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निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत, डॉक्टर मरीजों से ही मांग रहे सिलेंडर

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कई निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म हो गए हैं. डॉक्टर तीमारदारों से खुद ही ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था करने को बोल रहे हैं. आलम यह है कि ऑक्सीजन के अभाव में लोग दम तोड़ रहे हैं.

oxygen cylinder shortage in private hospitals in lucknow
निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत.
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Published : Apr 15, 2021, 1:09 AM IST

लखनऊ : राजधानी में ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ने के बाद अस्पतालों में इसकी कमी भी दिखने लगी है. शहर के कई निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म हो गए हैं. अस्पताल संचालक मरीजों के तीमारदारों को ही सिलेंडर की व्यवस्था करने को बोल रहे हैं. आलम ये है कि ऑक्सीजन के अभाव में लोग अपनों को खो दे रहे हैं.

पहला केस

चारबाग निवासी 30 वर्षीय युवक को चार दिन पहले बुखार आने के साथ खांसी की समस्या हुई. परिजन उन्हें आलमबाग के एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचे. यहां से डॉक्टरों ने कोविड रिपोर्ट ना होने पर भर्ती नहीं किया, जिसके बाद परिजन युवक को लेकर एवरेडी चौराहे के एक निजी अस्पताल पहुंचे. यहां डॉक्टरों ने भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया. युवक के भाई ने बताया कि अस्पताल के डॉक्टरों ने सुबह ऑक्सीजन खत्म होने की बात कहते हुए खुद ही ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यस्था करने को कहा. जब काफी जद्दोजहद के बाद भी सिलेंडर नहीं मिल पाया तो डॉक्टरों ने उनके मरीज को रेफर कर दिया. केजीएमयू ले जाते वक्त उनके भाई ने दम तोड़ दिया.

दूसरा केस

इंदिरा नगर निवासी बुजुर्ग 7 अप्रैल को कोरोना संक्रमित हो गए थे. परिजनों ने उन्हें टेढ़ी पुलिया स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया. यहां डॉक्टरों ने दो दिन भर्ती रहने के बाद ऑक्सीजन खत्म होने की बात कहते हुए कहीं और ले जाने या खुद सिलेंडर लेकर आने को बोल दिया. काफी समय के बाद जब सिलेंडर की व्यस्था नहीं हो पाई तो मरीज को दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया गया.

ये भी पढ़ें: डीएम ने अस्पताल में लगवाए भगवा बेड, विपक्ष ने लिया आड़े हाथ

निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत शुरू

बता दें कि यह दो मामले ही नहीं, शहर में इन दिनों ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं. प्रशासन एक तरफ ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा होने का दावा कर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत शुरू हो गई है. कई अस्पतालों में तो ऑक्सीजन दो दिन बाद भी नहीं आ पाई है. अभी भी लोग ऑक्सीजन की तलाश में इधर से उधर कई घंटों तक भटक रहे हैं. प्रशासन की इस लापरवाही का परिणाम मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. वहीं होम आइसोलेशन वाले मरीजों में भी अब ऑक्सीजन की दिक्कतें सामने आने लगी है. वहीं ऑक्सीजन लेवल कम होने वाले मरीजों को विभाग दो-दो दिन बाद भी भर्ती नहीं करवा पा रहा है.

लखनऊ : राजधानी में ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ने के बाद अस्पतालों में इसकी कमी भी दिखने लगी है. शहर के कई निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म हो गए हैं. अस्पताल संचालक मरीजों के तीमारदारों को ही सिलेंडर की व्यवस्था करने को बोल रहे हैं. आलम ये है कि ऑक्सीजन के अभाव में लोग अपनों को खो दे रहे हैं.

पहला केस

चारबाग निवासी 30 वर्षीय युवक को चार दिन पहले बुखार आने के साथ खांसी की समस्या हुई. परिजन उन्हें आलमबाग के एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचे. यहां से डॉक्टरों ने कोविड रिपोर्ट ना होने पर भर्ती नहीं किया, जिसके बाद परिजन युवक को लेकर एवरेडी चौराहे के एक निजी अस्पताल पहुंचे. यहां डॉक्टरों ने भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया. युवक के भाई ने बताया कि अस्पताल के डॉक्टरों ने सुबह ऑक्सीजन खत्म होने की बात कहते हुए खुद ही ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यस्था करने को कहा. जब काफी जद्दोजहद के बाद भी सिलेंडर नहीं मिल पाया तो डॉक्टरों ने उनके मरीज को रेफर कर दिया. केजीएमयू ले जाते वक्त उनके भाई ने दम तोड़ दिया.

दूसरा केस

इंदिरा नगर निवासी बुजुर्ग 7 अप्रैल को कोरोना संक्रमित हो गए थे. परिजनों ने उन्हें टेढ़ी पुलिया स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया. यहां डॉक्टरों ने दो दिन भर्ती रहने के बाद ऑक्सीजन खत्म होने की बात कहते हुए कहीं और ले जाने या खुद सिलेंडर लेकर आने को बोल दिया. काफी समय के बाद जब सिलेंडर की व्यस्था नहीं हो पाई तो मरीज को दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया गया.

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निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत शुरू

बता दें कि यह दो मामले ही नहीं, शहर में इन दिनों ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं. प्रशासन एक तरफ ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा होने का दावा कर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत शुरू हो गई है. कई अस्पतालों में तो ऑक्सीजन दो दिन बाद भी नहीं आ पाई है. अभी भी लोग ऑक्सीजन की तलाश में इधर से उधर कई घंटों तक भटक रहे हैं. प्रशासन की इस लापरवाही का परिणाम मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. वहीं होम आइसोलेशन वाले मरीजों में भी अब ऑक्सीजन की दिक्कतें सामने आने लगी है. वहीं ऑक्सीजन लेवल कम होने वाले मरीजों को विभाग दो-दो दिन बाद भी भर्ती नहीं करवा पा रहा है.

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