लखनऊ: गर्मी का मौसम आते ही मिनरल वाटर की मांग अत्यधिक बढ़ जाती है. इसकी आपूर्ति करने के लिए फैक्ट्रियों ने अपने यहां कर्मचारियों की संख्या बढ़ा दी है. इन कर्मचारियों से दिन-रात काम भी लिया जाता है. राजधानी लखनऊ में 21 पंजीकृत कंपनियां हैं, जो इस काम से जुड़ी हुई हैं. वहीं कई ऐसे डिस्ट्रीब्यूटर हैं, जो बाहर से पैकेज्ड वाटर लाते हैं और इसकी सप्लाई करते हैं.
गर्मियों में पानी की मांग बढ़ी
देशभर में कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है. ऐसे में लोग मिनरल वाटर की डिमांड ज्यादा कर रहे हैं. पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करने से डायरिया और पेट से संबंधित बीमारियों से बचा जा सके, इसके लिए लगातार पैकेज्ड वाटर की सप्लाई बढ़ रही है. पैकेज्ड वाटर की सप्लाई करने वाले राजेंद्र कुमार ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि निश्चित रूप से सर्दियों के दिनों में जिन्हें हम एक पेटी पानी की सप्लाई देते थे, वह गर्मी के दिनों में 7 से 8 पेटी पानी की खपत करते हैं. ऐसे में कई बार स्थितियां ऐसी होती हैं कि जितनी मांग है, हम लोग इसकी सप्लाई भी नहीं कर पाते हैं.
पानी की फैक्ट्रियों के लाइसेंस प्राप्त करने के नियम
मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी डॉक्टर एसपी सिंह ने बताया कि लखनऊ में 21 पैकेजिंग वाटर की कंपनियां हैं. कई बड़े डिस्ट्रीब्यूटर हैं. कंपनी की स्थापना के लिए इनके सभी नियम और कानून विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन उपलब्ध है. पानी के व्यवसाय से जुड़े लोगों को बीआईएस का सर्टिफिकेट लेना जरूरी होता है. इसके साथ ही निर्माणशाला में लैब भी जरूरी है. बैच के हिसाब से पानी की गुणवत्ता की जांच की जाती है. हर सीजन में पानी की सैंपलिंग कराने के साथ-साथ वाटर टेस्टिंग भी कराई जाती है.
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अवैध प्लांटों पर की जाती है कार्रवाई
डॉक्टर एसपी सिंह ने बताया कि राजधानी में अवैध रूप से संचालित होने वाली पानी की फैक्ट्रियों पर प्रवर्तन दस्ता समय समय पर सीलिंग की कार्रवाई करता है. इसके साथ ही न्यायालय में वाद दायर कर उन्हें दंडित भी कराया जाता है. पूरे प्रदेश में 6 प्रयोगशालाए हैं. इसमें लखनऊ, आगरा, मेरठ, झांसी, वाराणसी और गोरखपुर प्रमुख शहर है. इसके साथ ही प्रत्येक जनपदों में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की तैनाती की जाती है. पानी की गुणवत्ता जांचने के लिए रेंडम सैंपल भी लिया जाता है. इसके साथ ही इस फैक्ट्री को लगाने के लिए सेंट्रल ग्राउंड अथॉरिटी से एनओसी भी ली जाती है.