लखनऊ : इस बार गेहूं, सरसों, आलू, गन्ना और टमाटर आदि की फसलों में बेहतरीन उत्पादन की उम्मीद की जा रही है, हालांकि पिछले दो-तीन दिनों से हो रही बारिश के कारण सरसों और गेहूं को नुकसान हुआ है. जिन किसानों का सरसों कटकर खेतों में पड़ा था, उनको फसल बर्बाद होने का डर सता रहा है. यदि कल तक धूप न निकली तो यह फसल सड़कर बर्बाद हो जाएगी, वहीं गेहूं में बाली आ जाने से बारिश के साथ हवा चलने से फसल गिर जाने का खतरा मंडरा रहा है. आम की फसल में भी जहां बौर में फल नहीं पड़े हैं, वहां बौर के सड़ जाने का खतरा उत्पन्न हो गया है. सरकार ने बारिश और ओलावृष्टि से हुए नुकसान का आकलन कर क्षतिपूर्ति करने का आदेश दिया है.
इस संबंध में प्रगतिशील किसान पद्मश्री रामशरण वर्मा कहते हैं 'इस वर्ष प्रकृति किसानों पर मेहरबान रही है. यही कारण है कि प्रदेश में आलू की बंपर पैदावार हुई है. गेहूं के भी डेढ़ गुने उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है. टमाटर की फसल भी बहुत ही अच्छी रही है. सरसों को फसल भी अच्छी होने का अनुमान लगाया जा रहा था, किंतु अचानक हुई बारिश से सरसों को सबसे अधिक नुकसान होने की आशंका है.' वह कहते हैं 'चूंकि सरसों की फसल गेहूं से पहले ही तैयार हो जाती है, इसलिए बड़ी संख्या में किसानों की सरसों की फसल कटकर खेतों में पड़ी थी, जिसके सड़कर खराब होने की आशंका है. दूसरी ओर गेहूं में भी अब बाली पड़ चुकी है. इसलिए फसल के ऊपर बाली का भार है. यदि बारिश के साथ हवा चलती है तो गेहूं की फसल के गिरकर बर्बाद होने की आशंका है. प्रदेश के महोबा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में बारिश के साथ हुई ओलावृष्टि से फसलों को काफी नुकसान हुआ है, हालांकि गन्ने की फसल के लिए यह पानी अच्छा है और इससे गन्ना किसानों को लाभ मिलेगा. जहां आलू खुदा पड़ा है, वहां भी फसल को नुकसान होने की उम्मीद है. सरकार को पीड़ित किसानों को शीघ्र मुआवजा देना चाहिए.'
अवध आम उत्पादक एवं बागवानी समिति, लखनऊ के महासचिव उपेंद्र कुमार सिंह कहते हैं कि 'यह फ्लावरिंग का वक्त है. जिन बागों में बौर के बाद फल आ गया है, चाहे वह मसूर भर का ही क्यों न हो, वहां नुकसान न ही है, लेकिन लेट वैरायटी वाले आमों जैसे आम्रपाली, लंगड़ा, चौसा आदि में फ्लावरिंग चालू थी, वहां नुकसान संभव है. जहां सिर्फ बौर निकला है और पानी पड़ जाता है, वहां बौर यानी फूलों के सड़ने का खतरा रहता है. हालांकि यदि चौबीस घंटे में बौर निकल आता है तो नुकसान की आशंका कम है. क्योंकि धूप निकलने के बाद फंगस और खर्रे की आशंका कम हो जाती है.' उपेंद्र कुमार सिंह कहते हैं 'बारिश से धूल और जाले भी धुल जाते हैं, जिससे फायदा होता है, लेकिन यदि यह बारिश बौर आने से पहले हो जाती तो इसका फायदा ज्यादा था. इस बार पूरे प्रदेश में फसल बंपर है. इस बार 25-30 साल बाद ऐसा है, जब फसल रोग रहित है. सरसों, गेहूं और आम की बेहतर फसल की उम्मीद है. इस बारिश से थोड़ा-बहुत नुकसान जरूर हुआ है.' वह कहते हैं 'पिछले पचास साल में इतनी रोग रहित फसल कभी नहीं हुई. हालांकि पिछले वर्ष जितनी कम फसल हुई थी, उतनी कम कई दशक में नहीं हुई थी. गनीमत यह है कि अवध क्षेत्र में ओलावृष्टि नहीं हुई. कुल मिलाकर इस बार बेहतरीन फसल की उम्मीद है.'
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