरीजों को प्राइवेट अस्पताल तक ले जाता है. इतना ही नहीं कई ऊपर के लोग भी इसमें उसकी मदद करते हैं.

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नोट- मोबाइल ना होने की वजह से खबर मेल पर भेजी जा रही है

सरकारी अस्पतालों के आदेश के बावजूद अस्पताल के बाहर लगा रहता है प्राइवेट एंबुलेंस का डेरा 

एंकर- राजधानी लखनऊ के सरकारी अस्पतालो के बाहर प्राइवेट एंबुलेंस का डेरा लगा रहता है या डेरा डेरा नहीं है बल्कि एक बड़े चाल भी है ऐसा इसलिए क्योंकि समय समय पर प्राइवेट एंबुलेंस के द्वारा जालसाजी वाह धोखाधड़ी की बातें सामने आती है इसके बाद प्रशासन ने कई बार आदेश दिए जाने के बाद भी आखिर किस की कृपा से यह एंबुलेंस का डेरा डाल के बाहर जमा हुआ है।

वी.ओ- सरकारी चिकित्सा व्यवस्था के लचर हाल का फायदा उठा प्राइवेट एंबुलेंस वाले सिटी में लोगों को ठग रहे हैं. प्राइवेट हॉस्पिटल्स के एंबुलेंस चालक जिला अस्पताल और जिला महिला अस्पताल तक के बाहर एक्टिव रहते हैं, जो दूरदराज से आने वाले मरीजों और उनके तीमारदारों को बरगलाकर प्राइवेट हॉस्पिटल का रास्ता दिखा देते हैं. सूत्रों की मानें तो इस खेल में जिला अस्पताल व महिला अस्पताल के कुछ कर्मचारी भी शामिल हैं जो कमीशन के चक्कर में मौका देख मरीजों को इन एंबुलेंस संचालकों के हवाले कर देते हैं. वहीं, स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार हैं कि इस बारे में जानते हुए भी खामोश बैठे हैं. हैरानी तब हुई जब ब्रेन वाश की बात खुद केजीएमयू के सीएमएस  डॉ एस एन शंखवार बे खुद कबूली

बाइट-डॉ एस एन शंखवार,सीएमएस,केजीएमयू

वी.ओ- जिले में त्वरित सेवाओं के लिए 108 नंबर की एम्बुलेंस रन कर रही हैं. इसके अलावा महिलाओं के लिए 102 नंबर की और एएलएस की एम्बुलेन्स चलाई जा रही हैं. जिनकी सेवाएं नि:शुल्क हैं. बावजूद इसके लोग प्राइवेट एंबुलेंस संचालकों के जाल में फंसकर ठगी का शिकार बन रहे हैं. सूत्रों की मानें तो जिला अस्पताल में काम करने वाले प्राइवेट कर्मी और इन एंबुलेंस संचालकों के बीच गठजोड़ है, जो मरीज के साथ आए तीमारदार का ब्रेनवाश कर अच्छे इलाज का झांसा देकर निजी अस्पताल भेज देते हैं. जब तक तीमारदार को ठगे जाने का एहसास होता है, तब तक बहुत देर हो जाती है. पैसा और समय की बर्बादी होती ही है, मरीज की जान पर भी आफत बन जाती है. इस गोरखधंधे की खबर स्वास्थ्य विभाग के आला अफसरों को भी है, लेकिन वे कार्रवाई करने से कतरा रहे हैं.इस पर जब हमने प्राइवेट एम्बुलेंस के ड्राइवर से बात करने की कोशिश की तो उसने पहचान छुपाकर अपनी बात कहने की सहमति जताई जिसके बाद स्वास्थ विभाग के सभी दावों की पोल खुल गयी।

बाइट- प्राइवेट एम्बुलेंस चालक

वी.ओ- वह इस पूरा मामला केजीएमयू इस तरह से सरकार के सामने रखा उनकी भी आंखें खुली रह गई और खुद भी इस पूरे मामले से ग्रसित व परेशान दिखाई दिए ।यहां पर प्रदेश के लगभग हर कोने से मरीज आते हैं लेकिन वहां पर प्रशासन के इस तरह का लचर व्यवहार ही वजह बन गया है इस तरह के गोरखधंधौं की।

बाइट- डॉ एस एन शंखवार,सीएमएस,केजीएमयू

वी.ओ- वाकई इस तरह के हालात अगर प्रदेश के बड़े सरकारी अस्पतालों के हैं तो बाकी जिलों के सरकारी अस्पतालों के हाल समझना मुश्किल नहीं होगा ।क्योंकि जहां शासन सत्ता का शीर्ष मौजूद हो वहां की ऐसी बजरंग तस्वीर चिंतित करने वाली है तो वहीं शासन व प्रशासन के रवैया पर बड़ा सवालिया निशान भी लगाती है।

एन्ड पीटीसी

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