लखनऊ : प्रदेश में स्वामित्व योजना के तहत प्रदेश के सभी एक लाख 10 हजार 300 राजस्व ग्रामों में निवास करने वाले ढाई करोड़ से ज्यादा परिवारों को इसी साल अक्टूबर तक 'ग्रामीण परिवार प्रमाण पत्र' यानी 'घरौनी' दी जानी है. हालांकि कि इस योजना की प्रगति से यह नहीं लगता कि इस समय सीमा में योजना को प्रदेश में पूरा किया जा सकेगा. प्रदेश सरकार की स्वामित्व उत्तर प्रदेश वेबसाइट के अनुसार अब तक 54 करोड़ 75 हजार 827 घरों को ही स्वामित्व प्रमाण पत्र दिया जा सका है. यानी अभी इस योजना का एक चौथाई काम भी नहीं हो सका है. स्वाभाविक है कि अब इस काम में ज्यादा वक्त लगेगा और लोगों को इस सुविधा के लिए अभी इंतजार करना होगा.
गौरतलब है कि इस योजना शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर 24 अप्रैल 2020 को पायलट प्रोजेक्ट की तरह किया था और इसके तहत वर्ष 2025 तक यह लक्ष्य रखा गया है कि देश के साढ़े छह लाख ग्रामीणों को इस योजना में शामिल किया जा सके. प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 15 जून 2022 को एक कार्यक्रम में 11 लाख परिवारों को डिजिटल रूप से घरौनी प्रमाण पत्र वितरित करते हुए कहा था कि अक्टूबर 2023 तक प्रदेश के सभी एक लाख 10 हजार से ज्यादा राजस्व ग्रामों में रहने वाले करीब ढाई लाख परिवारों को स्वामित्व प्रमाण पत्र दे दिया जाएगा. अक्टूबर के लिए अब महज तीन माह का समय शेष है. ऐसे में यह नहीं लगता कि मुख्यमंत्री के बताए गए समय पर योजना पूरी हो पाएगी. ज्यादातर गांवों में अभी ड्रोन सर्वे, पैमाइश आदि के साथ लेखपाल और अन्य राजस्व कर्मी कागजी कार्रवाई में ही जुटे हैं. ऐसे में सरकार का प्रयास होगा कि आगामी लोकसभा चुनावों से पहले सभी राजस्व गांवों में घरौनी जरूर वितरित हो जाए.
इस योजना के तहत दिए जाने वाले स्वामित्व प्रमाण पत्र में सभी गांवों में हर घर को यूनीक आईडी नंबर दिया जाएगा. 13 अंकों वाले इस यूनीक आईडी नंबर में पहले छह अंकों में गांव के कोड को दर्शाया जाएगा. इसके बाद के पांच अंकों में आबादी का प्लॉट नंबर होगा. आखिरी दो अंकों में प्लॉट के संभावित बंटवारे को दर्शाया जाएगा. योजना के तहत ड्रोन विधि से गांवों की आवासीय भूमि की मैपिंग की जाती है. जिसके बाद भू स्वामी को घरौनी दी जाती है. यह प्रमाण पत्र मिलने के बाद भूस्वामी अपने प्लॉट पर बैंक लोन आदि ले सकेंगे. इसके साथ ही गांवों में घरेलू जमीनों को लेकर होने वाले झगड़े भी कम होने की उम्मीद है. अभी तक गांवों की आवासीय भूमि का स्वामित्व कब्जे के आधार पर तय होता था. इसका कोई आधिकारिक दस्तावेज भू स्वामियों के पास नहीं होता था. घरौनी मिल जाने के बाद कई समस्याओं का निदान हो जाएगा.
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