लखनऊ: जिले के ग्रामीण क्षेत्र सरौरा गांव में पंचायत भवन बना हुआ है. जहां पर 4 गांव सरौरा, रपरा, भूलपुरवा, खटईया के करीब 50,000 से अधिक लोग लोग पहुंचकर जन समस्याओं से संबंधित पर चर्चा करते हैं. वहीं गांव के लोग सभी सरकारी सुविधाओं का गांव के पंचायत भवन में पहुंचकर लाभ उठाते हैं. ग्राम प्रधान के द्वारा पंचायत भवन की मरम्मत न कराए जाने से हालत पूरी तरह से जर्जर हो गई है.
भले ही सरकार द्वारा गांव में विकास के लिए अलग-अलग योजनाओं के तहत बजट दिए गए हो. वहीं एक तरफ जमीनी स्तर पर बजट के बंदरबांट किए जाने से गांव के पंचायत भवन की हालत पूरी तरह से जर्जर हो गई है. इसकी वजह से पंचायत भवन की दीवारें पूरी तरह से दरक गई हैं, वहीं पंचायत भवन में स्थानीय लोग अपनी जान हथेली पर रखकर पंचायत भवन जाते हैं और सरकारी सुविधाओं का लाभ लेते हैं.
पंचायत भवन की बिल्डिंग हुई जर्जर
गांव के पंचायत भवन में लोगों की जन समस्याएं और सरकारी सुविधाएं लोगों तक पहुंचाने का माध्यम होता है. लेकिन दूसरी तरफ पंचायत भवन की हालत देखने से पता चलता है कि पंचायत भवन कि दरवाजे पूरी तरह से सड़ गए हैं. वहीं पंचायत भवन की दीवारें भी पूरी तरह से जर्जर हैं. आखिरकार जब पंचायत भवन का हाल यह है तो सरकारी सुविधाएं लोगों तक किस हाल में पहुंचती होगी, यह अपने आप में एक सवाल खड़ा कर रहा है.
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ईटीवी संवादाता ने मौजूद प्रधान बाबूलाल से कैमरे पर पंचायत भवन को लेकर बात करने को कही कैमरे से बचते नजर आए. वहीं बताया कि पंचायत भवन की जर्जर हालत पहले के पूर्व प्रधान गोपाल कनौजिया के लापरवाही के चलते हुई हैं. वहीं बताया कि पूर्व प्रधान 10 वर्ष से लगातार इस ग्राम सभा के प्रधान रहे हैं. पंचायत भवन की देखरेख न होने से पंचायत भवन की स्थिति जर्जर और भयावह हो गई है.