लखनऊ : राजधानी में सर्दी-जुकाम और खांसी से पीड़ित मरीजों की संख्या रोजाना बढ़ रही है. सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में काफी भीड़ जुट रही है, वहीं निजी अस्पतालों में भी भीड़ देखने को मिल रही. इन्फ्लूएंजा एच3एन2 की आशंका के चलते जांच के लिए निजी पैथालॉजी लैब भी बाजार में उतर आई हैं. इनके लिए कोई गाइडलाइन जारी न होने से यह मनमानी कर रहे हैं. कई नामी लैब इस जांच के लिए 2800 रुपये से लेकर तीन हजार रुपये तक वसूल रहे हैं.
एच3एन2 वायरस की जांच अभी तक लखनऊ में सिर्फ किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में ही उपलब्ध थी. यहां पर पूरे प्रदेश के सरकारी अस्प्तालों से आए सैंपल की जांच हो रही है. इसकी वजह से यहां इसकी जांच निशुल्क है. शहर में इस वायरस के बढ़ते हुए केसों को देखते हुए संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के माइक्रोबायोलॉजी विभाग ने शुरू कर दी है, हालांकि यहां 2400 रुपये शुल्क निर्धारित किया गया है. इस मामले में पीजीआई के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की डॉ. उज्ज्वला घोषाल का कहना है कि 'निशुल्क जांच के लिए किट मांगी गई है. किट मिलते ही जांच निशुल्क कर दी जाएगी. लक्षण के आधार पर सैंपल लिए जा रहे हैं.'
हजरतगंज स्थित एक निजी पैथोलॉजी में ईटीवी भारत की टीम ने जांच शुल्क पता किया, जहां निजी पैथोलॉजी के रिसेप्शन में यह जानकारी दी गई थी, एच3एन2 इंफ्लूएंजा की जांच के लिए 6500 रुपये निर्धारित किया गया है, जिसमें चार जांच हो सकेंगी. ऐसे ही कैसरबाग स्थित एक और निजी पैथोलॉजी में जब इंफ्लूएंजा की जांच के बारे में पता किया तो यहां पर भी 5500 रुपये मरीजों से वसूला जा रहा है. इसी तरह तमाम जाने-माने निजी पैथोलॉजी का भी यही हाल है जहां पर मरीजों से भारी भरकम जांच के नाम पर शुल्क जमा कराया जा रहा है. फिलहाल सरकार के द्वारा या फिर स्वास्थ्य विभाग की ओर से इसको लेकर कोई भी नियम नहीं बनाए गए हैं या शुल्क नहीं तय किए गए हैं, जिसके कारण यह दिक्कतें हो रही हैं. मौजूदा समय में सरकारी अस्पतालों में काफी भीड़ हो रही है. इसके साथ ही ओपीडी में जो मरीज आ रहे हैं उनकी कई जांच कराई जा रही है, जिसके कारण पैथोलॉजी में भी काफी भीड़ हो रही है. यही कारण है कि मजबूरी में मरीजों को निजी पैथोलॉजी की तरफ रुख करना पड़ा है, हालांकि यहां भी निजी पैथोलॉजी मनमाने ढंग से मरीजों से पैसे वसूल रहे हैं.
गाइडलाइन नहीं जारी होगी तो बढ़ेगी मनमानी : मरीजों का कहना है कि 'जब कभी ऐसे वायरस फैलते हैं, तब निजी अस्पताल और पैथोलॉजी मरीजों व तीमारदारों को डराकर कमाई का जरिया बना लेते हैं. ऐसे में इनकी मनमानी पर अंकुश लगाना मरीजों के हित में होगा. इसकी जांच के लिए रेट निर्धारित किया जाना चाहिए. साथ ही इसके आंकड़ों को भी लेना चाहिए. मालूम हो कि केजीएमयू में बीते एक महीने में 15 मरीज एच3एन2 पॉजिटिव पाए गए हैं.'
कोरोना गाइडलाइन का करें पालन : प्रदेश में एच3एन2 के साथ ही कोविड के भी मरीज बढ़ रहे हैं. ऐसे में डॉक्टरों का कहना है कि 'सभी को कोविड गाइडलाइन का पालन करना होगा. इससे कोरोना के साथ-साथ एच3एन2 से भी बचा जा सकता है.'