लखनऊ: कोरोना महामारी में जहां एक तरफ लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत हो रही हैं. वहीं दूसरी ओर हॉस्पिटल पर इलाज में लापरवाही और निजी अस्पतालों पर मन मुताबिक रुपया वसूलने का आरोप भी लग रहा है. 14 अप्रैल को अमीनाबाद निवासी मोहम्मद कलाम को निमोनिया की शिकायत पर कोवा अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां पर डॉक्टरों की लापरवाही के चलते मरीज कलाम की मौत हो गई. परिजनों का आरोप है कलाम को वेंटिलेटर पर रख कर भी धन उगाही करने की कोशिश की गई है
सुबह हुआ भर्ती शाम को हो गई मौत
अमीनाबाद मारवाड़ी गली के रहने वाले मोहम्मद कलाम को निमोनिया की शिकायत थी. पेशे से वह एक निजी अखबार में काम भी करते थे, जिनको 12 अप्रैल को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. कलाम की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई थी. इसके बाद 13 अप्रैल उसे निजी अस्पताल से बलरामपुर अस्पताल भेजा दिया गया. वहां भी रिपोर्ट निगेटिव आई. इसके बाद बलरामपुर अस्पताल से डिस्चार्ज करने की बात कही गई. तभी एंबुलेंस चालक की मदद से कलाम को कोवा अस्पताल मुंसी पुलिया पर भर्ती कराया गया.
परिजनों का आरोप है कि मरीज को कोवा हॉस्पिटल में 14 अप्रैल की सुबह भर्ती कराया गया था. जहां पर उसकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव बताकर कोविड वार्ड में भर्ती कर दिया गया. परिजनों का कहना उनके मरीज की हालत में सुधार था और वह खुद से चल-फिर भी रहे थे, लेकिन कोवा हॉस्पिटल में भर्ती करने के बाद ही उनकी दूसरे दिन मौत हो गई है.
हॉस्पिटल प्रशासन पर गंभीर आरोप
परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा है कोवा हॉस्पिटल में भर्ती होने के बाद दिनभर उन्होंने फोन पर वीडियो कॉलिंग पर मृतक कलाम से बात की. भर्ती होने के बाद कलाम ने घरवालों को फोन कर कहा कि "मुझे इस हॉस्पिटल से निकाल लो नहीं तो यह लोग मार देंगे." परिजनों जब कलाम को समझाने लगे तो उसने कहा- "अगर यकीन नहीं है तो सुबह तक हम जीवित नहीं मिलेंगे." और ऐसा ही हुआ. परिजनों ने आरोप लगाया है कि जब हॉस्पिटल के डॉक्टर जावेद से बात की गई उन्होंने गोलमोल जवाब दिया, लेकिन मरीज से बात नहीं कराई गई.
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11 बजे कराया सिग्नेचर, समय लिखवाया 9 बजे का
मृतक के परिजनों का आरोप है कि सुबह जब उन लोगों ने डॉक्टर से मिलने की कोशिश की तो डॉक्टर जावेद ने किसी भी तीमारदार से मुलाकात नहीं की. आरोप है हॉस्पिटल प्रशासन ने 11 बजे उनसे एक फॉर्म पर सिग्नेचर कराया और उसमें जबरन 9 बजे का समय डलवाया. उन्होंने कहा यह फॉर्म वेंटिलेटर का है क्योंकि मरीज को वेंटिलेटर पर रखा गया है. आरोप है जब मरीज से मिलने की बात कही गई तो उनको कोरोना के नाम पर डराया गया और तीमारदारों की कोरोना जांच करने के बाद ही मिलवाने को कहा गया. आरोप है हॉस्पिटल प्रशासन ने मरीज को भर्ती करने के नाम पर एक दिन में 70 हजार रुपया भी ऐंठ लिया है.
क्या बोले डॉक्टर
कोवा हॉस्पिटल के डॉक्टर जावेद से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि "मरीज को डबल निमोनिया के साथ कोरोना पॉजिटिव की शिकायत थी. उनको सांस लेने में काफी दिक्कत हो रही थी. रात को उनकी हालत काफी गंभीर बनी हुई थी, जिसके कारण उनको वेंटिलेटर पर भी रखा गया था. मरीज कलाम को सांस लेने में दिक्कत होने लगी, जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई. मरीज की मौत के बाद शव को परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया है.