लखनऊ : राजधानी लखनऊ में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव-2021 के परिणाम आने के बाद अब ब्लॉक प्रमुख की कुर्सी के लिए राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई हैं. दावेदारों ने क्षेत्र पंचायत सदस्यों से अपने लिये समर्थन जुटाना शुरू कर दिया है. हालांकि इस कुर्सी के लिये अभी तो दावेदारी हो रही है, लेकिन असल परीक्षा चुनाव होगा. जिसमें जिसकी जीत होगी उसकी की होगी कुर्सी.
104 क्षेत्र पंचायत सदस्यों (बीडीसी) वाली बीकेटी ब्लॉक के प्रमुख की कुर्सी पर निवर्तमान ब्लॉक प्रमुख मोहित सिंह की बहू उषा सिंह ने सामान्य महिला सीट होने के नाते अपनी दावेदारी ठोंक दी है. भरीगहना ग्राम पंचायत के वार्ड 103 से निर्विरोध क्षेत्र पंचायत सदस्य (बीडीसी) चुनी गई उषा सिंह ने कहा उन्हें 70 से अधिक बीडीसी सदस्यों का समर्थन प्राप्त है. उन्हें चुनाव में कमजोर करने के लिये विरोधियों ने निवर्तमान ब्लॉक प्रमुख मोहित सिंह को साजिश के तहत गिरफ्तार कराया है. विरोधियों के ऐसे कार्य से उनका मनोबल और मजबूत हो गया है. बीडीसी और क्षेत्र की जनता का उन्हें समर्थन मिल रहा है. उनके चाचा ने क्षेत्र में सड़क, नाली, स्ट्रीट लाइटें और सरकारी इमारतों की मरम्मत कराई थी. वह मोहित सिंह के पांच वर्षों के विकास कार्य के नाम पर वह मैदान में हैं. उषा सिंह का परिवार भाजपा में है और उन्होंने पार्टी में टिकट की दावेदारी भी कर रखी है. वहीं ढिलवांसी के वार्ड पांच से बीडीसी का निर्विरोध चुनाव जीतने के बाद ज्योति श्रीवास्तव ने भी ब्लॉक प्रमुख पद के लिये भाजपा में दावेदारी कर रखी है.
उधर, समाजवादी पार्टी ने दिनोहरी निवासी बीडीसी रेनू यादव को ब्लॉक प्रमुख पद के लिए उम्मीदवार घोषित कर मुकाबले को और भी रोचक बना दिया है. सपा का उम्मीदवार घोषित होने के बाद से ही इस कुर्सी के लिए राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है. दावेदारी करने वालों ने क्षेत्र पंचायत सदस्यों से समर्थन जुटाना शुरू कर दिया है. हालांकि भाजपा, बसपा, कांग्रेस ने अभी अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. माना जा रहा है जल्द ही ब्लॉक प्रमुख पद के भाजपा भी उम्मीदवारों की सूची जारी कर सकती है.
राजधानी लखनऊ के बीकेटी में ब्लॉक प्रमुख के चुनाव के लिए दावेदारों ने अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिए गुणा गणित लगाना शुरू कर दिया है. भाजपा-बसपा की ओर से अभी किसी की उम्मीदवारी भले ही न तय हो सकी हो, लेकिन निवर्तमान ब्लॉक प्रमुख की बहु उषा सिंह ने 70 से अधिक क्षेत्र पंचायत सदस्यों का समर्थन हासिल होने के दावे के साथ चुनाव मैदान में हैं. जबकि, सपा ने उम्मीदवारों की सूची जारी कर मुकाबले को रोचक बना दिया है.
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