लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार (yogi adityanath government) ने प्रदेश में बढ़ते जबरन धर्मांतरण के मामलों( matter of conversion) को देखते हुए सख्त कानून बनाया था. सरकार ने जब जबरन धर्मांतरण को लेकर 'उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्मांतरण प्रतिषेध अध्यादेश 2020' (Uttar Pradesh Law Against Conversion Prohibition Ordinance 2020) को मंजूरी दी तो लगा कि अब धर्मांतरण के मामलों में कमी आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इस कानून बनने के बाद भी बड़े स्तर पर प्रदेश में लोगों का धर्मांतरण करवाया गया. बीते सोमवार को उत्तर प्रदेश एटीएस ने दिल्ली के जामिया नगर से दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है, जो धर्मांतरण के कार्य में लिप्त पाए गए. आरोप है कि जहांगीर और उमर गौतम नाम के दो अभियुक्तों ने प्रदेश में 1,000 से ज्यादा लोगों का धर्मांतरण कराया है. धर्म परिवर्तन कराए गए लोगों में मूक-बधिर छात्र, महिलाएं, युवक और बच्चे शामिल हैं. इन दोनों अभियुक्तों को गिरफ्तार करने और धर्मांतरण कराने वाले गिरोह का खुलासा करने के बाद पुलिस अपनी पीठ भले ही थपथपा रही हो, लेकिन यह पुलिस के खुफिया तंत्र की एक बड़ी विफलता भी है. इतने दिनों से लोगों का धर्मांतरण किया जा रहा था. फिर भी इसकी जानकारी तक नहीं मिली. अब इस मामले को लेकर सीएम योगी ने सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.
यूपी में कब पड़ी सख्त धर्मांतरण कानून की जरूरत
दरअसल, उत्तर प्रदेश के जौनपुर जनपद के चंदवक क्षेत्र की भूलनडीह गांव में धर्मांतरण की शिकायत पर पुलिस ने प्रार्थना स्थल से 5 पादरियों को गिरफ्तार किया था. इस गांव में ये लोग गरीब और बीमार लोगों की बीमारी ठीक करने और रुपयों का लालच देकर धर्मांतरण कराने का काम कर रहे थे. इस मामले के सामने आने के बाद पुलिस ने मुख्य पादरी दुर्गा यादव सहित तीन नामजद और 268 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. इस गांव में पैसे का प्रलोभन और नौकरी का लालच देकर 500 से ज्यादा लोगों का धर्म परिवर्तन कराया गया था.जौनपुर के इस सामूहिक धर्मांतरण के मामले के प्रकाश में आने के बाद ही उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण के खिलाफ सरकार ने सख्त कानून बनाने की शुरुआत कर दी थी. जौनपुर में आयोजित एक जनसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने धर्मांतरण और लव जिहाद के खिलाफ कानून का ऐलान भी किया था.
धर्मांतरण को रोकने के लिए बनाया सख्त कानून भी पड़ा कमजोर
प्रदेश में धर्मांतरण के मामलों की बढ़ती संख्या के बाद उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रदेश में लव जिहाद(love jihad) और धर्मांतरण को रोकने के लिए एक अध्यादेश को मंजूरी दी थी, जिसको ''उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020'' का नाम दिया गया. इस कानून के तहत सामूहिक धर्मांतरण कराने वालों के खिलाफ सजा का प्रावधान किया गया था, लेकिन इस कानून के बाद भी धर्मांतरण के मामलों में कमी नहीं आई. उत्तर प्रदेश के बरेली, सीतापुर, मेरठ ,मुजफ्फरनगर में लव जिहाद के माध्यम से धर्मांतरण के कई मामले दर्ज किए गए. अब उत्तर प्रदेश आतंक निरोधक दस्ता (ats) ने दो व्यक्तियों की गिरफ्तारी की है, जो प्रदेश में 1000 से भी ज्यादा लोगों का धर्मांतरण करा चुके हैं. ऐसे में यही कहा जा सकता है कि सरकार ने धर्म परिवर्तन पर लगाम लगाने के लिए कानून भले ही बना दिया लेकिन इसका कार्यान्वयन सही से नहीं हो रहा है.
धर्मांतरण कराने वाले अभियुक्तों से पूछताछ में निकला ये सच
उत्तर प्रदेश एटीएस द्वारा गाजियाबाद के डासना से एक मंदिर में जबरन घुसने की कोशिश में दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया. उन दोनों से जब पूछताछ की गई तो पता चला कि प्रदेश के कई जनपदों में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण चल रहा है. जिसके बाद दिल्ली के जामिया नगर से गिरफ्तार जहांगीर आलम और उमर गौतम नाम के दो अभियुक्तों की गिरफ्तारी की गई. एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया की उमर गौतम ने पूछताछ में बताया कि वह लोग पूरे प्रदेश में नेटवर्क बिछाकर धर्मांतरण कर रहे थे. अब तक उन्होंने एक हजार से ज्यादा लोगों का धर्मांतरण कराया है. इसके लिए वह जामिया नगर में इस्लामिक दावा सेंटर नाम की संस्था का संचालन कर रहे थे.
कैसे होता रहा सरकार की नाक नीचे धर्म परिवर्तन का खेल
उत्तर प्रदेश एटीएस ने जबरन धर्मांतरण कराने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ सोमवार को किया है. यूपी पुलिस के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने बताया था कि प्रदेश भर में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण रैकेट चल रहा है. अभी तक एक हजार मूक बधिर और महिलाओं का धर्मातरण कराया जा चुका है. यूपी एटीएस ने दिल्ली से दो ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया है, जिन पर धर्मांतरण रैकेट चलाने का आरोप है. उमर गौतम और जहांगीर आलम नाम के दो अभियुक्तों ने अपने गिरोह के साथ मिलकर प्रदेश के मूक बधिर, महिलाएं और बच्चों को निशाना बनाकर उनका धर्म परिवर्तन कराया है. आरोप है कि यह दोनों विदेशों से प्राप्त फंडिंग और इस्लामिक दवा सेंटर के माध्यम से बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन कराने का काम कर रहे थे. पूछताछ में दोनों ने बताया था कि उनके द्वारा अब तक उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, कानपुर ,वाराणसी के साथ-साथ 6 से ज्यादा जनपदों में मूक बधिर बच्चों और गरीब गैर मुस्लिम लोगों का धर्म परिवर्तन कराया गया है. पुलिस के मुताबिक,बड़े पैमाने पर हुए इस धर्म परिवर्तन में और भी कई लोग शामिल है, जिसकी जांच एटीएस के द्वारा की जा रही है.
ये भी है बड़ा सवाल
इन तमाम कार्रवाइयों के बीच ये बड़ा सवाल है कि सख्त कानून और सुदृढ़ पुलिस व्यवस्था के बावजूद पुलिस और प्रशासन की नाक के नीचे धर्म परिवर्तन का खेल चलता रहा, लेकिन इसकी भनक तक न लगी.
1000 लोगों के धर्मांतरण पर बयानबाजी
1000 लोगों के धर्मांतरण का मामला सामने आने के बाद विपक्ष जहां सरकार पर हमालवर हो गया वहीं कई हिंदू संगठनों के नेताओं और हिंदू संतों ने आरोपियों के लिए फांसी की सजा की मांग तक कर डाली. इस मामले को लेकर आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी एवं राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सिर्फ भाषणबाजी करने से काम नहीं चलेगा. अगर धर्मांतरण को रोकना है तो जमीन पर उतरकर कार्रवाई करनी होगी. धर्मांतरण का ये जो मामला सामने आया है, उसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.
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क्या बोले अमिताभ ठाकुर
वहीं रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने एटीएस द्वारा धर्मांतरण गिरोह के भंडाफोड़ के बाद अब इसके लिए जिम्मेदार अफसरों पर ही कार्रवाई की मांग की है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसके लिए पत्र भी लिखा है. सीएम को भेजे गए पत्र में उन्होंने कहा कि एटीएस द्वारा बताए गए तथ्यों से साफ है कि यूपी में यह काम एक लंबे समय से चल रहा था, जबकि सरकार स्वयं को इस मुद्दे पर गंभीर बताती है. उन्होंने इस गिरोह के द्वारा पूर्व में हुए अपराधिक धर्मांतरण के संबंध में जांच कराकर उत्तरदायित्व निर्धारित किए जाने की भी मांग की है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी धर्मांतरण को लेकर की थी टिप्पणी
योगी आदित्यनाथ सरकार ने उत्तर प्रदेश में ग़ैर-क़ानूनी धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाया है. धोखे से, षड्यंत्र करके धर्मांतरण एवं विवाह करने वालों के खिलाफ शिकंजा कसने के लिए राज्य सरकार ने यह कदम उठाया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि शादी-ब्याह के लिए धर्म-परिवर्तन आवश्यक नहीं है, इसे मान्यता नहीं मिलनी चाहिए. इसके बाद योगी ने कहा था कि सरकार भी इस बारे में फैसला ले रही है और वे लव जिहाद को सख्ती से रोकेंगे. सीएम योगी ने लव जिहाद के खिलाफ सख्त कानून बनाने और अभियान चलाने का ऐलान भी किया था. उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने 2019 में मुख्यमंत्री को इस विषय पर एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसको लेकर सक्रियता दिखाते हुए गृह विभाग ने इसका प्रस्ताव बनाकर विधि और न्याय विभाग को भेजा था.
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राज्य विधि आयोग ने 2019 में सौंपी थी रिपोर्ट
राज्य विधि आयोग ने नवंबर 2019 में ही ग़ैर-क़ानूनी धर्मांतरण के विषय पर अध्ययन करने के बाद मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंप दी थी. रिपोर्ट में प्रस्तावित अधिनियम का प्रारूप भी संलग्न किया गया. प्रस्तावित अधिनियम में यह व्यवस्था की गई थी कि अगर किसी व्यक्ति के द्वारा लालच देकर, किसी षड्यंत्र के द्वारा, अच्छी शिक्षा का आश्वासन देकर, भय दिखा कर या अन्य किसी भी कारण से किसी व्यक्ति का धर्मांतरण कराया जाता है तो वह विधि के विरुद्ध होगा. वह धर्मांतरण अवैध माना जाएगा. इसमें षड्यंत्र करने वाले के खिलाफ दंड का प्रावधान भी किया गया है.
नवंबर 2020 में यूपी कैबिनेट मीटिंग में हुआ था पारित
इसके बाद उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए नवंबर महीने के चौथे सप्ताह में 'उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020' के मसौदे को मंजूरी दी. इसके तहत मिथ्या, झूठ, जबरन, प्रभाव दिखाकर, धमकाकर, लालच देकर, विवाह के नाम पर या धोखे से किया या कराया गया धर्म परिवर्तन अपराध की श्रेणी में आएगा.
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ये है सजा का प्रावधान
इस कानून के तहत आने वाले उपबंधों का उल्लघन करने पर कम से कम एक साल और अधिकतम पांच साल की सजा का प्रावधान किया गया है. साथ ही कम से कम 15 हजार रुपये के जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है. यह इस 'उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020' की धारा-3 में लिखा गया है. वहीं सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में धारा-3 के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर 3 वर्ष तक कारावास जो 10 वर्ष तक बढ़ सकती है, और 50,000 तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है.