लखनऊ : बहुत सारी दवाएं दर्द में झटपट राहत देती हैं. पांच मिनट में आपके शरीर का दर्द दूर हो जाता है, लेकिन अगर आप ऐसी दवाएं खाने (use of pain killer) के आदी हो चुके हैं तो आपके शरीर के किसी न किसी हिस्से पर इसका बुरा प्रभाव जरूर पड़ेगा. पेन रिलीफ दवाएं (Disadvantages of Pain Killer) ज्यादातर किडनी पर असर (effect of pain killer on kidney) डालती हैं. विशेषज्ञ डाॅक्टरों का कहना है कि पेन रिलीफ दवा के साथ अगर कोई एंटीबायोटिक ली जाए तो किडनी फेल होने के चांस कम हो जाते हैं. हालांकि दवा कोई भी हो, चाहे वह एंटीबायोटिक हो, पेन रिलीफ हो या फिर एस्ट्रोराइड सभी से कोई न कोई साइड इफेक्ट जरूर होता है.
सिविल अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. आनंद कुमार श्रीवास्तव (Dr. Anand Kumar Srivastava, Senior Physician, Civil Hospital) ने बताया कि दर्द से झटपट राहत दिलाने वाली दवाएं (Disadvantages of Pain Killer) भविष्य में काफी खतरनाक साबित होती हैं. लंबे समय से जो व्यक्ति दर्द से आराम मिलने वाली किसी भी दवाएं खाता है तो इसका असर किसी न किसी बॉडी ऑर्गन (effect of pain killer on organs) पर जरूर पड़ता है. छोटी छोटी चीजों पर मौजूदा समय में लोग दवा का सेवन कर लेते हैं. उदाहरण के तौर पर बता दें कि इस समय अस्पताल की ओपीडी में ऐसे मरीज ज्यादा आ रहे हैं जिनके हाथ पैर में काफी दर्द होता है. वायरल फ्लू के कारण ऐसे मरीजों की संख्या ज्यादा बढ़ गई है. क्योंकि जिस समय पर वायरल फ्लू फैला था. उस समय मरीज की रिपोर्ट नॉर्मल आ रही थी, लेकिन सारे लक्षण डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया के थे. ऐसे में जितने भी मरीज वायरल फ्लू की चपेट में आए उनको इस तरीके समस्या हो रही है. ऐसे में वह मरीज दर्द से आराम पाने के लिए बिना डॉक्टर के परामर्श के कॉन्बिफ्लेम, क्रोसिन व नाइस जैसी अनेक दर्द से झटपट राहत देने वाली मेडिसिन का सेवन कर लेते हैं. यह दवाएं भले ही दर्द से काफी राहत देती हैं, लेकिन इन दवाइयों का असर काफी खतरनाक होता है. अस्पताल में रोजाना दो से तीन के ऐसे आते हैं. जिनको इन दवाइयों का रिएक्शन हुआ होता है.
डॉ. आनंद कुमार श्रीवास्तव (Dr. Anand Kumar Srivastava) ने बताया कि दवा चाहे कोई भी हो दर्द की दवा (Disadvantages of Pain Killer) हो या फिर एंटीबायोटिक हो सभी दवाइयां (pain killer and antibiotic) शरीर के लिए नुकसानदायक होती हैं. किसी भी दवा के साथ एंटीबायोटिक इसलिए दिया जाता है ताकि वह जो दवा खा रहा है उसका रिएक्शन थोड़ा कम हो जाए. मरीज को पेट में जलन, एसिडिटी, उलझन जैसी समस्या न हो. ऐसे में बिना किसी डॉक्टर के परामर्श के दवा नहीं लेनी चाहिए. अगर हाथ पैर में भी दर्द हो रहा है तो पहले डॉक्टर से परामर्श लें. डॉक्टर द्वारा दी गई दवाइयों का ही सेवन करने की कोशिश करें. इसके अलावा दर्द की दवा कितनी मात्रा में लेनी है, यह पूरी तरह से रोगी के वजन, लिंग, आयु और पिछले चिकित्सकीय इतिहास पर निर्भर करता है. यह खुराक मरीज की परेशानी और दवा देने के तरीके पर निर्भर करती है. वहीं गर्भवती महिलाओं पर इसका प्रभाव मध्यम होता है. स्तनपान कराने वाली महिलाओं पर इस दवा का प्रभाव मध्यम है. लंबे समय तक अगर कोई व्यक्ति दर्द की दवा खाता है तो इसका असर लिवर, हार्ट और किडनी पर पड़ता है. अगर किसी व्यक्ति को एलर्जी, रक्तस्राव, गुर्दे की बीमारी जैसी कोई समस्या है, तो उसे दर्द की दवा नहीं लेनी चाहिए.
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